एक जमाना था जब मालिक और नौकर का रिश्ता वही होता था जो राजा और प्रजा का. तब जीवन बहुत सरल और सादगी वाला था. नौकरों की बेसिक जरूरत खाना, कपड़ा और मकान ही होते थे. वह इन्हीं जरूरतों की पूर्ति के लिए नौकरी करता था.

नौकर अपने मालिक की बहुत इज्जत करता था. वह जमाना ही ऐसा था जब सभी वर्गों के लोग अपने कार्यक्षेत्र से और आमदनी से संतुष्ट रहते थे, कोई किसी से बराबरी नहीं करना चाहता था.

धीरेधीरे समय बदला. नई टैक्नोलौजी के आगमन से भौतिक सुखों की वृद्घि हुई और ये सारे सुख पाने की घरघर में होड़ सी होने लगी. इस के साथ ही इन सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नौकरों को मालिक से प्रतिस्पर्धा करने का जैसे अधिकार दे दिया गया है.

यहां तक महसूस किया गया है कि उन को अपने मालिक के ऐशोआराम से ईर्ष्या होने लगी. उन सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक पैसा पाने की लालसा उन की बढ़ती ही चली गई. उन को जो वेतन मिलता है, वह उन चीजों को पाने के लिए पर्याप्त नहीं होता है, इस के लिए वे गलत तरीके से पैसा प्राप्त करने से भी गुरेज नहीं करते हैं.

जब से एकल परिवार का चलन शुरू हुआ है और महिलाओं ने अधिक धन अर्जित करने की लालसा से घर से निकलना आरंभ किया है, मालिक, मालकिन और घरों में कार्य करने वाले नौकरनौकरानियों के बीच पैसे के लालच में अवैध संबंध बनने भी धड़ल्ले से सुनने में आ रहे हैं. इस के कारण उन के बीच गरिमामय रिश्ते तारतार हो रहे हैं और घर की सुखशांति भंग हो रही है.

घर में जवान महिला या पुरुष होेने पर लोग नौकर या नाकरानी रखने में डरने लगे हैं. यहां तक कि छोटे बच्चों की आया रखना भी सुरक्षित नहीं है. मालिक की अनुपस्थिति में अबोध बच्चों से भीख मंगवाने और उन को चुराने की घटनाएं भी खूब हो रही हैं. पैसा इस रिश्ते पर हावी होने लगा है और यह नित्य समाचारों से सिद्ध भी हो रहा है. भौतिक सुखों की आंधी ने मालिक के प्रति नौकर के सम्मानपूर्वक रिश्ते को अस्तित्वहीन ही कर दिया है.

कुछ घटनाएं

16 अप्रैल, 2018, फरीदाबाद : गाडि़यों की खरीदबिक्री का काम करने वाले व्यवसायी सतविंदर सिंह के औफिस में चोरी व तोड़फोड़ का मामला सामने आया. शिकायत में सतविंदर ने अपने नौकर पर दुकान से मोटा कैश ले कर फरार होने की बात की. इस की तस्दीक सीसी टीवी फुटेज में हो गई. जिस में नौकर को गुल्लक तोड़ कर कैश निकालते व तोड़फोड़ करते देखा गया.

14 अगस्त, 2017, हरिद्वार :  ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के कटहरा बाजार में ज्वालापुर निवासी अशोक कुमार की हार्डवेयर की दुकान है. दुकान के मालिक ने अहबाबनगर कालोनी में गोदाम बनाया है. दुकान व गोदाम में कर्मचारी काम करते हैं. बताया जाता है कि दुकान के मालिक ने नौकरों को माल चोरी का आरोप लगा कर निकाल दिया था. इसे ले कर नौकरों ने ज्वालापुर पुलिस से शिकायत की जिस में उन्होंने मालिक पर बकाया पैसे न देने का आरोप लगाया था. पुलिस की सूचना पर दुकान के मालिक अशोक कोतवाली पहुंचे जहां मौजूद नौकरों ने हंगामा किया. नौकरों व दुकान के मालिक ने एकदूसरे पर कई आरोप लगाए. बाद में पुलिस ने दोनों को शांत कराया.

22 जुलाई, 2017, रामनगर :  सैलरी के विवाद में नौकर ने मालिक को चाकू मार दिया. बताया गया है कि महल्ला कसेरा लाइन निवासी विशाल अग्रवाल की भारत गैस की एजेंसी है. उस के यहां ग्राम छोई निवासी नरेंद्र कड़ाकोटी गैस वितरित करने का काम करता था. आरोप है कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया है. वेतन को ले कर उस का कुछ विवाद चल रहा था. सुबह वह एजेंसी कार्यालय में पहुंचा. वेतन को ले कर उन दोनों के बीच झगड़ा हो गया. इसी दौरान उस ने मालिक के कंधे और पेट पर चाकू से वार कर दिए. इस के बाद वह खुद ही कोतवाली पहुंच गया. मालिक को गंभीर अवस्था में हौस्पिटल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उस ने दम तोड़ दिया.

18 जुलाई, 2017, नोएडा :  राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में एक उच्चवर्गीय सोसाइटी में घरेलू नौकर को ले कर उपजे मनमुटाव ने मालिक और मुसलिम घरेलू नौकरानी के बीच दंगे जैसे हालात पैदा कर दिए थे. ये घरेलू नौकरानियां अधिकतर झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों के पिछड़े इलाकों से आती हैं. गृह सहायिका के रूप में काम करने वाली इन महिलाओं के साथ गालीगलौज, मानसिक, शारीरिक एवं यौन शोषण सामान्य सी बात है.

2 नवंबर, 2013, नोएडा :  नौकरी से निकाले जाने पर एक अकाउंटैंट की ओर से मालिक से 3 लाख रुपए की रंगदारी मांगने का मामला सामने आया. मूलरूप से आगरा के फतेहाबाद निवासी माधव पाराशर सैक्टर-37 स्थित एक रैस्तरां में अकाउंटैंट था. रैस्तरां मालिक जयप्रकाश चौहान ने गलत व्यवहार के चलते माधव पाराशर को कुछ महीने पहले नौकरी से निकाल दिया था. आरोपी नौकरी छोड़ते वक्त जयप्रकाश चौहान की एक चैकबुक, सेल्स टैक्स और सर्विस बुक की रसीदें चुरा कर ले गया था. माधव ने 15 जुलाई से 29 अक्तूबर, 2013 तक पीडि़त के मोबाइल पर कौल कर 3 लाख रुपए की रंगदारी मांगी. उस के मना करने पर उस ने जयप्रकाश चौहान को जान से मारने की धमकी दी. चूंकि आरोपी के पास रैस्तरां की रसीदें थीं, इसलिए उस ने रैस्तरां को बरबाद करने की धमकियां भी दी थीं. 3 लाख रुपए अपने खाते में डलवाने के लिए माधव ने केनरा बैंक का एक अकाउंट नंबर भी पीडि़त मालिक के मोबाइल पर मैसेज किया. धमकियों से डर कर जयप्रकाश चौहान ने एक बार अकाउंट में 10 हजार रुपए डाल दिए. पर कुछ दिनों बाद माधव फिर से रुपए मांगने लगा. परेशान हो कर पीडि़त ने 31 अक्तूबर को थाना सैक्टर-39 में माधव पाराशर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. इस संबंध में रैस्तरां मालिक की शिकायत पर थाना सैक्टर-39 पुलिस ने आरोपी को अरैस्ट कर लिया है.

24 जून, 2017, हरदोई :  उत्तर प्रदेश के हरदोई में पुलिस ने एक डीजे व्यवसायी की हत्या का खुलासा करते हुए, हत्या में शामिल पत्नी और नौकर को गिरफ्तार किया. पुलिस ने खुलासे में बताया कि नौकर और महिला के बीच अवैध संबंध थे, जिस कारण महिला ने नौकर के साथ मिल कर मालिक की हत्या कर दी.

सितंबर, 2017, पटना :  पूर्णिया का रहने वाला दिलीप चौधरी दुकान चलाता था और उस की दुकान पर रहने वाला नौकर घनश्याम उस के घर आयाजाया करता था. इसी दौरान उस की पत्नी और नौकर के बीच प्रेम हो गया. दोनों शारीरिक संबंध बनाने लगे. एसपी निशांत तिवारी ने बताया, नौकर और मालिक की पत्नी के बीच चल रहे इस अवैध संबंध के कारण मालिक ने नौकर को रंगेहाथ पकड़ा और उस की हत्या कर दी. गिरफ्तारी के बाद सख्ती से पूछे जाने पर आरोपी ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

तृप्ति लाहिड़ी की किताब ‘मेड इन इंडिया’ देश में घरेलू नौकरों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर संवेदनशील तरीके से सोचने को विवश करती है. लाहिड़ी अपनी इस पुस्तक में कहती हैं कि उदारीकरण के वर्तमान दशक में देश में घरेलू नौकरों की संख्या में 120 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इस असंगठित क्षेत्र में कार्यक्षेत्र का दोतिहाई हिस्सा महिलाएं भरती हैं और उन में से अधिकतर झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों के पिछड़े इलाकों से आती हैं. इन में से अधिकतर अल्पायु में ही काम शुरू कर देती हैं और उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से भी कम वेतन दिया जाता है.

नौकरों के लिए न्याय

इन्हें नौकरी देने वाले लोगों में देश के धनाढ्य वर्ग से ले कर नवधनाढ्य होते हैं, जिन में से अधिकतर अभी भी मालिक और नौकर के बीच के पारंपरिक अंतर में विश्वास करते हैं. डिजिटल मीडिया ‘क्वार्ट्ज’ की एशिया ब्यूरो चीफ लाहिड़ी अपनी पुस्तक में वास्तविक जीवन की कहानियों के जरिए घरेलू नौकरों की दशादिशा को बड़ी ही प्रामाणिकता के साथ पेश करती हैं तथा ब्रोकरों व एजेंटों के कारोबार का विस्तार से ब्योरा पेश करती हैं. लाहिड़ी के अनुसार, भारत में घरेलू नौकरों के लिए न्याय हासिल कर पाना बेहद मुश्किल है.

पुस्तक में लाहिड़ी ने बतौर घरेलू नौकर अपने खुद के अनुभव को भी लिखा है. घरेलू नौकरों का क्षेत्र इतना तेज क्यों विकसित हुआ? पहले औरतें घर में रहती थीं, इसलिए अधिकतर घर के सभी कार्य वे स्वयं ही करती थीं, लेकिन अब ऐसा शहरी आबादी के अमीर होने और शहरों में महिलाओं के अधिक संख्या में काम करने के चलते हुआ. स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी. ऐसे में अगर वे उच्चशिक्षा लेना चाहती हैं और शिक्षा हासिल कर नौकरियों में जाती हैं, तो उन्हें घरेलू कामकाज के लिए मदद की जरूरत होती है.

उन का कहना है कि कई संगठनों ने घरेलू नौकरों के इस क्षेत्र को संगठित करने की कोशिशें की हैं, लेकिन इस क्षेत्र के संगठनीकरण की कोशिशें खास सफल नहीं हुईं. इस में 2 सब से बड़ी अड़चनें हैं. लोग अपने आसपास के लोगों द्वारा घरेलू नौकरों को दिए जाने वाले वेतन को ही सही मानते हैं. इसलिए उन्हें घरेलू नौकरों को अधिक वेतन देने के लिए राजी करना बेहद मुश्किल होता है. अगर वे इस के लिए राजी भी होते हैं तो उसी अनुपात में ढेरों काम लेना चाहते हैं.

इस के अलावा गरीबी से परेशान हो कर काम की तलाश में नएनए आए व्यक्तियों द्वारा कम वेतन पर काम करने पर राजी होने के चलते भी सांगठनिक तौर पर अधिक वेतन की मांग करना संभव नहीं हो पा रहा.

मालिक और नौकर के वर्तमान रिश्ते को सुधारने के लिए कानून के साथ लोगों की मानसिकता में बदलाव आना अत्यधिक आवश्यक है. पहले जमाने के विपरीत उन को अब बराबरी का दर्जा देना पड़ेगा. वे अपनी मेहनत के बदले वेतन पाते हैं, हम उन को पैसा दे कर उन पर कोई एहसान नहीं करते. उन को अपने से निम्नस्तर का सोचने का हमें कोई अधिकार नहीं है, तभी वे हमें आदर की दृष्टि से देखेंगे.

कुछ बदलाव जरूरी हैं

–       जितना उन को वेतन महीनेभर में मिलता है, उतना तो हम एक बार किसी रैस्तरां का बिल चुकाने में खर्च कर देते हैं. इसलिए जिस तरह हमारे वेतन की पुनरावृत्ति होती है, उसी प्रकार समय के अनुसार उन के वेतन में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए. उन के लिए महीने में नियमित छुट्टी के साथ अन्य सुविधाओं के लिए भी वेतन सहित छुट्टी का प्रावधान अति आवश्यक है.

–       नौकर या नौकरानी रखने से पहले उस की पृष्ठभूमि की जानकारी होनी अति आवश्यक है.

–       घर में किशोर लड़का या लड़की हो तो किसी को भी कार्य करने के लिए रखने के बाद उस की गतिविधियों पर पूरा ध्यान रखना आवश्यक है.

–       अबोध बच्चों को आया के हवाले करना बहुत ही अनुचित है. महिलाओं को तभी नौकरी के लिए बाहर जाना चाहिए जब घर का ही कोई सदस्य उस की घर पर देखभाल करने के लिए हो. किसी बच्चे ने अपनी मां से पूछा कि क्या वह अपना कीमती सामान किसी बाहरी व्यक्ति की देखरेख में छोड़ सकती है. उस के मना करने पर उस बच्चे ने बहुत सही प्रश्न किया कि फिर वह अपने सब से कीमती चीज, अपनी बच्चे को किसी की निगरानी में कैसे छोड़ सकती है?

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