देश के 3 बड़े शहर हर साल 2 साल में भारी वर्षा के बाद जलभराव के शिकार हो जाते है. आजकल बंगलौर चर्चा में है पर पहले चेन्नै और मुंबई इस तरह की खबरों में बने रहते रहे हैं. टीवी दर्शकों के लिए तो ये सीन बहुत ही आकर्षक होते हैं जब वे देखते हैं कि स्मार्ट, यंग, पढ़ीलिखी दिखती युवतियां जो फैशनेबल कपड़ों के बिना घर से नहीं निकलती थीं, सादे कपड़ों में गंदे बदबूदार पानी में से पैदल, ट्रैक्टर, जेसीबी, ट्रक, पर घर का सामान लादे चल रही हों.

अगर पहले पता हो तो शायद न्यूज चैनल, फेसबुक, ट्विटर इन दिनों जब उन शहरों की जनता रो रही हो, अपनी मेहनत की कमाई को गलते देख रही हो, वे बढ़े आईबौल्स के लिए आईपीएल के भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच जैसे विज्ञापन लेने लगे.

इन शहरों की जमीनों की कीमतें चाहे आसमान में हों, इन की जमीन बेहद कमजोर हैं. बिल्डर्स ऊंचे मकान बनाना तो जानते हैं, राज्य सरकारें और नगर निगम टैक्स और ऊपर की रिश्वत लेना जानते हो पर शहरों का प्रबंध कैसे करना है नहीं जानते. उस बात से बेखबर घर चलाने वाले अपनी मेहनत की कमाई उन मकानों में डालते रहते हैं जो पानी से न जाने कब खराब हो जाएं और बहुत सा नुकसान हो जाए. इन शहरों की जनता को आमतौर परकोई फर्कनहीं पड़ता क्योंकि शहरों की 50 से अधिक प्रतिशत जनता तो वैसे ही ऐसे मकानों में रहती है जो थोड़ी से बारिश में बहने, ढहने लगते हैं. यह हिस्सा तो आदी है भारी वर्षा का भी, कम वर्षा का भी और सूखे का भी.

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