Diamond : सभी जानते हैं कि डायमंड एक दुर्लभ और प्राकृतिक मिनरल है, जो शुद्ध कार्बन है और सालों बाद पृथ्वी के नीचे से माइनिंग द्वारा निकाला जाता है. हीरे का निर्माण लगभग 3 अरब साल पूर्व पृथ्वी की सतह के अंदर अत्यधिक गरमी और दबाव की परिस्थितियों में हुआ था, जिस के कारण कार्बन परमाणुओं ने क्रिस्टलिकृत हो कर हीरे का निर्माण किया. हीरे पृथ्वी की सतह में काफी गहराई पर पाए जाते हैं. इस की चमक और कट सभी को पसंद आता है, इसलिए हीरे के गहने अंगूठियों से ले कर बढ़िया गहनों तक, हमारे रोजमर्रा के जीवन में, किसी खास अवसर पर इन्हें शामिल किया जाता है.
डायमंड का एक आभूषण हर लड़की का सपना अपने जीवनकाल में पहनने की होती है, क्योंकि इस की लुक और ऐलिगेंट अलग होती है.
प्राकृतिक डायमंड को बनने में सालों लगते हैं और इसे माइनिंग कर शुद्ध करने में काफी पैसे खर्च होता है, साथ ही यह खत्म होने वाला नैचुरल रिसोर्स है, ऐसे में वैज्ञानिकों ने लैब में बनने वाली डायमंड पर शोध किया और पाया कि यह नैचुरल से भी अधिक प्योरिटी लिए हुए और देखने में एकजैसी होती है. यही वजह है कि आजकल बड़ीबड़ी गहनों की कंपनियां लैब में तैयार डायमंड का ही अधिक प्रयोग करने लगी हैं, क्योंकि इस से बने गहने रियल डायमंड के जैसा लुक होता है और इस से बने आभूषण सस्ते भी होते हैं. रिसेल वैल्यू भी कुछ हद तक होती है.
लैब में हीरा बनता कैसे है
कुदरती हीरे धरती के गर्भ में लाखों साल में बनते हैं और माइनिंग के जरीए निकाले जाते हैं, जबकि लैब ग्रोन डायमंड को प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है. देखने में यह भी असली कुदरती हीरे जैसे दिखते हैं. दोनों का कैमिकल कंपोजिशन यानी जिन पदार्थ से हीरे बनते हैं, वह भी एकजैसा होता है, लेकिन लैब में बने हीरे 1 से 4 हफ्तों में तैयार हो जाते हैं. इन्हें भी सर्टिफिकेट के साथ बेचा जाता है. कुदरती हीरे का सीड ले कर ही लैब ग्रोन डायमंड बनाया जाता है. 1 कैरेट कुदरती हीरा जहां लगभग ₹4 लाख का मिलेगा, वहीं लैब में बना इतना ही हीरा ₹1 से 1.50 लाख में मिल जाता है. सस्ता होने के कारण आज लैब ग्रोन डायमंड्स की मांग तेजी से बढ़ रही है. लैब में तैयार किए हुए हीरे की बनावट, चमक, कलर, कटिंग, डिजाइन एकदम प्राकृतिक हीरे जैसी होती है.
हीरा कैमिकल वाष्प डिपोजिट से भी बनाया जा सकता है। इस प्रोसेस में वाष्प मोलेक्यूल भाप बनने दिया जाता है. उस भाप को नली के जरीए इकट्ठा किया जाता है, उस में कुछ रसायन मिला कर मजबूती से जमने के लिए रख दिया जाता है। इस तरह से कार्बन मोलेक्यूल्स हीरे जैसी बनावट हासिल कर लेती है,
जिसे ज्वैलर्स कटिंग और पौलिशिंग के जरीए असली हीरे जैसी चमक लाते हैं.
लैब डायमंड खरीदने से पहले
कुदरती हीरा और लैब ग्रोन डायमंड में अंतर नहीं होता, क्योंकि इसे भी वैसी ही प्रोसेस से तैयार किया जाता है जैसा रियल डायमंड का प्रोसेस होता है. इसलिए दोनों की लुक एक जैसी होती है. इस के लिए सिर्फ कार्बन सीड की जरूरत होती है, जो विदेश से मंगवाया जाता है. उसे माइक्रोवेव चैंबर में रख कर डैवलप किया जाता है. तेज तापमान में गरम कर के उस से चमकने वाली प्लाज्मा बौल बनाई जाती है. इस प्रोसेस में ऐसे कण बनते हैं, जो कुछ हफ्तों बाद डायमंड में बदल जाते हैं. फिर उन की कुदरती हीरों जैसे कटिंग और पौलिशिंग की जाती है.
जानकार मानते हैं कि बाजार में कुदरती डायमंड के नाम पर लैब ग्रोन डायमंड बेच कर कई लोग गलत मुनाफा कमाते हैं. इसलिए ऐसे हीरे को खरीदते समय सही दुकानों से ही खरीदारी करने की जरूरत होती है, जहां इस की सर्टिफिकेट मिले और आप इसे रिसेल कर सकें.
विदेशों में अधिक प्रचलित
विदेश में लैब में बने डायमंड की रीसेल वैल्यू 60-70% तक है, क्योंकि वहां डिमांड ज्यादा है. जानकार मानते हैं कि देश में भी डिमांड बढ़ेगी, तो इस का बड़ा मार्केट बढ़ेगा और रीसेल वैल्यू बढ़ेगी. कुदरती और लैब में बने डायमंड में फर्क करना मुश्किल है. दोनों में अंतर यही है कि लैब ग्रोन डायमंड में नाइट्रोजन नहीं है, जबकि नैचुरल डायमंड में टाइनी नाइट्रोजन होता है. लैब ग्रोन डायमंड खरीदने के वक्त GIA का सर्टिफिकेट लेना चाहिए, ताकि क्वालिटी और रिसेल वैल्यू मिल सके.
कीमती है लैब ग्रोन डायमंड बनाने की मशीन
हाई प्रेशर हाई टैंपरेचर (HPHT) क्यूबिक हाइड्रोलिक प्रेस एक ऐसी मशीन है जिस का इस्तेमाल लैब ग्रोन डायमंड बनाने के लिए किया जाता है. यह कार्बन सोर्स मैटेरियल, मसलन ग्रेफाइट को अत्यधिक उच्च दबाव और तापमान के अधीन कर के काम करता है, जो पृथ्वी की पपड़ी में प्राकृतिक हीरे के निर्माण की स्थितियों का फौलो करता है. लैब में हीरा बनाने वाली मशीन की कीमत भारत में लगभग ₹5,50,000 से ले कर ₹10,00,000 तक हो सकती है. इस की कीमत मशीन के प्रकार और उस की क्षमता पर निर्भर करती है. इस के अलावा लैब ग्रोन डायमंड टैस्टिंग मशीन की कीमत ₹6,49,000 है. CVD डायमंड ग्रोइंग मशीन की कीमत ₹10 लाख तक होती है.
इस प्रकार लैब ग्रोन डायमंड का बाजार विदेशों में अधिक प्रचलित है, लेकिन यहां भी इस का उपयोग 50% गहनों के लिए किया जाता है, जिसे ग्राहक पसंद करते हैं, लेकिन इसे खरीदते समय व्यक्ति को इस की गुणवत्ता को जांचने के लिए सर्टिफिकेट अवश्य लेने की जरूरत है.