छोटा सा लेकिन दिलचस्प और एक सबक सिखाता वाकेआ मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के ग्यारसपुर ब्लौक के गांव पिपरिया जागीर का है. 20 अगस्त को एक व्हाट्सऐप ग्रुप पर शिक्षक गेंदा सिंह मालवे की कुछ तसवीरें वायरल हुईं जिन में वे टौयलेट की साफसफाई करते नजर आ रहे थे.

विवाद साफसफाई और उस की अहमियत को ले कर नहीं, बल्कि इस बात पर हुआ कि ये तसवीरें जानबूझ कर वायरल की गई थीं. गेंदा सिंह मालवे का आरोप था कि उन पर हैदरगढ़ की क्लस्टर प्रभारी राधा यादव ने अपने दौरे के दौरान टौयलेट साफ करने का दबाव बनाया और फिर टौयलेट साफ करते उन की तसवीरें जानबूझ कर व्हाट्सऐप ग्रुप पर डालीं जिस से वे बेइज्जत महसूस कर रहे हैं. इस बात की शिकायत उन्होंने कलैक्टर, विदिशा और अजाक थाने में की.

इस आरोप के जवाब में राधा यादव ने कहा कि जब वे दौरे पर गईं थीं तो स्कूलटीचर टौयलेट साफ कर रहे थे. उन्होंने उन के फोटो खींचे ताकि अन्य लोगों को संदेश दिया जाए कि शिक्षक भी साफसफाई करते हैं. स्वच्छता अभियान का संदेश देने के लिए उन्होंने फोटो जन शिक्षा केंद्र के व्हाट्सऐप ग्रुप पर साझा किए थे. उन का इरादा किसी को बेइज्जत करने का नहीं था और जातिगत तौर पर अपमान के आरोप झूठे हैं.

स्कूलों में आएदिन ऐसे विवाद आम हैं पर इस झगड़े से एक सार यह निकल कर आया कि अगर टीचर्स टौयलेट्स की साफसफाई खुद करते एक मिसाल पेश करें तो हर्ज की क्या बात. उलटे, इस बात का तो स्वागत किया जाना चाहिए और उस में जातपांत की बात तो होनी ही नहीं चाहिए. विदिशा के विवाद में किस की मंशा क्या थी, इस बात की कोई अहमियत नहीं. अहमियत इस बात की है कि स्कूलों को साफ रखा जाना बेहद जरूरी है.

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