देश में यूजीसी नेट परीक्षा में भयावह अनियमित को लेकर अभ्यर्थियों में जबर्दस्त गुस्सा है. मगर नरेंद्र मोदी की सरकार शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रही है. एक तरफ छात्र संगठनों ने 20 जून को दिल्ली में शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आवास के बाहर प्रदर्शन किया. जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों समेत कई छात्र संगठनों के छात्र शामिल हुए और आवाज बुलंद की मगर केंद्र सरकार आंख बंद करके दिखाए कर रही है. यह मामला सुलगता चला जा रहा है यही कारण है कि देश में कई जगह प्रदर्शन हुए. कहां जाता है कि छात्र शक्ति को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए मगर जाने किस स्वार्थ में ऐसा हो रहा है.

आक्रोशित छात्रों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग कर दी है. युवाओं ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आवास का घेराव कर नकली नोटों से भरा एक बैग हवा में प्रतीकात्मक रूप से उछाला और मामले की तत्काल जांच की मांग की.

पुलिस ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के दो दर्जन से अधिक छात्रों और विभिन्न छात्र संगठनों के सदस्यों को हिरासत में लिया. दूसरी तरफ देश के उच्चतम न्यायालय ने परीक्षा रद्द करने सबधी याचिकाओं पर केंद्र व एनटीए से जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट ने ‘राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी), 2024’ को रद्द करने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध करने संबंधी याचिकाओं पर 20 जून 2024 को केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी (एनटीए) और अन्य से जवाब मांग कर उसे सांसत में डाल दिया है मगर सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि वह काउंसलिंग प्रक्रिया को नहीं रोकेगा.
शीर्ष अदालत ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष नीट 2024 परीक्षा से संबंधित कुछ लंबित याचिकाओं पर आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ व न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की अवकाश कालीन पीठ ने एनटीए की चार अलग-अलग याचिकाओं पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

सरकार का चातुर्य

सरकार ने इस सुंदर में चितलाई का प्रदर्शन किया है यानी दोनों हाथों में लड्डू…! राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित यूजीसी नेट परीक्षा के संबंध में शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी का कथन है -परीक्षा के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली थी बल्कि उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए छात्रों के हितों को देखते हुए इसे रद्द गया. शिक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव गोविंद जायसवाल के मुताबिक जानकारी का ब्योरा साझा नहीं किया जा सकता क्योंकि मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दिया गया है . हमें कोई शिकायत नहीं मिली है लेकिन एजेंसियों से हमें जो सूचनाएं मिलीं उनसे संकेत मिला कि परीक्षा की शुचिता से समझौता किया गया है. मंत्रालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए छात्रों के हितों को देखते हुए यह कदम उठाया . परीक्षा की नई तिथि जल्द घोषित कर दी जाएगी.

जांच में सच्चाई सामने

अब जब जांच मंद गति से ही चल रही है तो कुछ सनसनी खेज बातें सामने आ रही है. एक छात्र ने स्वीकार किया -‘मेरे फूफा ने कहा, परीक्षा के लिए सेटिंग हो चुका है…..मुझे नीट परीक्षा का प्रश्न पत्र एवं उत्तर पुस्तिका दी गई एवं रात्रि में रटवाया गया. और वही प्रश्न सही सही परीक्षा में मिल गया.’ यह बयान है नीट के एक अभ्यर्थी अनुराग यादव का. यह उन चार विद्यार्थियों में शामिल है, जिन्हें परीक्षा से एक रात पहले प्रश्नपत्र के उत्तर याद कराए गए थे. अनुराग यादव कोटा, राजस्थान में परीक्षा की तैयारी कर रहा था. उसे उसके फूफा सिकंदर प्रसाद ने बुलावा भेजा था.

बिहार पुलिस ने इस परीक्षा के गड़बड़ झाले के मद्दे नजर एक मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है. वे सभी फिलहाल पटना जेल में बंद हैं. सभी के बयान परीक्षा के बाद पांच मई को पटना के शास्त्री नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए, जहां कथित पेपर लीक का मामला दर्ज हुआ था.

सनद रहे कि 13 आरोपियों के बयान सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए , मामले को अपने हाथ में लेने वाली आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने अभी तक सीआरपीसी की धारा 164 के तहत किसी भी आरोपी का बयान दर्ज नहीं किया है, जो अदालत के समक्ष स्वीकार्य है क्योंकि ये बयान न्यायिक अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. चार परीक्षार्थियों सहित सभी 13 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 407, 408 और 409 (जो आपराधिक विश्वासघात से संबंधित है) तथा धारा 120बी (जो आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित है) के तहत मामला दर्ज किया गया.

उल्लेखनीय है कि पटना, बिहार के गोपालपुर का रहने वाला नीतीश कुमार मुख्य आरोपी है और कथित तौर पर चार ‘सेटर्स’ में से एक है. कुल मिला करके नेट परीक्षा की यह स्थिति बताती है कि शिक्षा व्यवस्था किस तरह निम्न से निम्नतम स्तर की ओर जा रही है और इसका खामियजा आने वाले समय में देश की आवाम को ही उठाना पड़ेगा. हां और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के बड़े लोग बड़े चेहरे बड़े-बड़े नेता अब तो विदेशों में इलाज करवाने लगे हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...