सुबह सुबह अजान से नींद खुल जाने पर गायक सोनू निगम ने ट्वीट कर हंगामा सा खड़ा कर दिया है. जहां बहुत से लोग इसे मुसलिमों के प्रति बढ़ते भेदभाव की शक्ल दे रहे हैं, वहीं दूसरे हर तरह के धार्मिक शोर को बंद कराने का अवसर ढूंढ़ने लगे हैं.
अजान, कीर्तन, जागरण, भजन आदि से आम आदमी को भरमाए रखने की धर्मों की पुरानी आदत है. वे नहीं चाहते कि उन के भक्त जो अज्ञानता, अंधविश्वासों, चमत्कारों की चाह में धर्म के नाम पर अपनी जेबें भी ढीली करते
रहते हैं और मरनेमारने को भी तैयार रहते हैं, बिदक जाएं. इसीलिए सुबहशाम मंदिरों में घंटियां बजाई जाती हैं, गुरुद्वारों से अरदास की आवाजें आती हैं और मसजिदों से अजान की.
सोनू निगम ने सही कहा है कि जब लाउडस्पीकर नहीं थे तब तक जो चाहे चीख कर कुछ भी कर ले, पर ईश्वर की नहीं आदमी की खोज लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर धर्म का प्रचार करना ऐन चुनावों से पहले सड़कों पर नेताओं को वोट देने की गुहार से भी बुरा है.
शांति का हक हरेक को है और यह जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. किसी भी तरह का शोर चाहे किसी बरात का हो, शामियाने में बज रहे गाने हों या नेताजी का भाषण केवल उन तक पहुंचे जो उस परिधि में हैं जहां उन के भक्त या समर्थक हैं. बाहर जाने वाले शोर को तो बंद करना ही होगा.
सरकार ने पहले ही गाडि़यों में प्रैशर हौर्न लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है. काफी शहरों में लोगों ने अब आमतौर पर हौर्न बजाना बंद कर दिया है. मंत्रियों की गाडि़यों से सायरन तो बहुत पहले से बंद हो चुके हैं. स्कूलों तक को सामूहिक परेड के समय धीमी आवाज में ही लाउडस्पीकर चलाने की अनुमति है. पार्टी में आप इतने जोर से म्यूजिक बजाएं कि पड़ोसी हल्ला करें, तो आफत आ जाती है.