‘‘अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम,’’ संत दास मलूक की यह पंक्ति आज के वक्त में बिलकुल ठीक बैठती है. खासकर बात जब सरकारी नौकरी की हो. देश में लाखों लोग सरकारी नौकरी में लगे हुए हैं जिन में कई लाख केंद्र सरकार में नौकरी कर रहे हैं और बाकी लोग विभिन्न राज्यों में. केंद्र और राज्य सरकारें इन कर्मचारियों पर अरबों रुपए हर माह खर्च करती हैं, लेकिन सरकार के खर्च के अनुरूप सरकारी मुलाजिम काम नहीं करते.

21वीं सदी में भारत जैसे विकासशील देश में हर युवा की यही ख्वाहिश होती है कि पढ़लिख कर किसी भी तरीके से उसे सरकारी नौकरी का तमगा मिल जाए. दुनिया में जहां विकसित देश के युवाओं का रुझान प्राइवेट जौब की तरफ है, वहीं हमारे देश में सरकारी नौकरी का मोह हर किसी को है. सरकारी नौकरी आज के दौर में भारत के नौजवानों की पहली पसंद बनी होने की कई वजहें हैं.

बेरोजगारी का आलम

आज के युवाओं की सीधी सी सोच है कि किसी भी तरह 12वीं पास या ज्यादा से ज्यादा ग्रेजुएशन कर के सरकारी नौकरी की तलाश में लग जाएं. देश में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है और नौकरियां काफी कम. पहले तो सरकारी नौकरियां निकलती नहीं, अगर निकलती भी हैं तो पदों की संख्या काफी कम रहती है जबकि आवेदक काफी होते हैं.

देश में बेरोजगारी का आलम यह है कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में क्लर्क की वैकेंसी में 250 से अधिक आवेदन पीएचडीधारकों ने भेजे थे. इस बात से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी नौकरी पाने के लिए वे किस कदर बेचैन हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 24 प्रिंट मैगजीन
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...