अब ऐसी महिलाएं दिखने लगी हैं, जिन्होंने कुछ नया करने के जनून में औरतों के प्रति समाज की सोच बदली है और कामयाबी के शिखर पर अपना परचम लहराते हुए अनेक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है. हर रुकावट, हर बंदिश को झटक कर वे आगे बढ़ीं और दिखा दिया कि वे किसी माने में पुरुषों से कम नहीं हैं. ऐसी ही एक महिला हैं फाल्गुनी नायर.
बैंक की नौकरी छोड़ कर औनलाइन ब्यूटी और वैलनैस रिटेलर ‘नयका डौट कौम’ की स्थापना करने वाली फाल्गुनी के एक कदम आगे बढ़ाने से सफलता के तमाम दरवाजे उन के स्वागत में खुल गए. इच्छाशक्ति और ललक ने उन्हें बढ़ने की प्रेरणा दी और आज उन की कंपनी क्व300 करोड़ सालाना का व्यापार कर रही हैं. 3 सौ से ज्यादा लोगों को उन्होंने रोजगार भी दिया है.
पहचान बनाने का सपना
फाल्गुनी कहती हैं कि उन्होंने अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमैंट (आईआईएम) से पढ़ाई की और फिर कोटक महिंद्रा बैंक में बतौर प्रबंधन परामर्शदाता के पद पर कार्य करना शुरू किया. तरक्की हुई और वे इस कंपनी में मैनेजिंग डाइरैक्टर की पोस्ट तक पहुंच गईं. यह अच्छे ओहदे और अच्छी सैलरी वाली नौकरी थी, मगर फाल्गुनी का मन कुछ नया, कुछ अपना करने के लिए बेचैन था. उन की आंखों में अपनी पहचान बनाने का सपना था और एक दिन उन्होंने बैंक की नौकरी को अलविदा कह दिया.
मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाली फाल्गुनी को नया बिजनैस शुरू करने के लिए परिवार से कोई बड़ी आर्थिक मदद नहीं मिल सकी. पर बिजनैस तो शुरू करना ही था. संसाधन और पैसे की तंगी के बावजूद फाल्गुनी ने वर्ष 2012 में ‘नयका डौट कौम’ की शुरुआत कर दी. उन्होंने बिजनैस की नींव तो रख दी थी, लेकिन बाजार में जगह बनाना भी आसान नहीं था, क्योंकि पहले से ही देसी और विदेशी कंपनियों का कब्जा था.
उन की हिम्मत की दाद देनी होगी कि उन्होंने उस फील्ड में अपने बिजनैस की नींव रखी, जहां पहले से ही भारत और विदेश के बड़ेबड़े ब्रैंड अपने पांव पसारे हुए थे. मगर इन सब की परवाह किए बगैर उन्होंने बाजार में अपनी जगह वैसे ही बनाई जैसे भीड़ वाली बस में सब को कुहनियों से खिसकाखिसका कर हम अपने लिए जगह बनाते हैं.
उन की कंपनी की तरक्की का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि आज आप अपने आसपास किसी भी ब्यूटी और वैलनैस प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने वाले शख्स से ‘नयका’ का नाम लें, तो वह उसे जरूर जानता होगा, जबकि 6 साल पहले तक ब्यूटी और वैलनैस प्रोडक्ट्स में ‘नयका’ शामिल तक नहीं था.
मशहूर हुआ नयका
आज ‘नयका’ अपने औनलाइन स्टोर्स पर 400 ब्रैंड्स के प्रोडक्ट्स बेचता है. इस की वैबसाइट पर लगभग 40 हजार प्रोडक्ट्स हैं. ‘नयका’ ने अपने पहले दौर की फंडिंग जून, 2014 में पूरी की थी. इस दौरान कंपनी ने भारतीय इनवैस्टर्स से करीब 32 लाख डौलर जुटाए थे. आज ब्यूटी रिटेलर ‘नयका’ के 9 स्टोर चल रहे हैं. इस की संस्थापक और सीईओ फाल्गुनी नायर के अनुसार जल्दी ही देश भर में उन की 10 और नए स्टोर खोलने की योजना है.
लंबे समय तक बैंक की नौकरी करने वाली 46 वर्षीय फाल्गुनी को आखिर ब्यूटी प्रोडक्ट्स के औनलाइन बिजनैस का शौक चर्राया कैसे? इस सवाल पर फाल्गुनी कहती हैं कि वे खुद बहुत ज्यादा सौंदर्य उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करती थीं. न ही वे विभिन्न ब्रैंडेड कंपनियों के उत्पादों को खरीदती थीं, मगर नए बिजनैस की योजना पर सोचविचार करते वक्त उन्होंने खूब सर्वे किया.
एक रोज एक मल्टी ब्रैंड ब्यूटी प्रोडक्ट स्टोर में घूमते वक्त उन को एक आइडिया आया. उन्होंने सोचा कि क्यों न वे एक ऐसा औनलाइन सिंगल स्टोर बनाएं, जहां सभी बड़े ब्रैंड का सामान एक ही जगह पर ग्राहक के लिए उपलब्ध हो ताकि उन के दामों और क्वालिटी को कंपेयर कर के आसानी से वन विंडो शौपिंग की जा सके. और बस यहीं से हुई ‘नयका डौट कौम’ की शुरुआत, जहां एक ही जगह पर कई ब्रैंड्स का सामान तमाम जानकारियों के साथ ग्राहकों के सामने होता है.
आज मल्टी ब्रैंड औनलाइन ब्यूटी रिटेलर ‘नयका’ भारत का अग्रणी कौस्मेटिक औनलाइन ब्रैंड बन चुका है. इस की वैबसाइट पर लगभग 40 हजार प्रोडक्ट्स हैं. दुनिया के टौप पर्सनल केयर ब्रैंड की ‘नयका’ के साथ रिटेल पार्टनरशिप है. हाल ही में नयका डौट कौम में टीवीएस कैपिटल ने भी 25 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इस के अलावा भी इस साल फाल्गुनी नायर ने निवेशकों से क्व60 करोड़ जुटाए हैं. इन निवेशकों में हाई नेटवर्थ व्यक्ति (एनएचआई), प्रवासी भारतीय (एनआरआई) और पारिवारिक लोग शामिल हैं.
औफलाइन स्टोर्स की योजना
फाल्गुनी नायर की पोर्टल से पिछले वर्ष औनलाइन शौपिंग बाजार में 40 करोड़ लोगों ने खरीदारी की, जिन की संख्या बढ़ कर आने वाले 2 वर्षों में 100 करोड़ के पार पहुंचने की संभावना है. फाल्गुनी जल्दी ही 2 औफलाइन स्टोर्स भी शुरू करने की योजना बना रही हैं.
फाल्गुनी फ्रांस की ब्यूटी रिटेलर सेफोरा और अमेरिका में उस के कारोबार से काफी प्रभावित हैं. वे कहती हैं कि मेरे विचार से सौंदर्य प्रसाधन के लिए बहुब्रैंड खुदरा कारोबार बिलकुल सही है. ब्रैंडों की विविधता वाले बाजार में ग्राहक अपने पसंद का सामान खरीदना चाहते हैं. एकल ब्रैंड स्टोर जाने पर उन के पास सीमित विकल्प मौजूद होते हैं. दूसरा, ई कौमर्स में मुझे काफी फरोसा है. 2012 में जब मैं ने निवेश बैंकिंग छोड़ी थी, तब ई कौमर्स का उदय हो रहा था. उस समय मुझे लगा कि यदि मैं सौंदर्य प्रसाधनों की औनलाइन बिक्री शुरू करूं तो वह कारोबार खड़ा करने का सब से बेहतर तरीका होगा. हमेशा हम ग्राहकों को समग्र समाधान मुहैया कराना चाहते हैं.
फाल्गुनी मानती हैं कि भारत में सौंदर्य के बारे में लोगों की सोच काफी संकुचित है क्योंकि वे इसे केवल मेकअप मानते हैं. लेकिन इस के तहत त्वचा की देखभाल, बालों की देखभाल, स्थान और वायुमंडल के स्वभाव को देखते हुए काफी उत्पाद आते हैं. पिछले 2 साल के दौरान फाल्गुनी के कारोबार ने काफी तरक्की की है. आज सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्र की अधिकांश कंपनियों की कुल बिक्री का योगदान करीब 2 फीसदी है, जो अगले 2 वर्षों में बढ़ कर 10 फीसदी तक होने की उम्मीद है. ऐसे में अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसे प्रतिस्पर्धियों के बावजूद दिग्गज व्यवसायी फाल्गुनी लगातार अपने कारोबार को बढ़ाने में जुटी हैं.
आड़े नहीं आई घरेलू जिंदगी
फाल्गुनी नायर की सफलता की राह में कभी उन की घरेलू जिंदगी बाधा नहीं बनीं. घर की जिम्मेदारियों और बच्चों की परवरिश के साथ काम की शुरुआत कभी फाल्गुनी को बोझ नहीं लगी. वे एक उत्साही, प्रतिभाशाली, सकारात्मक और दूरदृष्टि रखने वाली व्यवसायी हैं.
मुंबई में जन्मी फाल्गुनी के पिता बेयरिंग कंपनी के मालिक हैं. सच पूछें तो पिता से ही फाल्गुनी में व्यापार के गुण आए हैं. पिता के व्यवसाय को वह बचपन से देखती आई थीं. डायनिंग टेबल पर भी अकसर बिजनैस की बातें हुआ करती थीं. फाल्गुनी उन बातों को समझने और सीखने की कोशिश करती थीं. पिता के दिए टिप्स गहराई से उन के दिमाग में बस गए थे.
आईआईएम अहमदाबाद में पढ़ाई के दौरान उन की मुलाकात दिल्ली के रहने वाले संजय नायर से हुई थी. पहली मुलाकात में ही दोनों एकदूसरे को पसंद करने लगे थे और जल्दी ही दोनों के बीच नजदीकियां भी बढ़ गईं. पढ़ाई के दौरान ही दोनों ने साथ जीवन बिताने का फैसला ले लिया.
फाल्गुनी और संजय ने वर्ष 1985 में एकसाथ स्नातक की उपाधि ली और मई 1987 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए. शादी से पहले फाल्गुनी का पूरा नाम फाल्गुनी मेहता था. कालेज में संजय प्यार से उन्हें ‘एफएम’ कह कर बुलाया करते थे. 1990 में उन्हें जुड़वां बच्चे हुए, एक बेटा और एक बेटी. फाल्गुनी की बेटी भी आज उन के बिजनैस में उन की सहायक हैं जबकि बेटा न्यूयौर्क में मौरगेन स्टैनली के साथ कार्यरत है.
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि आज औरतें मर्दों से काफी आगे निकल रही हैं. फिर चाहे पढ़ाई हो या बिजनैस तमाम बंदिशों के बावजूद ऐसी बहुत सारी दमदार औरतें हैं, जिन्होंने अपने काम से समाज की सोच को बदला है.
आज कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी फाल्गुनी का मानना है कि यह अभी उन के कैरियर की शुरुआत ही है. वे कहती हैं, ‘‘हम किसी भी मुकाम पर पहुंच जाएं फिर भी मीलों का सफर बाकी ही रहता है.’’