अमीर घरों के स्टूडैंट्स को अट्रैक्ट करने के लिए साउथ कोरिया के कालेजों ने भी भारत में अपने एजेंट अपौइंट करने शुरू कर दिए हैं और जिस तरह की चमकदमक वाला साउथ कोरिया है, भारतीय स्टूडैंट्स न सिर्फ वहां पढ़ना चाहेंगे, वे भारत से पैसा ले जा कर वहां बिजनैस भी करना चाहेंगे.

साउथ कोरिया कुछ स्कौलरशिप भी औफर कर रहा है क्योंकि उसे ऐसे स्टूडैंट्स भी चाहिए जो मेहनती हैं, पढ़ाकू हैं, इंटैलीजैंट हैं और देश के जाति और धर्म के कहर से डरे हुए हैं. दक्षिणी कोरिया की आबादी अब न सिर्फ बढ़नी बंद हो चुकी है, चीन और जापान की तरह घटने भी लगी है और वे बाहर से युवाओं को बुला रहे हैं. भारत में बढ़ती बेरोजगारी, धर्म का कट्टरपन, मिसमैनेजमैंट, पौल्यूशन बहुतों को बाहर जाने के लिए अट्रैक्ट कर रहा है. अपने बच्चों को बाहर भेजना वैसे भी एक स्टेटस सिंबल है और जब कनाडा, अमेरिका, यूके्रन, इंगलैंड के दरवाजे बंद होने लगे तो साउथ कोरिया का दरवाजे खोलने का तो पुरजोर वैलकम होगा ही. साउथ कोरिया में अभी 2000 स्टूडैंट्स हो गए हैं पर यह शुरुआत है.

साउथ कोरिया इंजीनियरिंग, ह्यूमैनिटीज और आर्ट्स सब में दरवाजे खोल रहा है. साउथ कोरियाई फिल्मों का भारत में पौपुलर होने से यहां के लोगों को लगता है कि वहां की जिंदगी कुछ ज्यादा अलग नहीं होगी. साउथ कोरिया 3 लाख इंटरनैशनल स्टूडैंट्स लेने की ख्वाहिशें कर रहा है और पक्का है कि कम से कम चौथाई तो भारतीय स्टूडैंट्स ले ही जाएंगे. हमारे यहां के अमीर मांबापों के पास इतना पैसा है कि वे अपने बच्चों को एक डैवलैप्ड देश में भेज सकें.

वे तो कतर, सऊदी अरब, आस्टे्रलिया, अमेरिका के अलावा सूडान, उजबेकिस्तान, बेनेजुएला (साउथ अमेरिका), नेपाल, किर्गिस्तान, बोत्सवाना, आर्मेनिया भी भेज रहे हैं. यह बात दूसरी है कि ज्यादातर इन में से वे ही हैं जो भारत को विश्वगुरु मानते हैं और जिन में से एक लड़की को दिखा कर भाजपा ने एक फिल्म बनवाई है कि पापा मोदीजी ने तो हमें निकलवाने के लिए लड़ाई रुकवा दी. वे इस झूठ को सच मानने वालों में से हैं और जाते समय 4-5 मंदिरों के दर्शन कर के ही जाते हैं.

वे यह नहीं पूछते कि आखिर उन्हें विदेशों में पढ़ाने के लिए फौरन करेंसी आती कहां से है. यह आती है उन गरीब मजदूरों की वजह से जो सस्ता काम भारत में करते हैं या विदेशों में जा कर मजदूरी कर रहे हैं. विदेश जाने या जाने की तमन्ना रखने वाले स्टूडैंट्स यह नहीं पूछते कि 10 सालों में हर साल उन जैसों की गिनती बढ़ क्यों रही है.

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