आज युवाओं की सब से बड़ी समस्या यह है कि वे किसी की नहीं सुनते, उन्हें किसी का ऊंची आवाज में बोलना बरदाश्त नहीं होता. औफिस हो या घर उन्हें तो बस अपने स्टाइल में जीना पसंद है तभी तो यदि बौस उन्हें जरा सी भी कड़क आवाज में कुछ कह देता है तो वे गुस्से से तमतमा जाते हैं. ऐसे में वे बौस को खरीखोटी सुनाने से भी गुरेज नहीं करते. मन ही मन वे जौब छोड़ने तक का फैसला कर बैठते हैं.

लेकिन क्या कभी जब आप को बौस ने धमकाया तब आप ने खुद का आकलन किया कि आखिर बौस ने आप को धमकाया क्यों? क्या वास्तव में आप की गलती थी या फिर मामूली सी बात पर आप को झाड़ दिया. कई बार बौस आप को आगे बढ़ाने के लिए या आप की ग्रोथ के लिए भी डांटते हैं, लेकिन गुस्से में होने के कारण आप उन के भीतर छिपी भावना को नहीं पहचान पाते और इसे बौस की दादागीरी या हुक्म चलाना समझ बैठते हैं.

इसलिए जब भी बौस आप को किसी बात के लिए डांटें तो खुद में तो सुधार लाएं ही साथ ही निम्न बातों को भी नजरअंदाज न करें :

गलती न दोहराएं

एक बार जिस बात के लिए आप को बौस से डांट पड़ी हो अगली बार उस गलती को दोहराने की कोशिश न करें, क्योंकि बारबार गलती करने पर माफी मिले, यह जरूरी नहीं.

यदि बौस ने आप को किसी काम को करने की डैडलाइन दे रखी है तो आप कोशिश करें कि डैडलाइन से पहले ही उस काम को पूरा कर लें, क्योंकि इस से एक तो आप को बौस की नाराजगी नहीं झेलनी पड़ेगी साथ ही आप काम के प्रति सीरियस हैं, यह भी पता चलेगा.

एक बात और, जब हम किसी काम को दबाव या हड़बड़ी में करते हैं तो उस में गलती के चांसेज ज्यादा होते हैं. इस से अच्छा है कि समय पर और सही ढंग से काम पूरा करें.

इस का एक फायदा और भी है कि अगर कभी अचानक किसी जरूरी काम से आप को बाहर जाना पड़े तो आप अपने बौस से काम पूरा होने के कारण छुट्टी मांगने का हक भी रख पाएंगे.

बौस से पड़े डांट तो न करें डिस्कस

गलती होने पर तो बौस की डांट खानी ही पड़ती है, लेकिन कई बार बेवजह डांट भी पड़ती है, जो सहन करनी पड़ती है, इस डांट का हर जगह ढिंढोरा पीटना कि पता नहीं खुद को क्या समझते हैं, मेरी इन्सल्ट कर दी, खुद को तो कुछ आताजाता नहीं वगैरावगैरा कह कर जब आप इस तरह की बातें ग्रुप में शेयर करते हैं तो भले ही उस समय आप के साथ काम करने वाले आप की हां में हां मिला कर आप को सही ठहराएं, लेकिन हो सकता है कि उन में से कोई बौस का खास हो, जो आप से मीठीमीठी बातें कर के सब उगलवा ले, लेकिन बाद में उन्हीं बातों को बौस के सामने मिर्चमसाला लगा कर पेश कर दे जिस से आप की इमेज और खराब हो जाए.

जब बौस भी अपनी ऐसी आलोचना सुनेंगे तो हो सकता है कि आप को सबक सिखाने के लिए किसी ऐसे कार्य में उलझा दें कि उस के बाद आप खुद ही जौब छोड़ने पर मजबूर हो जाएं. इसलिए अच्छा यही है कि बौस की डांट व बात को अपने तक ही सीमित रखें.

काम में परफैक्शन लाएं

टैक्नोलौजी के इस युग में हमें सबकुछ रैडीमेड मिल जाता है यानी सारा मैटर नैट से पकापकाया मात्र एक क्लिक से ले सकते हैं, लेकिन उस से काम में परफैक्शन नहीं आएगा और हो सकता है कि आप की चोरी भी पकड़ी जाए, तो ऐसे में बैस्ट तरीका यही है कि आप अपने काम में क्वालिटी लाने के लिए रिसर्च वर्क करें न कि डैस्क वर्क. जब आप किसी एक टौपिक पर कई जगह से कलैक्शन करेंगे तो रिजल्ट तो बैस्ट निकलेगा ही और बौस चाह कर भी आप के काम में कमी नहीं निकाल पाएंगे.

कायदे कानून न तोड़ें

औफिस में एकजैसा काम करतेकरते हम बोरिंग सा फील करने लगते हैं. ऐसे में रीफ्रैश होने के लिए इधरउधर जा कर एकदूसरे की सीट पर खडे़ हो जाते हैं, जिस से हम दूसरों का समय तो खराब करते ही हैं साथ ही कुछ की नजरों में भी खटकने लगते हैं. फोन पर लाउडली बात करना, पूरा दिन व्हाट्सऐप पर लगे रहना, औफिस आवर्स में फेसबुक पर चैट करने में व्यस्त रहना, यदि औफिस में पंचिंग मशीन नहीं है तो रजिस्टर में गलत टाइम ऐंटर करना, बीचबीच में बिना बताए कई बार औफिस से बाहर जाना जैसी बातें औफिस रूल्स का खुलेआम उल्लंघन हैं.

ऐसे कर्मचारी को देख कर बाकी स्टाफ का भी गलत काम करने का हौसला बढ़ता है. इस से बेहतर है कि लंच टाइम व टी ब्रेक में ही मौजमस्ती करें, जिस से कोई आप को टोकने न पाए और आप की गुडविल भी बनी रहे.

कूल माइंड से हैंडिल करें सिचुएशन

ह्यूमन नेचर ऐसा होता है कि जब कोई धो रहा होता है तब गुस्सा आना स्वाभाविक है. ऐसे में हम गलत भी बोल जाते हैं लेकिन ठीक उसी तरह अगर बौस आप पर झल्ला रहे हों तो आप उस समय शांत रहें.

भले ही आप तब मन ही मन किलसें कि मुझे जिस बात के लिए डांट पड़ी वह गलती तो मैं ने की ही नहीं और अगर मैं ने इस समय अपना पक्ष रखा तो बौस वाट लगा देंगे, ऐसे में आप भड़ास निकालने के लिए उलटासीधा बोलना शुरू कर देते हैं, लेकिन समझदारी इसी में है कि उस वक्त शांत रहें और समय अनुकूल होने पर अपनी बात रखें.

चेहरे को मन का दर्पण न बनने दें

कहते हैं चेहरा मन का दर्पण होता है, क्योंकि मन के भाव चेहरे पर साफ दिखाई देते हैं, लेकिन जब आप बौस के सामने खड़े हों और किसी बात पर बौस आप को डांटें, चाहे वह बात गलत हो और आप को सुन कर गुस्सा भी आ रहा हो, तब भी चेहरे पर गुस्से वाले ऐक्सप्रैशन न आने दें और नौर्मल रहने का प्रयास करें.

तुरंत जौब बदलने की न सोचें

जब तक चैलेंज को ऐक्सैप्ट नहीं करेंगे तब तक आगे कैसे बढ़ पाएंगे. मुश्किल से मुश्किल सिचुऐशन बिना भयभीत हुए हैंडिल करें. यह नहीं कि चैलेंज मिलते ही या बौस की डांट पड़ते ही जौब छोड़ने का मन बना लें. हां, बेहतर जौब जरूर सर्च करते रहें.

फैमिली लाइफ प्रभावित न हो

जब कभी हमें औफिस में डांट पड़ती है तो हम उस का गुस्सा घर पर उतारते हैं. कभी खाना नहीं खाते, तो कभी घर वालों से भी ऊंची आवाज में बात करते हैं, अकेले गुमसुम बैठे रहते हैं जिसे देख कर घर वाले परेशान होते हैं. इसलिए औफिस की बातों को औफिस में ही छोड़ने की कोशिश करें, क्योंकि कभीकभार आप उदास होंगे तब आप को अवश्य ही घर से सहानुभूति भी मिल जाएगी, लेकिन अगर आप उसे रूटीन बना लेंगे तब आप को वहां से भी सपोर्ट मिलना बंद हो जाएगा.

एचआर से शेयर करें प्रौब्लम

यदि आप को अपने बौस से कोई प्रौब्लम है और वे भी आप की कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं तो सीधे औनर के पास जाने से अच्छा है कि एचआर को बताएं कि आप को अपने बौस से तालमेल बैठाने में दिक्कत हो रही है, खुल कर अपनी बात रखें. अवश्य आप को सही राह मिलेगी.

लेकिन यदि आप सीधे ओनर के पास पहुंच जाएंगे तो बात बजाय संभलने के और बिगड़ेगी और ऐसे में आप का अपने हैड के साथ काम करना भी मुश्किल हो जाएगा. इसलिए गुस्से से अच्छा है कि सोचसमझ कर फैसला लें.

शोषण न सहें

बौस यदि आप पर काम का ज्यादा बोझ डालें, आप की जरा सी गलती पर अपशब्द कहने लगें, ड्यूटी आवर्स में काम न दे कर छुट्टी के वक्त ढेर सारे काम थमा दें और उन्हें आज ही खत्म करने की बात कहें या फिर लेटनाइट काम करवाने के बावजूद ड्रौपिंग सर्विस न दें व छुट्टी देने से मना करें, तो ऐसे में आप पहले तो उन के सामने अपनी बात रखें, लेकिन फिर भी यदि आप को लगे कि उन से कहने का कोई फायदा नहीं, तो आप जौब चेंज करने के बारे में सोचें.

नौकरी में बौस की थोड़ीबहुत तो सुननी ही पड़ती है, लेकिन अगर काम के नाम पर शोषण हो तो उस औफिस को बाय कहने में ही भलाई होगी. यह सोच कर न घबराएं कि कैसे ऐडजस्ट करेंगे नई जगह पर, क्योंकि अगर आप में काबिलीयत है तो आप को ऐडजस्टमैंट में भी ज्यादा समय नहीं लगेगा.

जब बौस कराएं पर्सनल काम

यदि बौस आप को काम के बीच में बारबार डिस्टर्ब करें जैसे कि नैट से मूवी टिकट बुक करवा दो, मेरे बेटे या बेटी का होमवर्क कर दो, प्रोजैक्ट पूरा कर दो वगैरावगैरा, जिस से आप अपना औफिस वर्क समय पर न कर पाएं तो आप एकाध बार तो खुशीखुशी इस काम को कर दें, लेकिन अगर आप को लगता है कि बौस ने इसे रूटीन बना लिया है तो उन्हें नम्रता से निवेदन कर कहें कि आप के पर्सनल कार्य करने से मेरी क्रिएटिविटी प्रभावित हो रही है.

आप की यह बात सुन कर बौस भी समझ जाएंगे कि अगर मैं ने अपने पर्सनल कार्य करवाने जारी रखे तो बात ओनर तक पहुंच सकती है. आप का इतना कहना ही उन में डर पैदा कर देगा, क्योंकि इस के कारण आप की प्रोफैशनल लाइफ प्रभावित हो तो यह सही नहीं है.              

बौस भी इन बातों का रखें खयाल

–       कर्मचारियों को प्रैशर में न रखें.

–       अगर किसी कर्मचारी ने गलत काम भी किया है तो पहले उसे आराम से समझाएं, यदि मिस्टेक रिपीट हो तब सख्ती बरतें.

–       सिर्फ एक कर्मचारी की बात सुन कर बाकी कर्मचारियों के प्रति अपनी राय न बनाएं. अपनी सुनी व देखी बात पर ही विश्वास करें.

–       कर्मचारियों की प्रौब्लम को नजरअंदाज न करें.

–       अगर किसी कर्मचारी ने कोई आइडिया दिया है तो यह कह कर उस की इंसल्ट न करें कि तुम से तो मुझे ऐसे ही बकवास आइडिया की उम्मीद थी बल्कि उसे मोटीवेट करें कि तुम ने अच्छा सोचा है, लेकिन इस से और बेहतर सोचो, जिस से कंपनी को फायदा हो. आप की ऐसी बात सुन कर वह अपना बैस्ट देने की कोशिश करेगा.

–       बौस का मतलब आप दादागीरी न समझें वरना कर्मचारी आप की रिस्पैक्ट करना छोड़ देंगे.

–       सब के साथ एकजैसा व्यवहार करें.

–       अगर आप ने किसी काम को करने के लिए डैडलाइन दे रखी है तो उस से पहले कर्मचारियों को नौक न करें, क्योंकि इस से वे खुद को ज्यादा प्रैशर में फील करने के कारण काम में मन नहीं लगा पाएंगे.

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