शीतल निकम, ड्रैस डिजाइनर

आत्मविश्वास से चमकता चेहरा, बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल, ठाणे निवासी शीतल निकम ने अपने सुंदर, सजे बुटीक में गरमजोशी से स्वागत किया. उन से बात करने के लिए मैं उन से समय ले कर गई थी. इस क्षेत्र में उन का बुटीक दिनोंदिन अपनी नईनई ड्रैसेज के कारण खूब सुर्खियां बटोर रहा है.

अपने घर के एक कोने से बुटीक तक के सफर में उन्होंने जो मेहनत की, जिस लगन से यहां तक पहुंचीं, वह सराहनीय है. पेश हैं, उन से बातचीत के कुछ अंश:

आप की इस काम में रुचि कैसे हुई?

मैं दर्जी परिवार की लड़की थी और यह काम मुझे बहुत क्रिएटिव लगता था. दादी तो इतनी होशियार थीं कि एक बार सामने वाले इंसान पर नजर डालतीं और उस की नाप का कपड़ा काट कर रख देतीं. मैं खूब मूवीज देखती थी. मैं ने अपना पहला कपड़ा एक पीले रंग का सूट सिला था. एक मूवी देख कर पटियाला स्टाइल का सिला था जो मुझे आज भी याद है.

मैं कभी मम्मी से पूछपूछ कर मोतियों के सैट्स बनाती. कपड़ों पर कई तरह की पेंटिंग्स करना सीखा, घर के परदों, चादरों पर कुछ भी पेंट करती, उन्हें सजाती रहती. धीरेधीरे पापा ठेकेदारी का काम करने लगे, जिस से उन्हें थोड़ी सफलता मिलनी शुरू हुई, आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और फिर जब एक दिन हम लोग घर में बासमती चावल खा रहे थे, वह दिन हमारे लिए बहुत बड़ा था. लगा, हां अब उतने गरीबी के दिन नहीं रहे. पापा का काम चलने लगा था.

5वीं से 10वीं तक मैं ने कई चीजें सीखीं, कई कोर्स किए. 10वीं के नंबरों पर पापा से साइकिल मिली जो उन की तरफ से गिफ्ट के रूप में मिली पहली चीज थी. 12वीं के बाद मैं ने टेलरिंग की क्लास ली. मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, मैं कई घंटे लगातार पढ़ा करती. नवापुर से फिर मैं ने 2 साल का डीएड किया. बीए के दूसरे साल में ठाणे के विनोद निकम से मेरी शादी हो गई. बीए की पढ़ाई मैं ने शादी के बाद पूरी की. मुझे कुछ करना ही था, मैं खाली बैठ ही नहीं सकती थी. मैं ने ऐरोली में 1 साल एक स्कूल में टीचिंग भी की.

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