किसी भी उम्र का पुरुष किसी भी उम्र की महिला से ऐसा कोई भी अवसर नहीं छोड़ना चाहता जहां उसे आनंद न मिलता हो. बातों से या औरत की अनजाने में हुई किसी भूल से, स्पर्श से वह अपना भरपूर मनोरंजन करता है और सोचता है कि औरत को मूर्ख बना कर भरपूर मनोरंजन करता है और सोचता है कि औरत को मूर्ख बना कर उस ने अपनी मर्दानगी दिखाई है. औरत मनोरंजन के लिए या मात्र मजा देने के लिए है. औरत की बेबसी मर्द के कथित मजे को और भी बढ़ाती है और वह चटखारे लेने लगता है. एक बार को पढ़ेलिखे मर्द सभ्यता की आड़ में स्वयं को खामोश रखने के लिए विवश हो सकते हैं, लेकिन होते नहीं हैं. ऐसे अवसरों पर उन की बुद्धिमत्ता का मुखौटा शीघ्रता से उतर जाता है. छेड़छाड़ और रेप के ज्यादातर किस्से इस तथाकथित पढ़ेलिखे सभ्य समाज में भी खूब मिलते हैं. द्विअर्थी संवादों द्वारा, आंखोंआंखों में अश्लील इशारों द्वारा, हावभाव द्वारा, फूहड़ शब्दों द्वारा तब उन में और कम पढ़ेलिखों या अनपढ़ों में कोई फर्क नहीं रह जाता. औरत कोई भी हो, हर व्यक्ति यहां मात्र अपनी मां, बहन, पत्नी और बेटी को बचा कर रखता है और दूसरी स्त्री को एकदम बाजारू चीज समझने लगता है.
घटिया सोच
औरत जितनी ज्यादा बेबस नजरों से देखेगी उस में मजे की सीमा उतनी ही बढ़ेगी. यदि बस चले तो ये मर्द अपनी मां, बहन और बेटी के बदन को भी नोच कर खा जाएं. अब कुछ लोग खाने भी लगे हैं. मर्यादाओं और संस्कारों के नाम पर औरत नहीं बच पाती, बच पाते हैं तो महज रिश्ते क्योंकि एक की मां, बहन, बेटी किसी दूसरे के मजे का कारण हो सकती है. औफिसों में जहां स्त्रीपुरुष एकसाथ काम करते हैं ऐसी बेचारगियां और मजे आम बात है. सफेद बालों वाले वृद्धों एवं प्रौढ़ों को भी खींसे निपोरते देखा जा सकता है और पार्कों में अकसर वृद्धों की टोली घूमने आने वाली महिलाओं पर छींटाकशी से बाज नहीं आती. नयनसुख के साथसाथ जबान सुख लेने से भी वंचित नहीं रहते.