अंजू विष्ट (सोशल वर्कर)
मासिक चक्र के दौर से हर लड़की और महिला को गुजरना पड़ता है. इसके लिए उसे बाज़ार से महंगे पैड्स खरीदने की जरुरत होती है, लेकिन गाँवों में महिलाओं का पैड्स खरीदना और डिस्पोज करना मुश्किल होता है. इसलिए अधिकतर लड़कियां और महिलाएं डिस्पोज करने के लिए मिट्टी के नीचे दबा देती है, जिसमें प्लास्टिक होता है और उसे गलने में सालों लगते है. इसलिए स्वास्थ्य औरपर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए साल 2017 को सुंदर, प्राकृतिक और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केरल के माता अमृतानंदमयी मठ के संस्थापक अमृतानंदमयी ने सौख्यम रियूजेबल पैड्सको लौंच किया.
हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई संस्थाएं है, जो केले के रेशों से डिस्पोजेबल पैड्स बनाती है, लेकिन सौख्यम विश्व भर में पहली संस्था है, जो केले के रेशों से रियूजेबल पैड्स बनाती है.इसके लिए सौख्यम पैड्स को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके है. इसे राष्ट्रीय ग्रामीण संस्थानकी तरफ से मोस्ट इनोवेटिव प्रोडक्ट का अवार्ड,साल 2018 में पोलैंड के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में सराहा जाना, मार्च 2020 में इसे सोशल इंटरप्राइज ऑफ़ द इयर अवार्ड दिया जाना आदि कई पुरस्कार प्राप्त है. आज 50 हजार से अधिक महिलाएं इस पैड्स का प्रयोग कर रही है, जिससे करीब 875 टन से भी अधिक नॉन-बायोडिग्रेडेबल मेंसुरल वेस्ट को कम किया गया है.
मिली प्रेरणा
इस बारें में सौख्यम के को डायरेक्टर और रिसर्चर अंजू विष्ट कहती है कि मैं 18 सालों से इस संस्था से जुडी हुई हूँ. काम के दौरान महसूस हुआ कि सालों से महिलाओं और लड़कियों को मासिक धर्म की में पैड्स की समस्या है जिसके बारें में अधिक चर्चा नहीं की जाती, क्योंकि ये सोशल स्टिग्मा है. ‘पैडमैन’ फिल्म भी तब आई नहीं थी. ऐसे में इस मुद्दे का अगर समाधान मिल जाए, तो स्वास्थ्य शिक्षा के साथ-साथग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा की समस्या भी सोल्व हो सकती है, क्योंकि अधिकतर लड़कियां मासिक धर्म के बाद गांव में सही विकल्प न होने की वजह से पढाई छोड़ देती है. आज सरकार की तरफ से एक रूपये में सुविधा पैड्स मिलते है,लेकिन उनदिनों कुछ भी नहीं था. पैड्स कैसे बनाई जाय, इस बारें में पूरी टीम सोचने लगी, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में पैड्स का कचरा फैलाना ठीक नहीं, साथ ही पैड्स में प्रयोग किये गए कागज के लिए पेड़ काटनी पड़ती है, ऐसे में सेल्यूलोसफाइबर, जो पैड में रक्त सोखने का काम करती है,वह केले के रेशों में आसानी से मिल जाती है. ये किसी को पता नहीं था.