दीपावली की रात हम सभी बाहर लौन में पटाखों की रौनक देखने बैठ गए. अड़ोसीपड़ोसी, छोटेबड़े सभी पटाखे जलाने में मशगूल थे. हंसीमजाक और पटाखों के शोर के बीच अचानक आवाज उभरी, ‘‘मां... मां...’’ नजर घुमाई तो देखा, मेरा छोटा भाई वहां मौजूद नहीं था. न जाने कब वह पटाखे जलाने वालों के झुंड में शामिल हो गया था. हालांकि वह खुद पटाखे नहीं जला रहा था, लेकिन जलते हुए अनार की एक चिनगारी उस की पैंट की जेब को छू गई. एक भभके के साथ आग उठी और उस की पैंट की जेब में रखे मिर्ची बम फटफट कर जल उठे. छोटा बच्चा कभी एक टांग पर कूदता तो कभी दूसरी. पास में न कंबल था, न पानी की बालटी. जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया गया, उस का 10% शरीर बुरी तरह झुलस चुका था.
रोशनी का त्योहार दीपावली सभी के जीवन में सुखसमृद्धि लाने वाला त्योहार है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दीवाली पर पटाखों के इस्तेमाल पर सख्ती बरती है और कई दिग्गज भी पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए लोगों से पटाखे न जलाने की अपील करते हैं, फिर भी पटाखों और मिठाई के बिना दीवाली का मजा ही क्या है, जैसी धारणा वाले लोगों की कमी नहीं है.
रहें सावधान
यदि आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो अपनाएं ये सावधानियां, क्योंकि जरा सी चूक आप के और आप के पूरे परिवार और पासपड़ोस के लिए घातक सिद्ध हो सकती है:
पटाखे हमेशा मान्यता प्राप्त दुकान से ही खरीदें और यह कोशिश करें कि बच्चों को अकेले पटाखे खरीदने न जाने दें.
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