व्हाट्सऐप पर एसएमएस इधरउधर किया जा रहा है, जिस में कहा गया है कि औरत की बीमारी सिर्फ रात को साईं का सपना  देखने से ठीक हो गई. उस औरत को सुबह एक परचा लिखा मिला शायद अंगरेजी में, गलत अंगरेजी वाले पोस्ट को अंधभक्त, स्मार्ट फोन लिए, पढ़ेलिखे होने का दावा करने वाले निस्संकोच दूसरों को फौरवर्ड कर रहे हैं, क्योंकि इसी में लिखा था कि जो इसे डिलीट कर देगा वह बहुत कमियां झेलेगा. अंधविश्वास लोगों में इस तरह कूटकूट कर सोशल मीडिया द्वारा भरा जा रहा है कि लोगों ने तर्क और बुद्धि का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है.

व्हाट्सऐप या फेसबुक वैसे ही मात्र इधरउधर करने के प्लैटफौर्म हैं, क्योंकि अपनी बुद्धि या अपने विचारों को बताते हुए लोग कतराते भी हैं और उन से आज के युग में अंगरेजी तो छोडि़ए अपनी मातृभाषा में भी सही व्याकरण से वाक्य नहीं बन पाते. ऐसी हालत में कुछ योग्य ही अपनी बात कह पाते हैं और इन में धर्मप्रचारक सब से ज्यादा हैं, क्योंकि उन को लाभ होता है. धर्म की मार्केटिंग का एक मूल सिद्धांत है कि कभी अपने लिए कुछ न मांगो. हमेशा कहो कि मुझ पर नहीं, भगवान पर भरोसा करो; दान मुझे न दो, सुपात्र को दो; संकट दूर करने के लिए मेरे पास न आओ किसी योग्य पंडे, पादरी के पास जाओ.

धर्म के मार्केटियर जानते हैं कि अगर दूसरे भी यही करेंगे तो ग्राहक उन के पास भी आ जाएंगे और याचक की दृष्टि और व्यवहार से पैसा भी देंगे, केवल हवाहवाई बातों का. साईं बाबा का यह पोस्ट भी ऐसा ही है. इस में भेजने वाले ने अपना पता नहीं लिखा, यह नहीं लिखा कि कहां दान दो, साईं की पूजा के लिए मंदिर जाने को भी नहीं कहा गया. 10 मित्रों को मैसेज फौरवर्ड करने का मतलब है कि ग्राहक फंस गया. 10 लोगों में साईं प्रचार करने के बाद वह निकट के साईं मंदिर में जाएगा, सिर नवाएगा, जेब ढीली करेगा. पोस्ट करने वाला खुश रहता है कि अंधविश्वास का नजारा जितना चमकेगा उतना उसे लाभ होगा.

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