दलितों और महिलाओं पर अत्याचार कम होने का नाम नहीं ले रहे. दोनों पर ही धर्म और जाति का कहर जारी है. लगातार एक के बाद एक सामने आ रही घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है. सहारनपुर में जातीय रंजिश में भीम आर्मी के नेता के भाई सचिन वालिया की हत्या से एक बार फिर दलित समाज आक्रोशित है. उधर, जम्मू में एक नाबालिग लड़की आसफा के साथ बलात्कार के बाद नृशंस हत्या और उत्तर प्रदेश में उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा एक युवती का बलात्कार किए जाने के मामलों को ले कर महिलाएं आंदोलनरत हैं. कानून में संशोधन के बावजूद वारदातों में कमी नहीं हो रही. आसफा मामले में जनआक्रोश को देखते हुए बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग उठने के बाद सरकार द्वारा बलात्कारी को मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया गया. इस से पहले 2012 में निर्भया कांड के बाद भी बलात्कार कानून में संशोधन किया गया था. फिर भी, महिलाओं और बच्चियों के यौन शोषण की घटनाओं में कमी नहीं आई.

अफसोस की बात यह है कि जम्मू के कठुआ में लड़की के बलात्कारियों के पक्ष में भीड़ सड़कों पर प्रदर्शन करने लगी. इस भीड़ में धर्म के पथ पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी के 2 विधायक भी शामिल थे. उधर, दलितों के साथ हो रही हिंसा की पैरवी करने में भी हिंदू कट्टरपंथी खुल कर सामने आने से नहीं हिचकिचा रहे हैं.

इन्हीं घटनाओं के बीच कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने संसद में और कोरियोग्राफर सरोज खान ने बौलीवुड में कास्टिंग काउच की बात कही तो इस पर बहस छिड़ गई. पिछले साल सहारनपुर में राजपूतों और दलितों के संघर्ष में 2 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे. दलितों की बस्ती में तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी. घटना के विरोध में दिल्ली के जंतरमंतर पर दलित संगठनों का प्रदर्शन हुआ. दलितों को एकजुट करने वाले भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार किया गया और उस पर देशद्रोह का आरोप मढ़ कर उसे जेल में डाल दिया गया. इस से पहले भीमा कोरेगांव में दलितों पर हमले की वारदात हुई.

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