खेल का मैदान हो या बुलंदियों का मुकाम महिलाएं कहीं पीछे नहीं हैं. जितने समर्पण के साथ वे घर संभालती हैं उतने ही जनून से अपने देश के लिए खेलती भी हैं. क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, वौलीबौल से ले कर शूटिंग या फिर कुश्ती हर खेल में लड़कियां अपना जौहर दिखा रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं. कठिन से कठिन स्थितियों और संघर्षों के दौर में भी अपने जनून और जज्बे के बल पर उन्होंने कामयाबी की वह मंजिल पाई है जहां पहुंचना हर दिल का सपना होता है. आइए, ऐसी ही कुछ सफल बालाओं के संघर्ष भरे सफर पर एक नजर डालते हैं:
भरतनाट्यम छोड़ थामा बल्ला
मिताली राज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं. भारतीय महिला क्रिकेट की तेंदुलकर के उपनाम से जानी जाने वाली मिताली के नाम भारत की ओर से सब से ज्यादा रन बनाने का रिकौर्ड है. वे सब से ज्यादा रन बनाने के मामले में पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं. इस के साथ ही उन्होंने वनडे मैचों में लगातार 7 अर्ध शतक लगाने का भी वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है.
34 साल की मिताली 5 वर्ल्ड कप खेल चुकी हैं. 2005 के विश्व कप में मिताली ने पहली बार टीम की कप्तानी की थी और भारत उपविजेता रहा था. 3 दिसंबर, 1982 को जन्मी मिताली राज ने यहां तक पहुंचने में कई उतारचढ़ाव देखे हैं.
मिताली राज ने बचपन में ही ‘भरतनाट्यम’ सीखा और कई स्टेज शो भी किए. 10 साल की उम्र में भरतनाट्यम और क्रिकेट में से किसी एक को चुनने की बारी आई तो उन्होंने क्रिकेट ही चुना. वे हमेशा लीक से हट कर कुछ करने में यकीन रखती हैं. शुरुआती दिनों में जब अपनी साथी खिलाड़ी के साथ किट ले कर खेलने जाती थीं तो लोग यही समझते थे कि हौकी प्लेयर हैं. उस वक्त लोग सोच ही नहीं पाते थे कि लड़कियों की भी क्रिकेट टीम होगी.
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