हमारे पास ऐसी कीमती चीजें हैं जिन के बारे में हम को ज्ञान नहीं है. हमारे पास चीजें हैं-- हमारा शरीर, हमारा चिंतन, हमारा वक्त, हमारा श्रम, हमारा पसीना, हमारा आत्मविश्वास, हमारा स्वास्थ्य, हमारा साहस, हमारा ज्ञानविज्ञान, हमारा हृदय, हमारा मस्तिष्क, हमारा अनुभव, हमारी भावनाएंसंवेदनाएं आदि.
ये इतनी बड़ी चीजें हैं कि इन का रुपए से कोईर् संबंध नहीं है. रुपया तो इन के सामने धूल के बराबर है, मिट्टी के बराबर है. रुपया किसी काम का नहीं है इन के आगे. इन अनमोल चीजों को महान उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करें. सृष्टि के पीछे छिपी भावना हरेक जीव के कल्याण की है. इस ब्रह्मांड में पृथ्वी सहित सभी ग्रह तारे, सूर्य, चंद्रमा का आपस में आदानप्रदान के सहारे ही अस्तित्व बना हुआ है. ब्रह्मांड की अब तक की खोज में मनुष्य सब से बुद्घिमान प्राणी है. मनुष्य के पास इन अनमोल चीजों के बलबूते अर्जित की गई विभिन्न क्षेत्रों की कुछ ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में आप भी जानिए.
‘‘खुश रहना जीवन का मूलमंत्र है. जब तक आत्मसंतुष्टि नहीं होगी, तब तक सबकुछ गलत और विपरीत लगेगा. अच्छे कर्म से खुशी मिलेगी और खुशी से आनंद आएगा. इसी आनंद से संतुष्टि मिलगी.’’ ये विचार कोयंबटूर के ईशा फाउंडेशन के संस्थापक वासुदेव के हैं.
जब मनुष्य जन्म लेता है तो बड़ा होतेहोते उस पर 5 प्रकार के ऋण आ जाते हैं. उन में से एक ऋण राजा का होता है. आज के जमाने में राज्य का स्वरूप बदल गया है और अब राजा नहीं होता, उस की जगह हमारी चुनी हुई सरकार ने ले ली है. राजा का यह ऋण अब हम सरकार को ही टैक्स दे कर चुकाते हैं. इस के बदले में सरकार हमें विभिन्न प्रकार के साधन मुहैया करवाती है, ताकि हम अपना जीवन सुचारु रूप से चला सकें. हमें जीवनोपयोगी साधनों का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए. ईमानदारी से नौकरी या व्यवसाय करना ही अपने विकास का सब से सरल व एकमात्र उपाय है.
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