सकारात्मकता सफलता की कुंजी है. असहज परिस्थितियों में संयम व धैर्य ही काम आते हैं. एक शोध के अनुसार पौजिटिविटी हमारे भीतर असीमित ऊर्जा का संचार कर एर्डोफिन नामक हारमोन स्रावित करने में सहायक होती है, जिस से हम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं. अगर हम मुश्किल हालात में धैर्य व संयम खोने के बजाय मजबूत इरादों के साथ उन का मुकाबला करें तो निश्चित ही हमारी जीत होगी.

कई बार हम ऐसी असहज परिस्थिति में घिर जाते हैं, जहां स्थिति हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती है. विशेषकर कार्यस्थल पर यह बहुत जरूरी होता है कि हम कार्य और स्थितियों के बीच बेहतर तालमेल बैठाएं. इस की संभावना तब होती है जब हम घबराने के बजाय बेहद संतुलन के साथ अपना उच्च कार्यप्रदर्शन दिखाएं. इस में सकारात्मकता अहम भूमिका निभाती है, प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स, जिन से प्रबंधन कौशल दिखाते हुए असहज परिस्थितियों से बचा जा सकता है :

ऐसे पाएं औफिस में तनाव से मुक्ति

बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रोजैक्ट बेस्ड समयसीमा आधारित काम होता है. लिमिटेड टाइमलाइन के भीतर बैस्ट परफौर्मैंस देनी होती है और ऐसे हालात कमोबेश सभी दफ्तरों में होते हैं जहां वर्क का एकदम प्रैशर रहता है. आप ऐसे हालात के लिए बिलकुल तैयार नहीं होते, तो ऐसी स्थिति में एकदम परेशान न हों और बेहतर कार्यनिष्पादन के लिए निम्न तरीके आजमाएं :

–  वर्क प्रोजैक्ट मिलने के बाद उस का अध्ययन करें. प्रोजैक्ट देखते ही उस की जटिलता व समयसीमा का अंदाजा न लगा लें. धैर्यपूर्वक उस का आकलन करें और टाइम फ्रैक्शन तैयार करें.

–  एक रोडमैप बनाएं, जिस से सीमित समयसीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण कार्य प्रदर्शन में सहायता मिलेगी.

–  संभव हो तो अपने किसी अनुभवी सीनियर की ऐक्सक्यूशन मैथड में सहायता लें बशर्ते काम नया हो या फिनिशिंग की जरूरत हो.

–  कुछ समय के लिए अपनी अन्य प्राथमिकताओं को साइड करें, क्योंकि अगर फोकस टारगेटेड वर्क पर होगा तो कार्यसंपादन उम्दा होगा.

–  संयमित रहेंगे तो उलझनों से बचेंगे अन्यथा कार्य पर इस का विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इस से प्रोजैक्ट पैंडिंग हो सकता है.

ऐसे रहें असहज परिस्थितियों में सहज

–  आपा न खोएं.

–  नर्वस होने के बजाय अपने सहकर्मियों से परामर्श करें.

–  जब कुछ समझ न आए तो बौस से अपनी समस्या साझा करें और राय लें. अपनी सूझबूझ और अनुभव से निश्चित तौर पर वे कुछ रास्ता सुझाएंगे.

– तनाव बिलकुल न लें. वर्क को विनविन सिचुएशन में अंजाम दें.

– पुराने प्रोजैक्ट व संगृहीत दस्तावेजों से भी सहायता ली जा सकती है.

–  कार्य व स्थिति की अपरिहार्यता निश्चित रूप से व्यक्ति को तनावग्रस्त करती है, तो जरूरी है नकारात्मक आवेगों से बचें.

–  सुकून, संयम व निष्ठा के साथ किया गया काम हमेशा बेहतर परिणाम देता है इसलिए कार्य के प्रति संवेदनशीलता भी जरूरी है.

कुल मिला कर कहा जा सकता है कि काम कभी तनाव में न करें. हलकेफुलके अंदाज में बड़े से बड़े प्रोजैक्ट को आसानी से कुशल प्रबंधन के साथ निष्पादित किया जा सकता है. कौशल, क्षमता और योग्यता तभी निखर पाएगी जब तनावमुक्त रहा जाए.

आज की जीवनशैली में तनाव, डर और घबराहट ने हर जगह अपना डेरा जमा रखा है, चाहे घर हो या औफिस, सिर पर हरदम तय वक्त पर असीमित काम निबटाने का बोझ रहता है, लेकिन परिस्थितियां तभी हमारे अनुकूल बनती हैं जब हम उन्हें अपनी इच्छानुसार सकारात्मक रहते हुए अपने हिसाब से मोड़ दें.

हमारे अंतस में असीमित ऊर्जा का भंडार है. अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस ऊर्जा को धनात्मक बनाएं या ऋणात्मक, पर यह तो सौ फीसदी सच है कि जीतेगा वही जिस में नकारात्मकता को भी सकारात्मकता में बदलने का माद्दा हो, जो अपने जनून और आदर्श पौजिटिव सोच से अपने आसपास का माहौल भी जीवंत ऊर्जा से भर दे.

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