सितंबर, 2016, दिल्ली में एक 21 वर्षीय लड़की की दिन में चाकू मार कर हत्या कर दी गई. हत्यारा कई महीनों से उसे स्टौक कर रहा था. पिछले साल ही अक्तूबर में 24 वर्षीय ब्यूटीशियन की हत्या कर दी गई थी. यह हत्यारा भी कई दिनों से स्टौक कर रहा था. पिछले ही साल चेन्नई में भी ऐसी 3 घटनाएं घटीं. इसी साल बैंगलुरु में नववर्ष पर मास मोलेस्टेशन की घटना के साथ एक अन्य स्त्री के साथ भी उस के घर के पास ही उसी रात छेड़छाड़ की घटना हुई. इन घटनाओं की सीसीटीवी की क्लिपिंग्स देखते ही देखते वायरल हो गईं. महिलाओं के साथ होेने वाले अपराध एक बार फिर सब के सामने आ गए. पुलिस ने कहा कि बैंगलुरु वाली महिला को स्टौक किया जा रहा था. ऐडवोकेट मृणालिनी देशमुख निर्भया केस के बाद वर्मा कमेटी द्वारा बनाए नियम की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘स्टौकिंग वह आरंभिक अवस्था है, जिस का अंत शारीरिक शोषण या रेप हो सकता है. महिलाओं का चोरी से पीछा करने वालों को सख्त प्रतिक्रिया देनी चाहिए. उन्हें स्टौकिंग के खिलाफ फौरन शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. उस के बाद पुलिस की ड्यूटी है कि वे उन्हें बुला कर सख्त चेतावनी दे ताकि फिर यह हरकत न दोहराई जाए.’’
सचेत रहें
महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली समाजसेविका शर्मिला खेर बताती हैं, ‘‘नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के अनुसार स्टौकर हमेशा परिचित होता है. वह आप का डेली रूटीन जानता है. अत: महिलाओं को हमेशा सचेत, चौकन्ना रहना चाहिए. स्टौकर से निबटने के लिए उस का सामना करना चाहिए. यदि वह कौल या मैसेज कर रहा है, तो उसे बता दें कि उस की कौल्स रिकौर्ड हो रही हैं और मैसेज पुलिस डायरी में जा रहे हैं. यदि वह सामने है तो चिल्लाएं, लोगों से हैल्प के लिए कहें. महिलाओं को अपने इंट्यूशन पर भरोसा करना चाहिए. यदि आप अपने आसपास एक आम चेहरा अकसर देखें तो उस से पूछताछ करें, उस की फोटो लें, सोशल नैटवर्क साइट्स पर पोस्ट कर दें ताकि लोग जान लें.’’
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