बंग्लुरु में 22 जनवरी 2020 को इसरो की लेडी गगनाट व्योममित्रा ने पत्रकारों को हैलो कहने के बाद कुछ इसी अंदाज में अपना परिचय दिया.लेकिन व्योममित्रा कोई महिला नहीं,महिला की शक्ल का एक हाफ ह्यूमनॉइड यानी रोबॉट है.जो इंसान की तरह चल फिर सकता है.मानवीय हाव-भाव को समझ सकता है.वास्तव में ह्यूमनॉइड ऐसा रोबोट होता है जिसके शरीर के आकार को मानव शरीर जैसा बनाया जाता है.यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग के जरिए इंसान जैसी तमाम गतिविधियों को अंजाम देता है.ह्यूमनॉइड विज्ञान का कोई नया चमत्कार नहीं है.सच तो यह है कि इसकी विकास यात्रा हजारों साल पुरानी है,जब दूर दूर तक कहीं आधुनिक रोबोटिक्स का वजूद तक नहीं था.लेकिन मौजूदा क्षमता वाले ह्यूमनॉइड अभी कुछ सालों की रोबोटिक्स का ही कमाल हैं.इसलिए अगर कहा जाय कि व्योममित्रा का परिवार फिलहाल बहुत छोटा है तो अतिश्योक्ति न होगी.अभी महिलाओं की छवि वाले ऐसे रोबोट्स की संख्या एक दर्जन भी नहीं है.लेकिन हम इस किस्म के ह्यूमनॉइड पर बात करें इससे पहले आइये जान लें कि व्योममित्रा का आविर्भाव इसरो ने किस उद्देश्य से किया है और यह उसकी कितनी बड़ी उपलब्धि है.
क्यों विकसित की गयी है व्योममित्रा ?
अपने पहले मानव मिशन 2022 के पहले भारतीय अंतरिक्ष संगठन [इसरो]अपनी तैयारियों को जांचने के उद्देश्य से दिसंबर 2021 में इस 'लेडी रोबोट' व्योममित्रा को अंतरिक्ष के मिशन में रवाना करेगा.किसी जीती जागती आधुनिक महिला सा दिखने वाला यह रोबोट वास्तव में उन्हीं गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करेगा,जिन गतिविधियों को अंजाम देने की उम्मीद भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों से है.इस तरह देखें तो व्योममित्रा नामक यह ह्यूमोनायड भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की रिहर्सल करने के लिए विकसित किया गया है ताकि अंतरिक्ष यात्रियों के हिस्से कम से कम जोखिम आये.इस तरह व्योममित्रा अंतरिक्ष में मानव गतिविधियों को अंजाम देगा. साथ ही वहां के पर्यावरण से तालमेल बिठाने के साथ साथ जीवन रक्षक प्रणाली को नियंत्रित करने की कला को समझेगा. प्रेस मीट के दौरान अपनी जरूरत और अपनी भूमिका के बारे में खुद पत्रकारों को व्योममित्रा ने यह सब बताकर हैरान किया है. उसी के शब्दों में,‘मैं हाफ-ह्यूमोनायड की प्रोटोटाइप हूं. मुझे पहले मानवरहित गगनयान मिशन के लिए बनाया गया है.मैं माड्यूल पैरामीटर की निगरानी कर सकती हूं तथा पैनल ऑपरेशन शुरू करने जैसी गतिविधियों को अंजाम दे सकती हूं.’
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