केंद्र सरकार किस तरह गरीब ही नहीं, अमीर लोगों को भी नएनए कर लगा कर लूट व चूस रही है, इस का नया उदाहरण है विदेशों में जाने, बच्चों को पढ़ाने, विदेशों में इलाज कराने आदि पर भी टैक्स लगाया गया या बढ़ाया गया है. देश की सरकार की लिब्रलाइज्ड रैमिटैंस स्कीम के अंतर्गत अब विदेश में 7 लाख रुपए से अधिक खर्च करने वालों को 20 प्रतिशत टैक्स देना होगा.

यह उस पैसे पर टैक्स है जिस पर आम नागरिक देश में पहले से ही तरहतरह के टैक्स दे चुका है और 30 प्रतिशत तक का इनकम टैक्स भर चुका है.

इस तरह के टैक्स का सीधा मतलब तो यह होता है कि पैसा जैसे गैरबैंकिंग तरीकों से भेजा गया. अब लोग हवाला से पैसा और ज्यादा भेजेंगे जिस में खर्च बहुत कम होता है. यह आसान है क्योंकि भारत से बाहर बसे लगभग 3 करोड़ भारतीय काफी पैसा कमा रहे हैं और उन्हें बैंक के जरिए पैसा भारत में अपने संबंधियों को भेजना होता है. हवाला के जरिए संबंधियों के पास यह पैसा नकद में आ जाएगा और अगले साल से उन्हें इस पर टैक्स नहीं देना होगा.

विदेशों से अभी भी नीची जातियों के भारतीय कामगार, मजदूर और कुछ मामलों में ऊंची जातियों के ऊंची पोस्टों पर बैठे लोग भी भारत में अपने संबंधियों को पैसा बैंकिंग चैनल से भेजते हैं और यह रकम 120 लाख करोड़ रुपए से अधिक की होती है. जो विदेशी सामान भरभर कर खरीदा जा रहा है, जिन में प्रधानमंत्री के लिए खरीदे गए 2 विशाल हवाईजहाज, प्रत्येक 8,000 करोड़ रुपए की कीमत के शामिल हैं. भारतीय दूतावास भरभर कर पैसा खर्च कर रहे हैं. सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति पर भी खर्च विदेशी मुद्रा में किया गया था.

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