यों तो सालभर देशभर में कहीं न कहीं से भयानक आग लगने की खबरें आती रहती हैं लेकिन गरमी के मौसम में आग लगने के हादसों की तादाद बढ़ जाती है. इस साल अप्रैल में आग लगने की 2 दर्जन बड़ी घटनाएं हुईं जिन में सब से ज्यादा दिल दहला देने वाला हादसा मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के हर्रई ब्लौक के गांव बारगी में हुआ.

22 अप्रैल की शाम 4 बजे चिलचिलाती धूप में बारगी गांव के सैकड़ों लोग राशन की दुकान के सामने लाइन में लगे थे. यह राशन की दुकान ठीक वैसी ही है, जैसी देशभर में होती हैं कि एकाधदो कमरे राशन की सहकारी दुकान चलाने वाला किराए पर ले लेता है. इन में बांटा जाने वाला अनाज और राशन के दूसरे आइटम ठूंसठूंस कर भरे रहते हैं. एक तरह से राशन की इन सस्ती दुकानों को छोटेमोटे गोदाम कहना ज्यादा बेहतर होगा.

बारगी में गांव वालों को बांटने के लिए कैरोसिन का तेल इस दिन आया था. यह खबर आग की तरह गांवभर में फैली तो देखते ही देखते तेल लेने वालों की भीड़ इकट्ठी हो गई. बाहर लाइन लगी तो दुकानदार भीतर अनाज बांटने लगा. चूंकि कैरोसिन चाहने वालों की तादाद ज्यादा थी, इसलिए दुकानदार ने दरवाजे पर कैरोसिन का ड्रम रख लिया. जिन्हें अनाज चाहिए था वे दुकान के भीतर रह गए और जिन्हें कैरोसिन चाहिए था वे बाहर लाइन में खड़े हो गए.

सैकड़ों लोगों को उन की मांग के मुताबिक कैरोसिन का तेल बांटने में देर लग रही थी. लाइन में लगे गांव वालों में से किसी ने आदतन बीड़ी सुलगा ली और पीने के बाद आदत के मुताबिक ही उस का ठूंठ फेंक दिया. इसी दौरान एक और गांव वाले ने बीड़ी सुलगा कर तीली फेंकी तो वह कैरोसिन के ड्रम के पास जा गिरी. कैरोसिन ने आग पकड़ी तो देखते ही देखते हाहाकार मच गया.

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