पैट डौग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब सेआदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है. लोग घरों में डौग्स पालते हैं बड़ी खुशी से पर तबादला होने, देखभाल न कर पाने, पैट डौग्स के कई पप्पी हो जाने के बाद उन की देखभाल एक आफत हो जाती है और यही पैट डौग्स स्ट्रे डौग्स बन कर आज पूरे देश में आफत कर रहे हैं.
दिल्ली के पास नोएडा में एक स्ट्रे डौग को 15वीं मंजिल से फेंक दिया गया और वह कौंप्लैक्स की पार्किंग में मरा मिला. यह क्रूरता है पर उन घर वालों की सोचिए जिन के घरों के आगे रखे मिल्क के पैकेट ये स्ट्रे डौग्स काट देते हैं या बाहर रखी कुरसियों को फाड़ देते हैं. ज्यादा गंभीर बात तब होती है जब ये अचानक आदमी और खासतौर पर बच्चों पर हमला कर देते हैं.
देशभर में स्ट्रे डौग्स के कारनामे सामने आ रहे हैं जिन में उन्होंने छोटे बच्चों को काटकाट कर मार डाला. स्ट्रे डौग्स की वजह से बहुत लोगों ने घरों के पास की सड़कों पर, बागों में घूमना बंद कर दिया है. गोवा अच्छा पर्यटन पौइंट है पर वहां बीच के किनारे बने शैक रेस्तराओं में दरवाजे न होने की वजह से खाने वालों के सामने कुत्ते आ कर खड़े हो जाते हैं. कुछ कुत्ते रेस्तराओं के पालतू होते हैं पर स्ट्रे डौग्स भी खाने के लालच में आ जाते हैं क्योंकि बहुत से ग्राहक अपनी प्लेट का बचा चिकनमटन उन्हें दे देते हैं. ऐसा सा ही कुछ गायों के साथ हो रहा है.
स्ट्रे डौग्स को किसी भी तरह का प्रोटैक्शन मिलना गलत है क्योंकि यह एक तरह से मानवता की असफलता की निशानी है. दिल्ली के कनाट प्लेस में विदेशी ब्रीड्स के कुत्ते बरामदों में दिखते हैं और ये अवश्य मालिकों द्वारा छोड़े गए पैट्स हैं जो कभी घरों में प्यार से रखे जाते थे फिर होमलैस हो गए. जैसे होमलैस आदमियों को सड़क चलते लोगों को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती वैसे ही किसी आवारा पशु, चाहे डौग्स हों या गाय हों को नहीं दी जा सकती.
पशु प्रेमियों को छूट है कि वे स्ट्रे डौग्स के लिए घर बनाएं, गायों के लिए गौशालाएं बनाएं, उन की सेवा करें, उन्हें खाना खिलाएं और चाहें तो पुण्य कमाएं. पर सड़क पर किसी तरह के जानवरों को रहने की अनुमति देना मानव के हितों और अधिकारों दोनों के खिलाफ है क्योंकि शहर आदमियों के लिए डिजाइन किए गए हैं, जानवरों के लिए नहीं. पैट डौग्स के बारे में कुछ कहना क्रूरता माना जाता है पर जो उन्हें भुगतते हैं, वे जानते हैं कि ये प्यारे जानवर कितनी बड़ी आफत हैं.