उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास ही स्थित 52 कुंडों में वर्ष में 2 बार सोमवती अमावस्या और शनीचरी अमावस्या के दिन बहुत भीड़ होती है. ऐसा अंधविश्वास है कि यहां स्नान करने से भूतप्रेत, चुड़ैल और पिशाच की बाधा का नाश होता है.
17 मार्च, 2018 को शनीचरी अमावास्य के दिन मैं भी इस जगह की प्रत्यक्षदर्शी बनी. मैं ने यहां बड़ी विचित्र घटनाएं घटित होते देखीं. प्रस्तुत है एक रिपोर्ट: दृश्य-1
एक 25 वर्षीय नवयुवती को उस के परिवार वाले जबरदस्ती कुंड में डुबकी लगवा रहे हैं. उन के साथ आया तांत्रिक दिशानिर्देश दे रहा है पर वह युवती जोरजोर से चिल्ला रही है, ‘‘मुझे छोड़ दो. मैं इस पानी में नहीं नहाऊंगी. देखो कितनी बदबू आ रही है, कितना गंदा है यह पानी. मुझे कुछ नहीं हुआ है. मैं बीमार हूं...कोई भूतप्रेत नहीं लगा है... प्लीज मुझे छोड़ दो.’’ नवयुवती की ये बातें सुन कर उन के साथ आया पंडित बोला, ‘‘बहुत जबरदस्त और उम्रदराज चुड़ैल का प्रभाव है, बिलकुल ढीले मत पड़ना. स्नान कराओ. उस के बाद मैं सब ठीक कर दूंगा.’’
पंडित की बात सुन कर परिवार वाले अपनी लड़की की बातों को उपेक्षित कर के उसे डुबकी लगवाने में व्यस्त हो जाते हैं और तांत्रिक अपने तंत्रमंत्र की पूजा की तैयारी में व्यस्त हो जाता है. घर वाले दानदक्षिणा तैयार कर रहे थे. दृश्य-2
एक 30 वर्षीय महिला को उस के परिवार वाले महंगी गाड़ी में ले कर आते हैं. हंसतीबोलती सामान्य सी दिखने वाली उस महिला को देख कर कोई नहीं कह सकता कि उसे कोई परेशानी है, परंतु जैसे ही उस ने कुंड में डुबकी लगाई और जब पानी से बाहर आई तो उस के पूरे बाल खुले हुए थे और फिर वह जोरजोर से चिल्लाना शुरू कर देती है. उस के साथ आया तांत्रिक कई बड़ेबड़े मोतियों की मालाएं पहने महिला के मुंह पर काला कपड़ा डाल कर कई मंत्र पढ़ते हुए उस महिला के बाल पकड़ कर तेज आवाज में पूछता है, ‘‘बोल कौन है तू? क्यों परेशान कर रहा है?’’