6 महीने की बेटी के युवा मांबाप निहत्थे निर्दोषों की जान लेने पर उतारू हो जाएं यह सुनने में जमता नहीं पर ऐसा हुआ जब 2 मुसलिम पाकिस्तानी मूल के युवाओं ने अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के छोटे शहर सैन बर्नारडिनो में एक क्रिसमस पार्टी पर हमला कर 14 लोगों को भून डाला और 17 अन्य घायल हो गए. एक आम दंपती की तरह रह रहे इस युगल ने कई राइफलें, पाइपबम और सामान्य बम जमा कर रखे थे मानो वे पाकिस्तान के स्वात जिले में हों, अमेरिका में नहीं. अमेरिका में इस तरह की घटनाएं रोज होने लगी हैं, क्योंकि वहां हरेक के पास बंदूक का हक है और हरेक बेहद तनाव में जी रहा है. अमेरिका की आर्थिक प्रगति ने कुछ में इतना असंतोष पैदा कर दिया है कि जिस की मरजी होती है वह 4-5 बंदूकें खरीद कर अपना गुस्सा कभी स्कूली बच्चों पर, कभी बाजार में खरीदारी करते लोगों पर उतारता है, तो कभी वहां जहां मानसिक अक्षम लोग क्रिसमस पार्टी कर रहे थे गोलियां बरसा देता है. यह युगल तो इसलामी था पर अमेरिका में ज्यादातर हत्याएं गोरे ही कर रहे हैं, जो सिर्फ इसलिए खूनखराबा करते हैं कि वे तनाव में रहते हैं और वहां हथियार भी आसानी से उपलब्ध हैं.

पिछले 20 सालों में इन हत्याओं में अमेरिका में इतने लोग मारे गए हैं जितने अमेरिका के दूसरों के साथ युद्धों में नहीं मारे गए. इस मारामारी का बड़ा कारण हथियार सुलभ होना है. अमेरिका के संविधान बनाने वालों ने हथियार रखने का हक मौलिक  अधिकार बना दिया था ताकि यूरोप की तरह शासकों की तानाशाही लागू न हो सके. इस से अमेरिका में लोकतंत्र तो कायम हुआ पर घरेलू आतंक भी है. अमेरिका के परिवारों में अनुशासन की भारी कमी है. वहां जो स्वतंत्रता बच्चों व युवाओं को उपलब्ध है वही उस की नई सोच, नई खोजों, नई तकनीक, कड़ी मेहनत का कारण है, पर वहीं जो रेस में पीछे रह गया उस पर यह स्वतंत्रता बुरी तरह चेचक के दागों की तरह उभर आती है और अगर हाथ में हथियार हो तो जानकार या अनजाने को मार डालने को उकसा देती है. अमेरिका ने बचाव के लिए जेलें बनाई हैं जहां उद्दंड युवाओं को बंद करा जा सके पर वहां तो वे और भी ज्यादा अपराध सीख रहे हैं. इसलामी आतंकवाद ने और पाठ पढ़ा दिया है कि शासकों को डराने के लिए निहत्थे निर्दोषों को मारना सब से ज्यादा आसान है. युद्ध कला में इसलामी देश बेहद कमजोर हैं पर वे आतंकवाद के सहारे दहशत फैलाने में सफल हैं. इसी तर्ज पर तनावग्रस्त अमेरिकी युवा नशे और आजादी के मिश्रित घोल का लाभ उठा कर आम लोगों के लिए कहर बन रहे हैं. इसलामी आतंकवाद ने मन में बैठा दिया है कि अपनी हार, खीज, असफलता के लिए पड़ोसी के घर में आग लगा देना तो धार्मिक हक है. जब मौलवी इसे सही ठहरा रहे हैं तो पक्की बात है यह ऊपर वाले की मरजी है.

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