कुछ साल पहले टैलीविजन पर एक विज्ञापन आता था, जिस में एक बच्चा दुकानदार से शुद्ध नमक मांगता है, लेकिन दुकानदार उसे बच्चा समझ कर साधारण नमक थमा देता है, जिसे देख कर बच्चा तुरंत दुकानदार से कहता है, ‘‘शुद्ध नहीं समझते क्या... मुझे शुद्ध नमक ही चाहिए.’’
इस विज्ञापन में जिस तरह से बच्चे को जागरूक दिखाया गया है उसी तरह आज के किशोरों को भी जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि अकसर किशोर जब खरीदारी के लिए जाते हैं तब न तो मोलभाव करते हैं और न ही जांचपड़ताल. बस, दुकानदार को बताया कि क्या चाहिए और ले कर चल दिए. कई किशोर तो ऐसे भी होते हैं जो खरीदारी के समय भी अपने फोन पर ही व्यस्त रहते हैं. कुछ किशोरों को तो इतनी जल्दी रहती है कि देखते भी नहीं कि दुकानदार ने क्या दिया है और उन्हें क्या चाहिए था, जिस की वजह से दुकानदार उन्हें आसानी से बेवकूफ बना लेते हैं, कभी ज्यादा पैसे वसूल लेते हैं, तो कभी खराब सामान दे कर अपना फायदा कर लेते हैं, इसलिए जरूरी है कि किशोर खरीदारी की कला सीखें ताकि जब कोई उन्हें लूटने की कोशिश करे तो समझदारी से निबट सकें.
सस्ते के चक्कर में न पड़ें
किशोर सस्ते के चक्कर में बेवकूफ बन जाते हैं, उन्हें लगता है कि इतने कम दाम में क्या मिलता है इसलिए एक नहीं बल्कि 2-3 खरीद लेते हैं. बाद में जब इस्तेमाल होता है तब अफसोस होता है. ऐसे में न सिर्फमम्मी की डांट सुननी पड़ती है बल्कि सारी पौकेटमनी भी खत्म हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि खरीदारी करते समय सस्ती चीजों पर न टूट पड़ें, बल्कि अच्छी तरह जांचपड़ताल कर के ही सामान खरीदें.