आम घरों की बचत को अब जम कर शेयरों में जमा किया जा रहा है और जहां मार्च 2020 में 4.08 करोड़ डीमैट खाते थे, वहीं दिसंबर 2021 में 8.06 करोड़ हो गए. शेयरों में व्यापार करने में डीमैट अकाउंट खोलना जरूरी है और जो कंपनियां यह अकाउंड खोलती है. वे पहले ही दिन बिना कारोबार किए हजारों रुपए झटक लेती है. फिर भी इन अकाउंटों की बढ़ती गिनती जनता की भूख और लालच को दर्शाता है.
अब हर शहर और कस्बे में शेयर दलालों के दफ्तर खुलने लगे है और बैंकों के ना काफी ब्याज से परेशान औरतों ने भी शेयर बाजार में पैसा लगाना शुरू किया है जबकि देश का आर्थिक विकास लगभग रूका हुआ है. जब मैन्मूफैक्चङ्क्षरग बढ़ नहीं रही हो, बेरोजगारी बढ़ रही हो, टैक्स बढ़ रहे हो, मकानों से किराए की आय घट रही हो, तब शेयर बाजार का ऊंचा होना आश्चर्य की बात है.
असल में शेयर बाजार एक सुनियोजित लौटरी बन गया है. कंपनियां जनता का पैसा लूटने का बाकायदा प्लान करती हैं और हर कंपनी कभी अपने शेयरों के दाम घटवाती है, कभी बढ़वाती है. जब घटते हैं तो लोग घबरा कर नुकसान उठा कर शेयर बेच देते हैं और फिर जब बढ़ते है तो लपक कर मंहगे दामों में खरीदने ही होड़ लगा देते हैं. नतीजा यह है कि छोटा निवेशक या तो पैसा खोता है या बहुत थोड़ा कमाता है पर कंपनियों के मालिक, ब्रोकर, एजेंट, बैंक, डीमैट अकाउंट चलाने वाले, क्वालिटी रेङ्क्षटग देने वाली कंपनियां पैसा कमाती हैं.
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शेयर बाजार एक भूलभूलैया है, किसी कंपनी को चलाने के लिए आम जनता द्वारा अपना छोटाछोटा योगदान देने वाला जरिया नहीं है. सरकारों ने इसे आय का अच्छा सोर्स माना है क्योंकि उसे ब्रोकरों से मिलने वाले इंकम टैक्स से भरपूर पैसा मिल रहा है.
शेयर बाजार दशकों से पैसे वालों का एक बहुत आसान तरीका आम लोगों को लूटने का रहा है और अब यह खेल इंटरनेशनल हो गया है और तरहतरह के एक्सपर्ट टीवी प्रोग्रामों में कंपनियों के भविष्य को उसी तरह बताते हैं जैसे पंडित हाथ देख कर सुख की गारंटी करते हैं. जो लोग धर्म भी का हैं वे शेयर बाजार पर ज्यादा भरोसा करते हैं और जो शेयर बाजार पर भरोसा करते हैं, वे साल में 10-12 बार तीर्थ यात्रा पर अवश्य जाते हैं.
यह आय है जो सब को सम्मोहित करती है और शेयर बाजार उसे आय का कोहिनूर का हीरा है जो काम का न हो पर चमकता बहुत है.
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