इस बार उत्तर भारत के हिल स्टेशन हाउसफुल हो गए हैं. नैनीताल में पुलिस ने शहर तक आने वाली गाडि़यों को काफी दूर रोक दिया और शिमला पानी के संकट से घिरा रहा. बाकी हिल स्टेशन भी भर गए हैं. छुट्टियों में किसी ठंडी जगह जाना अब एक गरम इच्छा बन कर रह गई है और एअरकंडीशंड गाडि़यों का सफर भी भाता नहीं है जब हिल स्टेशन के निकट ट्रैफिक जामों का सामना करना पड़े. लगभग हर हिल या तटीय पर्यटन स्थल अब अपना चार्म खो चुका है. लोग जहां 2 पल सुकून के पाने आते थे वहां उन्हें भीड़, कमरों की कमी, खाने की दुकानों पर भीड़ और दलालों का मुकाबला करना पड़ता है. सभी अपनी हैसीयत से ज्यादा खर्च करते हैं पर अंतत: पछताते हैं कि आखिर आए ही क्यों.

हिल या तटीय पर्यटन स्थलों पर जाना अब फैशन तो बन गया है पर इस कदर भीड़ हो गई है वहां कि जिस तनाव को दूर करने के लिए जाया जाता है, उस का दोगुना मिल जाता है और गरम शहर भी भाने लगते हैं. मुसीबत यह है कि पहले जहां लोग अपने मामाचाचा के पास छुट्टियों में जा सकते थे और औरतें मां या सास के पास, अब उस के रास्ते बंद हो गए हैं. मोबाइल तकनीक के कारण एक तो मां या सास बहुत नजदीक हो गए हैं और दूसरा अब शहरों के मकान इतने छोटे और उन में रहने वालों के दिल इतने संकीर्ण हो गए हैं कि मेहमानों के लिए कोई जगह ही नहीं बच रही है.

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