सिंधिया गर्ल्स स्कूल ग्वालियर के पास घने जंगल में बना हुआ है. मैं वहां 2 साल पढ़ी थी. ये ही वे साल थे जब मुझे कम नंबर मिले थे. उन दिनों मुझे जंगल में एक छोटा सा मंदिर मिला था और किसी ने बताया कि स्कूल का होमवर्क करने की जगह अगर मैं वहां 101 बार पूजा करूंगी तो मैं हमेशा क्लास में प्रथम आऊंगी.

फिर क्या था, मैं ने हमेशा की तरह 2 घंटे पढ़ाई करने की जगह 2 घंटे पूजा करनी शुरू कर दी. नतीजा था कि सामान्य तौर पर मिलने वाले 80% अंकों की जगह मुझे मिले सिर्फ 50% और पेरैंट्स से अपनी बेवकूफी के लिए खूब डांट पड़ी.

ठगी के नए पैंतरे

हर दिन पीपल्स फौर ऐनिमल्स के लिए काम करते हुए मुझे मानव स्वभाव की बेवकूफियों, कू्ररताओं और खपतीपन के उदाहरणों के रहस्य खुले मिलते हैं. हमारे साथ काम कर रही एक लड़की एक दिन जानकारी लाई कि एक दुर्लभ पौधे की जाति जिसे हठजोड़ी के नाम से जाना जाता है को मध्य प्रदेश के जंगलों से ला कर तांत्रिक पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए फ्लिपकार्ट व ओएलएक्स पर बेचा जा रहा है.

फ्लिपकार्ट को जब यह बताया गया तो उन्होंने अफसोस जताते हुए इसे वापस ले लिया पर दूसरी वैबसाइटों जैसे तंत्रवेदा, स्पीकिंग ट्री, ऐस्ट्रोविधि, काम्यसिंदूर वैबसाइटें लगातार नए बेवकूफ मुरगे फांसने के लिए इसे बेच रही हैं. वे हठजोड़ी का फोटो डालती हैं और इस की चमत्कारिक शक्तियों का बखान करते हुए एक मोबाइल नंबर कर संपर्क करने को कहती हैं. धार्मिक काम करने वाली इन साइटों को अपने अनैतिक व अवैध काम का एहसास होता है, इसलिए पता देने का सवाल ही नहीं होता. वे यह भी कहना नहीं भूलतीं कि वे इसे बेच नहीं रहीं, वे तो 40 देशों में मानव सेवा कर रही हैं.

क्या है हठजोड़ी

हठजोड़ी वास्तव में पौधा है ही नहीं. कोई  भी साइट इस के वनस्पतिक नाम को नहीं बता सकती और न ही यह बता सकती है कि कौन से जंगल के कौन से आदिवासी इसे उगाते हैं. कुछ इसे फूल बताती हैं, कुछ कहती हैं कि जड़ें हैं ये. कुछ कहती हैं कि ये कुछ विशेष पेड़ पर आने वाले छोटे पौधे हैं. एक साइट कहती है कि यह भर्नानिया अनुआ है, जिस के परपल फूल के बीज आम की शक्ल के होते हैं, जिन में छोटे हुक लगे होते हैं, जिस से यह आसपास गुजरने वाले जानवरों के पैरों के जरीए नई जगह पर पहुंच जाते हैं और फिर वहां फूलने लगते हैं.

बंगाली में इन्हें बाघचकी कहते हैं और अंगरेजी में डैविल्स कला. हिंदी में उलट कांटा कहा जाता है. एक साइट इसे नेपाली पौधा  बताती है, तो एक मैक्सिको का.

हठजोड़ी असल में एक हड्डी है. यह असल में विलुप्त होती मौनीटर छिपकली के लिंग का हिस्सा है. यह छिपकली की प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है और संरक्षित प्राणियों में आती है. हर साइट जो इसे बेच रही है यह जानती है. इसीलिए इस के बारे में चमत्कारों की झूठी बातें करने के बखान के बाद अंत में लिखती हैं कि यह बिकाऊ है ही नहीं.

इस सूखे लिंग के 2 हाथ से निकले होते हैं, जो आपस में लिपटे होते हैं. इसीलिए इसे हठजोड़ी कहते हैं. इस लिंग से क्या होने का दावा करा जाता है? अगर इस लिंग का थोड़ा सा टुकड़ा रोज खाएंगे या इसे तिजोरी में रख देंगे तो आप दुश्मनों पर विजय पा लेंगे, अदालतों में मामले जीत जाएंगे, अमीर बन जाएंगे, भूतों से छुटकारा मिलेगा, बाधाओं को पार करेंगे, वशीकरण की शक्ति पा लेंगे, जिंदगी सुखद व सुरक्षित होगी.

सावधानी के तौर पर ये साइटें यह कहना नहीं भूलती हैं कि ये उपलब्धियां तब होंगी जब आप तांत्रिक अनुष्ठान भी कराएंगे और उन पर खुल कर खर्च करेंगे. पुजारी साइट ही बताएगी. पुजारी और सामान भी लाने को कहेगा पर यदि अनुष्ठान में चूक हो गई तो वांछित फल नहीं मिलेगा.

जितनी साइट्स उतनी बातें

 कुछ साइटें कहती हैं कि इसे तेल में भिगो कर लाल कपड़े में लपेट कर सिंदूर लगा कर रखना होता है. कुछ कहती हैं कि इलायची या तुलसी के पत्तों में लपेट कर चांदी के बक्से में रखना होता है. कुछ खा जाने का निर्देश देती हैं ताकि आप और खरीदने के लिए उन के पास जाएं.

कुछ कहती हैं कि आप कमरे में बैठें, हाथ में पकड़ें और मंत्र पढ़ते रहें. और तब तक पढ़ते रहें जब तक कुछ मिल न जाए. मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा करने से कुछ कैसे मिलेगा? हां, पागलखाने जरूर पहुंच सकते हैं. इसे गंगाजल से धो कर पूजा कर, सेफ या पर्स में रखना होगा. सेफ या पर्स ही तो असल पूजा है न.

कुछ कहती हैं कि 40-41 दिन तक हनुमान की मूर्ति के पास रखें और रोज चंदन, चावल, फूल चढ़ाएं. कुछ कहती हैं कि कपूर, लौंग, चावल और चांदी के सिक्कों के साथ रखें. कुछ पर कहा गया है कि इसे दीवाली के समय खरीदें ताकि जूए में इस्तेमाल करा जा सके. अब यह सोचने की बात है कि छिपकली के लिंग की कीमत कितने रुपए कार्ड टेबल पर होगी?

मौनीटर लिजार्र्ड की 4 प्रजातियां देश में पाई जाती हैं और इन में कुछ सौ बची हैं और संरक्षित प्रजातियों में आती हैं. मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान व कर्नाटक में ये मिल जाती हैं और आदिवासी इन्हें पकड़ कर इन का लिंग काट कर बेचते हैं. वाइल्डलाइफ ऐक्ट 1972 के अंतर्गत इन का या इन के अंगों का व्यापार अपराध है पर कुछ ही पकड़ में आ पाते हैं. अब तक 210 हठजोडि़यां पकड़ में आई हैं. अगर आप को इन हठजोडि़यों का विज्ञापन कहीं दिखे तो मुझे अवश्य बताएं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...