इस वर्ष 22 पदों के लिए हुए एयरफोर्स कौमन ऐडमिशन टैस्ट में रिकौर्ड 6 लाख युवा शामिल हुए थे. उम्मीदवारों की इतनी बड़़ी तादाद बताती है कि युवाओं में सेना की नौकरी का जनून सिर चढ़ कर बोल रहा है. आकर्षक वेतन और दूसरी कई सहूलियतों के साथसाथ एयरफोर्स की नौकरी का अपना एक अलग ही रुतबा और रोमांच है. साथ ही, देशभक्ति की भावना भी है. कुछ वर्षों पहले तक सेना की नौकरी से परहेज करने वाले युवाओं की पहली पसंद और प्राथमिकता अब सेना की ही नौकरी हो चली है तो इस की दूसरी अहम वजह इस नौकरी का कुछ अलग हट कर होना भी है, जिस में आन, बान व शान तीनों है. समाज में भी सैन्य अफसरों को उम्मीद के मुताबिक सम्मान मिलने लगा है जो देश के लिए एक सुखद संकेत है.

मिसाल बनी आंचल एयरफोर्स के लिए जो 22 उम्मीदवार चुने गए उन में से एक मध्य प्रदेश के अफीम उत्पादन के लिए प्रसिद्ध जिले नीमच की 22 वर्षीया आंचल गंगवाल है. आंचल उन 5 युवतियों में से है जिन्हें एयरफोर्स की फ्लाइंग ब्रांच के लिए चुना गया. मध्य प्रदेश से चुनी गई वह इकलौती उम्मीदवार है.

आंचल के पिता सुरेश गंगवाल नीमच के बसस्टैंड पर चायनाश्ते की दुकान चलाते हैं. जाहिर है आंचल का मामूली खातापीता परिवार है, लेकिन आंचल की उपलब्धि ने गंगवाल परिवार को गैरमामूली बना दिया है. इस से भी ज्यादा अहम है आंचल की जिद और लगन जिस के चलते लड़ाकू विमान उड़ाने का उस का सपना पूरा हो गया है और कई युवाओं की वह रातोंरात आदर्श बन गई है. आंचल की इच्छा बचपन से ही कुछ करगुजरने की थी. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उसे पढ़ने और कोचिंग के लिए ढेर सारा पैसा व दूसरी सुखसुविधाएं हासिल हों, लेकिन यह अभाव कभी आंचल की लगन के सामने आड़े नहीं आया.

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