बढ़ते वैश्वीकरण ने बाजार के लगभग हर उत्पाद व सेवा को ग्लोबल कर दिया है. शिक्षाजगत भी इस से अछूता नहीं है. लिहाजा, आज स्टूडैंट्स अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए विदेशों का रुख कर रहे हैं. विदेश जा कर पढ़ाई करने का चलन पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, हर साल करीब 43 लाख स्टूडैंट्स अपना देश छोड़ कर किसी दूसरे देश पढ़ने जा रहे हैं. वैसे तो भारत में 400 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं जहां वे पढ़ सकते हैं, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में हमारे यहां आईआईटी और आईआईएम जैसे चंद शिक्षण संस्थान ही हैं जो विश्वस्तरीय सूची में शामिल हैं, बाकी शिक्षा के व्यावसायीकरण में मोटी कमाई करने में जुटे हैं.

यही वजह है कि आज भारतीय छात्र अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के नामचीन शिक्षा संस्थानों में पढ़ने के लिए न सिर्फ अच्छाखासा रुपया खर्च करने को तैयार दिखते हैं, बल्कि घर से दूर रहने से भी नहीं हिचकते. अमेरिका के इंस्टिट्यूट औफ इंटरनैशनल एजुकेशन से जुड़े डैनियल ओब्स्ट के मुताबिक, वैश्वीकरण के इस दौर में कामयाबी के लिए हर छात्र को विदेश में पढ़ाई करनी चाहिए. इस से वह अलग भाषा और संस्कृति वाले लोगों से तालमेल बिठाना सीखेगा और मल्टीनैशनल कंपनियों में काम करना उस के लिए आसान होगा. हालांकि यह आसान काम नहीं है.

विदेश में रहना, वहां के विश्वविद्यालयों की फीस भरना, किताबों की कीमत, वीजापासपोर्ट और ट्रैवल का खर्च आदि कई बातें हैं जिन पर सोचे बिना विदेशों में पढ़ाई का सपना पूरा नहीं होता. इसलिए यदि आप भी विदेश में पढ़ाई करने की सोच रहे हैं तो कुछ बातों और तैयारियों से दोचार हो लें :

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