बचपन से ही जहां लड़कों को खिलौने वाली कारें और वीडियो गेम्स गिफ्ट किए जाते हैं, वहीं लड़कियों के लिए गिफ्ट के रूप में पहली पसंद गुडि़या होती है. बड़ी होने पर भी समाज की नजर में लड़कियां/महिलाएं रसोईघर में ही शोभा देती हैं. घरपरिवार और रसोई की दहलीज के आगे की अदृश्य दीवार हमेशा उन्हें आगे बढ़ने से रोकती रही है.

वक्त के साथ महिलाएं इन अदृश्य दीवारों यानी ग्लास सीलिंगरूपी अड़चनों और रुकावटों को भेद कर आगे बढ़ने का जज्बा दिखाती रही हैं. मैरी कौम हों या फायर फाइटर हर्सिनी कान्हेकर, जिन क्षेत्रों के लिए समाज महिलाओं को पूरी तरह अनफिट मानता था उन्हीं क्षेत्रों में अपनी जीत का परचम लहरा कर इन्होंने ग्लास सीलिंग को चुनौती दी. हाल ही में देश की 3 पहली महिला फाइटर्स अवनि चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह ने लड़ाकू विमान उड़ा कर रिकौर्ड बनाया.

एक अदृश्य दीवार

महिलाएं आज जीवन के हर क्षेत्र में बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी वाले पदों पर काबिज हो रही हैं. जरमन चांसलर ऐंजेला मार्केल हों, फेसबुक चीफ औपरेटिंग औफिसर शेरिल हों या फिर अमेरिका की डैमोक्रेटिक प्रैसिडैंशियल नौमिनी हिलेरी क्लिंटन, ये सब दुनिया के सब से प्रभावशाली पदों पर रह चुकी हैं.

यह बात अलग है कि आज भी महिलाओं को वह प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त करने में बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती है, जो समान रूप से योग्य इन के पुरुष साथियों को सहज ही उपलब्ध है. सफलता की राह की इस अदृश्य दीवार पर दरारें जरूर पड़ी हैं, मगर अभी भी इस का पूरी तरह से टूटना बाकी है.

पुरुष मानसिकता

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