एशिया महाद्वीप के देश जापान में महिला अधिकारों की हार हुई. तकनीकी रूप से संपन्न देश जापान में 5 महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपने नाम के साथ पति का उपनाम न लगाने को ले कर अर्जी दी थी. मगर इस में कोर्ट ने महिलाओं के खिलाफ फैसला सुनाया. इस से अब यह तय हो गया है कि महिलाओं को अपने नाम के साथ पति का उपनाम लगाना आवश्यक है. यह उस देश के संविधान का फैसला है, जिस देश में शिक्षासंपन्न लोग हैं, जो तकनीक में बहुत आगे हैं और जहां बुजुर्गों की संख्या युवाओं के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. ऐसे देश में तो महिलाओं के प्रति ज्यादा उदारता की बात सामने आनी चाहिए थी. लेकिन उसी देश में इस फैसले के बाद महिलाओं के लिए संघर्ष और ज्यादा बढ़ गया है.

जापानी अदालत के मुताबिक यह कानून संविधान का उल्लंघन नहीं करता. इस के अलावा एक अन्य कानून भी है, जो महिलाओं को तलाक के 6 माह के भीतर विवाह करने को असंवैधानिक करार देता है. ये दोनों ही कानून 19वीं सदी के हैं जिन्हें अब भी बदला नहीं जा सका है. उसी देश में महिलाओं को आज भी यह अधिकार नहीं है कि वे पति के नाम से अलग अपने वजूद को उभार सकें.

पति का उपनाम ही क्यों

ऐसे में यह सवाल हर औरत के मन में उठना स्वाभाविक है कि उस के लिए पति के उपनाम को अपने नाम के साथ लगाना कहां तक जायज है?

आज के नए युग में यह जरूर है कि कुछ नामचीन महिलाएं अपने उपनाम के साथ पति का भी उपनाम लगा लेती हैं लेकिन सवाल फिर वही है कि आधुनिक समाज में भी पत्नी ही पति का उपनाम क्यों लगाए?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...