Property : अमीर घर की पत्नी है. मायके की संपत्ति में उसे हिस्सा मिला लेकिन अगर उस की मौत हो गई और तब पतिपत्नी अलग रह रहे थे, तो फिर क्या होगा?
बच्चे अभी हुए नहीं हैं या फिर हो भी गए, तब भी उन की संपत्ति पर किस का हक होगा?
कुछ इन्हीं इस खास बातों के बारे में जानिए दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट के वकील करण की राय.
आकाश और अंजलि की लव मैरिज हुई थी. बहुत मशक्कत के बाद दोनों के पेरैंट्स इस शादी के लिए माने थे. शुरुआत में तो सब ठीक था लेकिन बाद में उन के बीच झगङे होने लगे. दोनों ही मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते थे. रोजरोज का झगड़ा इतना बढ़ गया कि अंजलि ने घर छोड़ दिया और दोनों अलगअलग रहने लगे. इसी बीच अंजलि की एक दिन अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई. हालांकि दोनों अभी भी विवाहित थे और अंजलि को उस के मायके की बहुत प्रौपर्टी मिली थी जिस में से एक दुकान भी थी जिसे उन्होंने रेंट पर दे रखा था. लेकिन अंजलि की मौत के बाद उस के पिता और भाई उस दुकान को वापस लेना चाहते थे. इसी बात को ले कर दोनों पक्षों के बीच मामला कोर्ट तक चला गया.
ऐसा अकसर होता है जब पतिपत्नी के बीच झगड़ा चल रहा हो और दोनों अलग रह रहे हों. इस झगडे के कई कारण हो सकते हैं. जैसे एक परिस्थिति में पतिपत्नी में झगड़ा इसलिए हुआ क्योंकि उन का आर्थिक हिसाब नहीं बैठ रहा था. पत्नी अमीर घर की थी और उसे लगता था कि पति उतना कमा नहीं रहा. पत्नी की एक कार ऐक्सिडैंट में मौत हो गई. हालांकि कुछ समय पहले ही उसे मायके की बहुत सी संपत्ति मिली थी. लेकिन उस की मौत हो जाने पर भाई और पिता अब संपत्ति नहीं देना चाहते. ऐसे में पति पहुंच गया अदालत.
अब सवाल है कि उसे पत्नी के मायके की संपत्ति में हक मिलेगा? या पति को पत्नी के मायके की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा या नहीं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो अकसर अचानक से किसी के भी जीवन में आ जाते हैं. तो फिर आइए, जानते हैं कि ऐसी स्थिति में क्या हो सकता है :
क्या कहता है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15(2) के प्रावधान के अनुसार किसी भी हिंदू महिला को अपने पिता से मिली संपत्ति का हिस्सा उस की मृत्यु हो जाने के बाद वह संपत्ति वापस मृत महिला के पिता के उत्तराधिकारियों को मिल जाती है.
इसी तरह पति के द्वारा दी गई संपत्ति भी पत्नी की मृत्यु के बाद पति के कानूनी उत्तराधिकारियों के पास वापस चली जाती है.
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15(2) यह कहता है,”किसी हिंदू महिला को अपने पिता या माता से विरासत में मिली कोई भी संपत्ति मृतक के किसी भी बेटे या बेटी (किसी भी पूर्व मृत बेटे या बेटी के बच्चों सहित) की अनुपस्थिति में पिता के उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित की जाएगी. किसी हिंदू महिला को अपने पति या ससुर से विरासत में मिली कोई भी संपत्ति मृतक के किसी भी बेटे या बेटी (किसी भी पूर्व मृत बेटे या बेटी के बच्चों सहित) की अनुपस्थिति में पति के उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित हो जाएगी.”
बिना वसीयत और निस्संतान हिंदू महिला की मृत्यु हो जाए तो विरासत में मिली संपत्ति स्रोत पर वापस चली जाती है. -सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2020 के एक फैसले में कहा.
जनवरी, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अगर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों पर लागू) के अंतर्गत आने वाली पत्नी बिना वसीयत छोड़े मर जाती है और उस की कोई संतान नहीं है, तो उसे विरासत में मिली संपत्ति स्रोत के पास वापस चली जाएगी. यानि उस के पिता के उत्तराधिकारियों को मिल जाएगी.
अगर संपत्ति पति की ओर से मिली हो तब क्या होगा
अगर किसी महिला के नाम पर पति की ओर से प्राप्त संपत्ति है और अचानक से महिला की मृत्यु बिना वसीयत किए हुए ही हो जाती है, तो वह संपत्ति पति और उस के परिवार को वापस मिल जाएगी.
पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कितना हक होता है
हिंदुओं में संपत्ति के उत्तराधिकार को ले कर 1956 हिंदू उत्तराधिकार कानून है. इस कानून में यह साफ कर दिया गया है कि पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है. जितना हिस्सा पति के नाम पर होता है उतना ही हिस्सा पत्नी को भी मिलता है. इस पर भी पूरी तरह से उस का अधिकार नहीं होता है बल्कि उस के बच्चों का अधिकार होता है.
अगर किसी ने वसीयत में पत्नी को नौमिनी बनाया है तो संपत्ति पत्नी को मिलेगी. लेकिन किसी कारणवश पति ने पत्नी को नौमिनी नहीं बनाया या फिर वसीयत ही नहीं बनाई तो फिर वह संपत्ति पत्नी और पति के घर वालों में बराबर बंटती है. साथ ही पति की मौत के बाद पत्नी उस की पैतृक संपत्ति में भी सिर्फ उतना ही हिस्सा मांग सकती है जितना उस के पति का बनता था.
इसलिए कहते हैं कि जीवन के किसी भी मोड़ पर हों लेकिन पहले ही सोच कर रखें की अपनी संपत्ति का क्या करना है? यह किसे और कैसे देनी है?
जीवन का कोई भरोसा नहीं है. यह कभी भी किसी के भी साथ हो सकता है. इसलिए समय रहते सारे कानूनी दांवपेंच आप को पता होने चाहिए ताकि बाद में कोई परेशानी न हो.