लगता है कि इंग्लैंड के बुरे दिन बुरी तरह आ गए है. लिज इस कंजर्वेटिव पार्टी का चुनाव बड़ी शिद्दोशहत से जीता था, केवल कुछ सप्ताहों में रिजाइन करने को मजबूर हो गई क्योंकि उस ने ब्रिटेन की ब्रैकिएट के बाद फसी दलदल में से निकालने के जो भी कदम उठाए वे आलू उबालने के लिए 5 पेज की रैसिपी की तरह के थे. उस से एक बहुत ही सीधासादा काम नहीं हुआ और उस ने नाहक महिला नेताओं के अगले कई सालों के लिए दरबाजे बंद कर दिए हैं.

इटली की जिर्योरियो मेलोनी, अमेरिका की हेनरी क्लिंटन और कमला हैरिस, भारत की मायावती, सुषमा स्वराज, प्रतिभा पाटिल, म्यांमार की आंग सान सू की तेजी से उभरी पर फिर गीले बारूद की तरह फुस्स हो गई. इंग्लैंड की मार्गरेट थैचर को आयरन लेडी कहा जाता था पर उन्हें भी बड़ी बेमुख्वती से निकाला गया. पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो बड़ी उम्मीदों से प्रधानमंत्री बनी पर थोड़े दिनों में अपनी चमक को खो बैठी थी. और हत्या नहीं हुई होती तो चुनावों में हार ही जातीं.

लिज ट्रस का कुछ ही दिनों में रिजाइन करना साबित करता हैै कि सत्ता के कैरीडोरों को संभालना किचन शैल्फ से कहीं ज्यादा उलझा हुआ है. सदियों से औरतों को इस तरह थोड़े से काम दिए गए हैं कि वे अंदर तक उतनी मजबूत नहीं बन पातीं जो एक शासक को होना चाहिए.

इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, जर्मनी की एंजेला मार्केल, न्यूजीलैंड जेङ्क्षसडा आर्डन, बांग्लादेश की शेख हसीना कुछ ऐसी हैं जिन्होंने अपनी जमीन बनाई पर इन में से कई को पद विरासत में मिला, अपनेआप उन्होंने जमीन से लड़ कर नहीं पाया.

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