हाल ही में अपने पति व देवर की कंपनी को कर्ज देने के मामले में निशाने पर आईं आईसीआईसीआई बैंक की एमडी व सीईओ चंदा कोचर के पद पर बने रहने को ले कर काफी सवाल उठे.
एक तरफ जहां देश के दूसरे सब से बड़े बैंक के कुछ शेयरधारकों ने चंदा की भूमिका पर सवाल उठाए, वहीं अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भी स्पष्ट कहा कि बैंक में गवर्नैंस को ले कर संशय है. जिस तरह के आरोप बैंक के ऊपर लगे उन्हें देखते हुए बैंक की साख को ले कर सवाल उठने लाजिम थे. फिच ने सीधे तौर पर चंदा कोचर को भी सवालों के घेरे में लिया. वैसे चंदा का सीईओ के तौर पर कार्यकाल 31 मार्च, 2019 को समाप्त होगा.
प्रभाव का गलत इस्तेमाल
चंदा कोचर पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने पति दीपक कोचर और वीडियोकौन समूह के वेणुगोपाल धूत द्वारा गठित कंपनी न्यू पावर को कर्ज दिलाने में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया. आरोप है कि धूत ने पहले दीपक कोचर के साथ मिल कर एक कंपनी स्थापित की. फिर इस कंपनी को धूत की एक दूसरी कंपनी से क्व64 करोड़ कर्ज दिया गया. बाद में इस कंपनी को दीपक की अध्यक्षता वाले एक न्यास को महज क्व9 लाख में सौंप दिया गया. कोचर के न्यास को इस कंपनी को सौंपने से ठीक 6 माह पहले आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकौन समूह को क्व3,250 करोड़ का कर्ज दिया था. कंपनी ने इस कर्ज को चुकाया नहीं जो बाद में एनपीए यानी बेकार कर्ज में तबदील हो गया.
बच न सकीं गुनाह से