लेखक-पूजा भारद्वाज
– सुशील कुमार सीकरिया ( मैनेजिंग डाइरैक्टर, सनकेयर फौरम्यूलेशन)
अब्दुल कलाम ने कहा था कि सपने वे नहीं होते, जो आप सोने के बाद देखते हैं. सपने वे होते हैं, जो आप को सोने नहीं देते. उन की ये पंक्तियां मेहनती, बेहद शांत व बहुमुखी प्रतिभा के धनी सुशील कुमार सीकरिया पर बिलकुल सटीक बैठती हैं, क्योंकि अपनी कंपनी को शुरू करने का सपना उन्हें सोने नहीं देता था और आज वे अपने प्रयत्न से इस मुकाम पर पहुंचे हैं और अपनी कंपनी ‘सनकेयर फौरम्यूलेशन’ का नाम सफल कंपनियों में शुमार करवा चुके हैं.
जानते हैं, सुशील कुमार सीकरिया की सफलता की कहानी उन्हीं की जबानी: कैसे और कहां से हुई सनकेयर की शुरुआत?आज यह कंपनी जिस मुकाम पर है वहां तक इसे पहुंचाने में बहुत मेहनत और कठिनाइयों को पार करना पड़ा. मैं कम उम्र में ही फार्मा व्यवसाय से जुड़ गया था. फिर एक रिटेल काउंटर शुरू किया. उस काउंटर पर मैं दवाएं प्रैस्क्राइब करता था, बस उसी दौरान एक मैडिसिन से मेरा परिचय हुआ, जो कि बिस्मथ बेस्ड मैडिसिन थी. मैं ने कुछ मैडिकल जर्नल्स में इस दवाई के बारे में पढ़ा और पाया कि यह दवा बड़े कमाल की है. बस वहीं से मुझ पर इसे बनाने की धुन सवार हुई.
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मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी कि कैसे भी मुझे यह दवा बनानी है. हालांकि इस बीच काफी मुश्किलों का सामना भी किया. मन में संशय भी था कि कहीं इसे बनाने में कोई कमी न रह जाए. लेकिन जो ठाना था उसे तो पूरा करना ही था. इस के लिए मैं ने एक लोकल कैमिस्ट्री टीचर से सौल्ट के बारे में समझा, फिर कोलकाता गया, वहां भी कुछ लोगों से समझा. फिर मेरी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई, जो मुझे सौल्ट बना कर देने के लिए तैयार हो गए. उन की मदद से ही मैं ने यह मैडिसिन घर में एक छोटे से कमरे में बनाई. उस के बाद इस का ट्रायल लिया. इस के इस्तेमाल से लोगों को काफी फायदा हुआ. यहीं से दिमाग में आया कि हमें इस का प्रोडक्शन कंस्ट्रक्शन चालू करना चाहिए. अत: हमारी कंपनी ‘सनकेयर’ की शुरुआत हुई.
सवाल- आप ने सनकेयर की स्थापना के बाद क्याक्या बदलाव किए?
मेरा शुरू से ही फोकस रहा है कि हमें दवा बेहतर क्वालिटी की ही बनानी है. बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम जरूरत पड़ने पर काफी सुधार करते रहते हैं. पहले हमारे प्लांट की क्षमता करीब 50 हजार लिटर माल बनाने की थी जो अब 1 लाख लिटर हो गई है. अब मुझे अपने दोनों बेटों संजय सीकरिया और संदीप सीकरिया का भी सहयोग मिल रहा है. अब नई जैनरेशन है, तो नई सोच और नए विचार भी होंगे. इन्होंने भी कंपनी की एक सकारात्मक इमेज बनाई है और प्लांट में काफी वैरिएशन भी किए. देहरादून में प्लांट की शुरुआत की. यहां प्लांट शुरू करने का कारण यह था कि यहां भरपूर सुविधाएं मुहैया हैं.
फार्मा इंडस्ट्री की चुनौतियां से कैसे निबटते हैं?
सरकारी और बाजारी दोनों ही चुनौतियां हैं. सरकारी नियमकानून हैं, उन की कंप्लाइंस की चुनौतियां हैं. जो नएनए कंप्लाइंस आ रहे हैं उन्हें मीटआउट करना चुनौती है. इस के अलावा जैसेजैसे प्रगति हो रही है वैसेवैसे फार्मा इंडस्ट्री पर चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. इंडस्ट्री के ऊपर इस बात का दबाव बढ़ता जा रहा है कि आप की दवा की क्वालिटी इंटरनैशनल स्टैंडर्ड को मीट करे. इस के लिए सरकार भी बहुत ज्यादा प्रतिबद्ध है. इस में बदलाव आते रहते हैं और इस की वजह से हमें सीखने का मौका मिलता रहता है, हम खुद भी बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं. इस की वजह से हमारे उत्पादों की गुणवत्ता दिनबदिन बेहतर होती जा रही है. मगर इस प्रतिस्पर्धा में हम ने यह महसूस किया कि अगर आप के उत्पाद में गुणवत्ता है और पेशैंट को दवा फायदा कर रही है, तो डाक्टर व पेशैंट खुद ही कम लाभ देने वाली दवा को नजरअंदाज कर उत्तम दर्जे की दवा का रूख करते हैं.
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बाजार में पेट से जुड़े विकारों के लिए कई उत्पाद हैं. ऐसे में स्टोमाफिट को स्थापित ब्रैंड कैसे बनाया?
पेट से जुड़े विकारों के लिए बाजार में जितने भी उत्पाद हैं उन सब उत्पादों में कहीं न कहीं थोड़ीबहुत कमियां हैं, क्योंकि ये उत्पाद आप को कब्ज, गैस, डायरिया से थोड़े समय के लिए तो आराम दिला देंगे, लेकिन इन से आप को परमानेंट फायदा नहीं होता है. दवा खाते रहेंगे, तो आराम रहेगा वरना
फिर परेशानी चालू हो जाएगी. अब यदि स्टोमाफिट की बात करें, तो इस में है बिस्मथ, जो इस का एक खास घटक है. बिस्मथ आतों के अंदर एक लेयरिंग कर देता है, एक पतला सा आवरण बना लेता है, जो काले रंग का होता है.
आवरण बनने के बाद बैक्टीरिया को कुछ खाने के लिए नहीं मिलता है, जिस की वजह से वे पेट में ही मर जाते हैं और इस पूरी प्रक्रिया में 90 मिनट लगते हैं. स्टोमाफिट में एक और खासीयत है कि यह अमोनिया बेस्ड प्रोडक्ट है, जिस की वजह से बैक्टीरिया इसे अपनी फैमिली का समझ कर इस की तरफ आकर्षित हो जाते हैं. इसलिए बिस्मथ के अन्य उत्पादों के मुकाबले स्टोमाफिट इसलिए भी ज्यादा फायदेमंद है और जब ये बैक्टीरिया मर जाते हैं, तो आप सारी परेशानी से मुक्त हो जाते हैं.
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आप खुद ही सोचिए कि जहां आप को कब्ज के लिए अलग, गैस लिए अलग, बदहजमी के लिए अलग दवा खानी है, तो
फिर आप इन सब बीमारियों के लिए एक ही दवा क्यों न खाएं. यह एक साइड इफैक्ट रहित दवा है.
सवाल- अपने उत्पादों की यूएसपी के बारे में विस्तार से बताएं?
हमारे उत्पादों की सब से मजबूत यूएसपी उच्च गुणवत्ता व प्रदर्शन और दवा का उचित दाम है. दूसरी बात यह कि यह अंतर्राष्ट्रीय मानक पर खरी उतरती है. इस के अलावा ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाना भी हमारी यूएसपी है. वैसे अधिकतर कंपनियां यह सोचती हैं कि दवा का स्वाद ठीकठाक हो. लेबल क्लेम पूरा हो. मगर हमारे प्रोडक्ट की खास बात यह है कि हम ने प्रोडक्ट में न सिर्फ आयरन और फौलिक ऐसिड पर ध्यान दिया, बल्कि दवा के शरीर में अवशोषण पर भी ध्यान दिया. इस के लिए हम ने शुगर को ब्रेकडाउन कर एक आर्टिफिशियल शहद बनाया ताकि दवा का कड़वापन खत्म हो सके.
सवाल- उत्पादों के डिस्ट्रिब्यूशन में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और उन से कैसे निबटते हैं?
डिस्ट्रिब्यूशन में उन रिटेलरों व डाक्टरों से खासा दिक्कत होती है, जिन का लक्ष्य प्रोडक्ट से ज्यादा से ज्यादा मार्जिन कमाना है, क्योंकि उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि मरीज को दवा से कोई फायदा हो रहा है या नहीं. वे क्वालिटी की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं. कम क्वालिटी के माल से ज्यादा मार्जिन मिलने की अपेक्षा रखते हैं. ऐसे लोगों से हमें ज्यादा परेशानी होती है. वैसे हमें कोई और मुश्किल नहीं होती है.
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सवाल- उपभोक्ता औनलाइन उत्पादों की तलाश करते हैं. इस पर आप के क्या विचार हैं?
हमारे कुछ रिटेलरों ने हमारे प्रोडक्ट को औनलाइन बेचने की शुरुआत जरूर की है, लेकिन कंपनी की तरफ से अभी इस प्लेटफौर्म का उपयोग नहीं किया गया है. मगर जैसी आज की डिमांड है यानी डिजिटल दुनिया का जमाना है, तो हम भी इस तरफ जरूर जाना चाहेंगे और इस की जल्द ही शुरुआत करेंगे.
सवाल- आप का सक्सैस मंत्र क्या है?
जो दवा हम बनाते हैं उस से बेहतर दवा हमें बाजार में न मिले. दूसरा यह कि ग्राहक ने जो रुपए दवा पर खर्च किए हैं उसे अपने पैसे की पूरी कीमत वसूल हो जानी चाहिए.
सवाल- आपकी मैनेजमैंट फिलौसफी क्या है?
मैनेजमैंट की बात करूं, तो जितना भी हमारा स्टाफ है, हम उसे ऐसा माहौल देते हैं कि वह एक परिवार की तरह काम करे. सब मिल कर पूरी मजबूती से कंपनी के साथ खड़े रहें ताकि कंपनी की निरंतर प्रगति होती रहे. साथ मिल कर काम करने में जो मजा है वह अकेले में नहीं.