नैशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार सोशल मीडिया के जरिए की गई दोस्ती और प्रेम ज्यादातर मामलों में फेक आइडैंटिटी का इस्तेमाल होता है जिस कारण प्रेम करने वाली युवतियां औनलाइन ज्यादा फरेब का शिकार होती हैं.
आज देश में 10 करोड़ से ऊपर की आबादी इंटरनैट के विभिन्न माध्यमों जैसे व्हाट्सऐप, गूगल, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, फेसबुक आदि का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही है. सरकारी और निजी भागीदारी ने इंटरनैट की पहुंच को जनजन तक पहुंचा दिया है, पर इस का सब से बड़ा खमियाजा उन युवकयुवतियों को भुगतना पड़ रहा है जो बिना सोचेसमझे इंटरनैट से प्रेम की पेंगें बढ़ाते हैं.
वर्चुअल फ्रैंडशिप इंटरनैट की दुनिया के लिए कोई नया शब्द नहीं. एक बड़ा युवावर्ग काल्पनिक दुनिया के अंजामों से बेपरवा लगातार इस की दलदल में धंसता जा रहा है. औनलाइन प्रेम के नाम पर धोखे की हजारों घटनाएं आएदिन घट रही हैं, जिन में अधिकतर मामलों में शोषण, ब्लैकमेलिंग या उगाही के शिकार हुए लोग तब जागते हैं जब उन का सबकुछ लुट चुका होता है.
ऐसे में जरूरी है कि हम सतर्क व सचेत रहें. फ्रैंडशिप जरूर स्वीकार करें पर अलर्ट रह कर.
क्या है वर्चुअल प्रेम
‘वर्चुअल प्रेम’ का सीधा सा तात्पर्य है काल्पनिक प्यार यानी युवकयुवती आमनेसामने न बैठ कर इंटरनैट के माध्यम से प्रेम के तारों को जोड़ते हैं. यहां पहचान के नाम पर पेश करने वाले की एक औनलाइन प्रोफाइल होती है जिस की सत्यनिष्ठा की कोई गारंटी नहीं होती. प्रोफाइल फेक भी हो सकती है. दूर बैठे, उंगलियों की हरकतों पर की गई इस दोस्ती में कोई वास्तविकता नहीं होती. ज्यादातर मामलों में छद्म तसवीर व फेक प्रोफाइल व फेक इनफौर्मेशन को आधार बनाया जाता है.