स्टेज पर रंगीन बालों वाली एक महिला ब्रा खरीदने के एक्सपीरियंस को बताते हुए कहती है, ‘‘ब्रा खरीदना बिलकुल अलग खेल है जैसे आप वहां जाते हैं और किसी कारण से, किसी अजीब कारण से वहां हमेशा कोई न कोई आदमी होता है, उस का नाम कुछ इस तरह होता है ‘छोटू’ या ‘बीजू’. तो आप पूरी तरह से डर और शर्मिंदगी महसूस कर रहे होते हैं. आप उस से अपनी ब्रा का साइज पूछने जाइए. ‘भाईसाहब (बुदबुदाते हुए) ...साइज की ब्रा दे दीजिए.’ तब छोटू कहेगा, ‘मैडम आप 36सी साइज ले लीजिए.’ इस में सब से बुरी बात यह है कि वह हमेशा सही ही होगा.’’

सुनने में यह हास्यास्पद लग रहा है. शायद आप इसे सुन कर, मुंह छिपा कर हंसे भी हों. लेकिन क्या आप ने इस कौमेडी के पीछे छिपे सीरियस पौइंट को नोटिस किया. शायद नहीं, लेकिन अगर आप लड़की हैं तो आप ने जरूर इसे एक्सपीरियंस किया होगा. अब इस के पीछे छिपे मुद्दे को सम?ाते हैं. छोटू ने कैसे जाना कि मैडम को 36सी साइज की ब्रा ही आएगी? वह तो मैडम को नहीं जानता था. फिर कैसे? इस का जवाब है छोटू की नजरें. वही नजरें जो इस सोसाइटी के पुरुषों की हैं जिन से वे महिला के साइज का अपनी आंखों के जरिए पता कर लेते हैं.

सोसाइटी के इन्हीं सीरियस मुद्दों पर अदिति मित्तल अपनी कौमेडी स्किल्स के जरिए सब का ध्यान खींच रही है और वह इस में कामयाब भी रही. पिछले कई सालों पर नजर डालें तो अदिति मित्तल ने अपनी स्टैंडअप कौमेडी के जरिए कई ऐसे मुद्दों को उठाया जो इस सोसाइटी पर सवाल उठाते हैं.

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