जिंदगी में कई बार ऐसे पल आ जाते हैं कि हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है. सोचनेसमझने की शक्ति गायब होने लगती है. ऐसा लगता है कि अचानक ही हम आसमान से जमीन पर आ गिरे. मन में खयाल आने लगता है कि सबकुछ तो ठीकठाक चल रहा था अचानक यह कैसे हो गया. इतनी बड़ी बीमारी हमारे अपने को कैसे हो सकती है जिस का नाम तक अंगरेजी में होने की वजह से हमें ठीक से लेना तक नहीं आता, वह हमारे सब से प्यारे इंसान को कैसे हो सकती है जबकि वह अनुशासित जिंदगी जी रहा है, घर का खाना और लगातार व्यायाम के बावजूद भला कैंसर या इस से भी भयानक बीमारी कैसे हो सकती है?
सब से पहले तो इस बात का विश्वास ही नहीं होता और जब होता है तो पता चलता है कि हमें मरीज को बड़े अस्पताल में भर्ती कराना है क्योंकि उस भयानक बीमारी का इलाज महंगे अस्पताल और बड़े नामी डाक्टरों द्वारा ही संभव है.
ऐसे में जब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता तो बड़े हौस्पिटल में जहां बड़े डाक्टर और सारी सहूलियत मौजूद हैं वहां एडमिट करना ही एक हल होता है.
ऐसे में हमारा मकसद एक ही होता है कि किसी भी तरह हमें बीमार व्यक्ति की जान बचानी है फिर चाहे उस के लिए कुछ भी करना पड़े.
आज के समय में ज्यादातर लोग ऐसी मुसीबत का सामना करने के लिए पहले से मैडिक्लेम कर के रखते हैं ताकि बुरे वक्त में वे पैसे काम आ सकें. लेकिन कई बार बीमारी इतनी बड़ी हो जाती है कि मैडिक्लेम पौलिसी की छोटी रकम ज्यादा काम नहीं आती और बड़े अस्पताल में घुसते ही पैसों और पेमैंट किए जाने वाले बिल का मीटर जो चालू होता है वह लाखों तक पहुंच जाता है.
ऐसे में जिस के पास इलाज के लिए पैसे हैं उन को तो ज्यादा तकलीफ नहीं होती और सिर्फ मरीज का ही ध्यान रखना होता है. मगर जिस के पास पैसे नहीं होते उन के लिए मरीज की तकलीफ के अलावा दूसरा सब से बड़ा टैंशन यह होता है कि इलाज के लिए पैसों का बंदोबस्त कैसे और कहां से करें क्योंकि इलाज के दौरान तेजी से हो रहे खर्चे पर रोक लगाना संभव नहीं होता। डाक्टर जब तक और जैसे बोलता है मरीज के घर वालों को वह सबकुछ फौलो करना पड़ता है क्योंकि उन के पास दूसरा कोई चारा नहीं होता.
ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप पैनिक न हों और कोई भी निर्णय लेने से पहले सैकंड ओपिनियन दूसरे डाक्टर से जरूर लें और मरीज को अस्पताल में एडमिट करते वक्त कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान रखें. पेश हैं, इसी सिलसिले पर एक नजर :
आज के समय में हालात कुछ ऐसे हैं कि किसी भी उम्र के इंसान को कुछ भी होने की संभावना रहती है. इस के पीछे खास वजह पिछले कुछ सालों तक चली आ रही भयानक बीमारी कोविड का बुरा प्रभाव है. इस बीमारी के आने के बाद कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा और कोरोना की बीमारी जाने के बाद आज भी उस के दुष्परिणाम अलगअलग रूप में सामने आ रहे हैं। ऐसे नाजुक हालत में अपना ध्यान रखने के अलावा और स्वास्थ्य पर, खानपान पर ध्यान रखने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता.
अगर इस के बाद भी अचानक कुछ हो जाता है और अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ जाती है तो खास बातों का ध्यान रखें जिस में आप का इलाज भी हो जाए, पैसे भी कम खर्च हों और आप ठीक हो कर घर वापस आ जाएं.
अस्पताल में भर्ती होने से ले कर इलाज, दवाई और टेस्ट करने तक इन बातों का ध्यान रखें
सब से पहले तो किसी भी अस्पताल में भर्ती करने से पहले यह जानकारी जरूर लें कि वह अस्पताल जानबूझ कर बिल बढ़ाने वाला षड्यंत्र तो नहीं रच रहा? मरीज उस अस्पताल के लिए महज एक कस्टमर तो नहीं है जिसे लूटने का प्रोग्राम पहले से कुछ अस्पतालों में तय होता है?
ऐसे में बहुत जरूरी है कि जहां आप अपने मरीज को एडमिट करें वह अस्पताल वही खर्चे प्राप्त करे जो एक रैपुटेड अस्पताल में जरूरी होता है. जैसे, मरीज की देखभाल के लिए नर्स, डाक्टर और वार्डबौय का हर दिन का खर्चा, मरीज की देखभाल के लिए महंगी सहूलियतें का खर्चा जैसे महंगी मशीन, आईसीयू, वैंटिलेटर, महंगी दवाइयां आदि. क्योंकि यह सब ऐसे खर्चे हैं जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लेकिन यही खर्चे जरूरी और लिमिट में हैं तो उसे अदा करना खलता नहीं है, क्योंकि यह सब मरीज के भले के लिए है. लेकिन वहीं कई बार कुछ अस्पतालों में मरीजों को लूटने का गोरखधंधा भी जोरों पर चलता है जिस में मरीज तो ठीक हो जाता है लेकिन उस के इलाज का बिल इतना ज्यादा होता है कि उसे भरने में खुद का दम निकल जाता है.
लिहाजा, जब आप अपने मरीज को इलाज के लिए भर्ती करें तो मैडिकल उपकरण खरीदने से ले कर टेस्ट और दवा खरीदने तक हर तरह की सावधानी बरतें। सही दवा सही दाम में मिल सकें, जल्दबाजी में और बिना सोचेसमझे खर्चा कर के न सिर्फ आप पैसों की बरबादी करते हैं बल्कि मरीज की सेहत के साथ भी रिस्क लेते हैं.
दवाइयां और इंजैक्शन लेने के लिए अस्पताल के मैडिकल स्टोर का इस्तेमाल न करें क्योंकि वहां पर डाक्टर अस्पताल की दवाइयां और इंजैक्शन के लिए मैडिकल स्टोर वाले के साथ परसेंटेज बंधा रहता है जिस की वजह से कई बार डाक्टर ऐसी दवाइयां भी खरीदने के लिए जोड़ देते हैं जिस की जरूरत नहीं होती क्योंकि डाक्टर के साथ मैडिकल का कमीशन फिक्स होता है। इसलिए दवाओं की बिक्री भी ज्यादा करवाई जाती है. लिहाजा, अस्पताल के मैडिकल स्टोर के बजाय बाहर दर्जनों सरकारी लैब और मैडिकल स्टोर होते हैं, जहां से दवाएं ली जा सकती हैं जिस में कंसेशन भी मिल जाता है और बिना वजह की दवाओं से बचत भी हो जाती है.
गौरतलब है कि कुछ अस्पतालों में फिक्स कंपनियों की दवाइयां मरीज के लिए लिखी जाती हैं जिन पर डाक्टर का कमीशन फिक्स होता है. महंगे अस्पताल में टेस्ट और मैडिकल जांच के लाखों रुपए लगते हैं जैसे बड़े अस्पतालों में ब्लड, यूरीन, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, मलेरिया, शुगर, हेपेटाइटिस, कैंसर सहित बीमारियों की जांच पर लाखों का खर्चा हो जाता है जो सरकारी अस्पतालों में आधे दाम में हो जाते हैं. बीमारियां उतनी बड़ी नहीं होती हैं जितना उस का इलाज बड़ा बताया जाता है। ऐसे में अक्लमंदी से काम लेकर टेस्ट, एक्सरे आदि प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में कर के पैसे बचाएं जा सकते हैं.
सरकार भी अब डाक्टर पर महंगी दवाई बेचने को ले कर नकेल कसने के लिए तैयारी कर रही है, जिस के तहत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ऐसे डाक्टरों पर निगरानी रखने की तैयारी कर रही है, जो इलाज के नाम पर मरीज से मनचाहे पैसे वसूलते हैं.
नए प्रावधान में डाक्टर वही दवाई या मैडिकल उपकरण अपने मरीज को दे सकते हैं जिस का इलाज वह खुद कर रहे हैं.
लिहाजा, अस्पताल में भर्ती करते वक्त मैडिकल उपकरण और दवाइयां खरीदने को ले कर पूरी सावधानी बरतें. इस के अलावा जैनेरिक दवाइयां भी चुनें, ब्रैंडेड दवा की तुलना में जैनेरिक दवाइयां अकसर सस्ती होती हैं और उन की गुणवत्ता भी समान होती है.
इस के अलावा नियमित हैल्थ जांच करने की आदत डालें, क्योंकि उस से अगर कोई बीमारी है तो उस का पता जल्दी चल जाता है और उस का जल्दी इलाज होने के वजह से बाद में बड़ी बीमारी होने से बच जाती है और इस से स्वास्थ्य और पैसे दोनों की बचत होती है.
इस के अलावा मैडिकल बिलों का औडिट भी करवा सकते हैं जिस में बिलिंग के दौरान हुई त्रुटियों का पता चलता है और उस से बचा जा सकता है .
मरीज के लिए अत्यावश्यक देखभाल केंद्रों का उपयोग करें
आपातकालीन स्थिति में अत्यावश्यक देखभाल केंद्र अकसर सामान्य अस्पतालों की तुलना में कम महंगे होते हैं. इन सब सावधानियों के अलावा सब से जरूरी है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, सही खानपान, अनुशासन और पौजिटिव सोच के साथ जिंदगी गुजारना, जो आने वाली बीमारी से बचने में अहम भूमिका अदा करता है.