नस्लभेद का अपराधी देश बेनकाब हो गया है. उस देश के कुकर्मों को जानते तो सभी थे, लेकिन मुंह खोलने की हिम्मत किसी में न थी. एकदो देश ही उस की सख्त आलोचना करते रहे हैं, ज्यादातर और बड़े देश उस के टेरर या अपनी दोस्ती के चलते मुखालफत में जबान नहीं खोलते.

अब जब उस की करतूत का सुबूत जगजाहिर हो गया तो उस के मित्रदेश तक मुखर हो उठे हैं. यह अच्छा संकेत है. लेकिन, इंसानियत के दुश्मन और हर तरह के भेदभाव के पोषक कुछ देश अभी भी चुप हैं. ऐसे देशों के प्रधान, दरअसल, भेदभाव, नफरत व हिंसा फैला कर सत्ता पाने व चलाने में यकीन रखते हैं.

महाशक्ति अमेरिका के मिनेसोटा राज्य के मिनीयापोलिस शहर की सड़क पर 25 मई को दिन के उजाले में 46-वर्षीय अश्वेत (काले) अमेरिकी नागरिक जौर्ज फ्लोएड की गरदन को गोरे पुलिस अधिकारी डेरेक चौविन ने अपने पैर के घुटने से तब तक दबाए रखा जब तक उस की सांस चलती रही. नस्लभेद के शिकार काले अमेरिकी की जान निकलने में 8 मिनट 46 सैकंड लगे और तब तक उक्त क्रूर गोरे ने उस की गरदन दबाए रखी.

देखी न जा सकने वाली दर्दनाक घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और उस के बाद पूरे अमेरिका ही नहीं, विश्व के कई देशों में तूफ़ान मच गया. घटना का वीडियो किस ने बनाया? जिस ने भी बनाया, वह प्रशंसा के लायक है. लेकिन अफ़सोस, कुछ लोग उस की टांगखिंचाई कर रहे हैं. वहीं, काफी लोग उस की दिल से तारीफ़ भी कर रहे हैं.

यह वीडियो अफ़्रीक़ी मूल की अश्वेत (काली) अमेरिकी नागरिक 17-वर्षीया लड़की डारलेना फ्रेज़ियर ने बनाया. हाईस्कूल की स्टूडैंट डारलेना ने यह वीडियो 25-26 की यानी घटना घटने की रात में अमेरिकी समय के अनुसार 2:26 बजे अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर दी. वीडियो 10 मिनट 6 सैकंड का है. इस वीडियो को डारलेना ने अपने मोबाइल फ़ोन से बनाया है.

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डारलेना फ्रेजियर के वीडियो का ही कमाल था कि महाशक्तिशाली राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति निवास  ‘वाइट हाउस’ के भीतर किसी महाकमजोर की तरह भाग रहे थे और आखिरकार उसी में अंडरग्राउंड बने बंकर में घुस कर एक घंटे तक छिपे रहे. और फिर वाइट हाउस के नज़दीक के चर्च के बाहर हाथ में बाइबिल लिए हुए दिखे.

अमेरिका की टीएमज़ेड वैबसाइट से बात करते हुए डारलेना ने कहा कि वह बहुत सदमे में है क्योंकि बहुत से लोगों ने कमेंट किया है कि उस ने वीडियो बनाया, फ़्लोयड को बचाने की कोशिश नहीं की. उसे मारने की धमकियां भी मिल रही हैं.

डारलेना ने फ़ेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में लिखा- “जो व्यक्ति वहां नहीं था वह अंदाज़ा नहीं लगा सकता कि मेरी क्या हालत थी और मैं क्या महसूस कर रही थी. मेरी उम्र केवल 17  साल है, मैं किसी पुलिसकर्मी को रोक नहीं सकती.  मैं उन लोगों में हूं जो पुलिस से बहुत ज़्यादा डरते हैं.”

डारलेना का कहना है कि वह घटनास्थल से मात्र 6-7 फुट की दूरी से ही वीडियो बना रही थी. यह तो अच्छा हुआ कि किसी पुलिस वाले ने उसे वीडियो बनाने से रोका नहीं. वरना यह घटना भी आम घटनाओं की तरह गुम हो जाती, अमेरिका में ऐसी नस्लभेदी घटनाएं आमतौर पर घटती रहती हैं. लोगों को हर घटना का पता पुलिस वर्जन से चलता है और पुलिस हर घटना की झूठी कहानी गढ़ती है.

यह सच है कि 17-वर्षीया कोई लड़की घटना में शामिल लंबेतगड़े 4 पुलिसवालों से किसी विक्टिम को बचा नहीं सकती. अच्छा हुआ कि डारलेना ने वीडियो शूट कर लिया. अब यह वीडियो घटना का जिंदा सुबूत है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता.

डारलेना ने इनसाइड वैबसाइट से बात करते हुए कहा कि पुलिस को रोकने का मतलब यह था कि वहां दूसरा यानी मेरा भी क़त्ल हो सकता था. उस ने कहा, “अगर मैं ने वीडियो बना कर वायरल न किया होता तो घटना में शामिल चारों पुलिस अफ़सर अब तक अपने ओहदे पर होते और दूसरी अनगिनत घटनाएं अंजाम दे रहे होते.”

डारलेना ने यह भी साफ़ कहा, “मैं ने वीडियो न बनाई होती तो पुलिस ने इस पूरी घटना पर परदा डाल दिया होता और कोई मनगढ़त कहानी सुना दी होती. ऐसे में मुझे बुरा कहना, मेरी आलोचना करना ठीक नहीं है.”

यह भी अच्छा रहा कि डारलेना ने पूरा वीडियो वन टेक (लगातार एक शूट) में बनाया. डारलेना ने वीडियो बनाने के दौरान ब्रेक लिया होता, तो उस के बनाए वीडियो को तोड़मरोड़ कर यानी मौर्फ्ड वीडियो पेश करना करार दे दिया जाता. और तब, नस्लभेदी गोरी पुलिस डारलेना पर केस दर्ज कर फंसा व जेल में डाल सकती थी.

अमेरिकन न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़, डारलेना फ्रेजियर ने अपने लिए घृणा पैदा कर ली है. गोरे अमेरिकी बिस्तर पर सोने के लिए जाएंगे तो उन्हें काली डारलेना याद आएगी. यही नहीं, भविष्य में होने वाली पुलिस-पब्लिक झड़पों में पुलिस ऐक्टिविस्टों से जबजब कैमरा (मोबाइल) छीनेगी, तबतब डारलेना फ्रेजियर के वीडियो को याद किया जाएगा. न्यूज़ रिपोर्ट्स डारलेना के बारे में कहती हैं कि वह सही समय पर सही सिटीजन जर्नलिस्ट साबित हुई है.

डारलेना के सम्मान में एक अमेरिकी ब्लौगर ने लिखा कि, “अप्रशिक्षित 17-वर्षीया डारलेना फ्रेजियर सेंचुरी (शताब्दी) की सब से ज्यादा प्रभावकारी वीडियो-मेकर होगी, जिस के बारे में लोगों ने इस के पहले शायद सुना नहीं होगा.

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इस बीच, डारलेना फ्रेजियर की मदद व उस के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ‘गो फंड मी’ बनाया गया है. इसे शिकागो की रहने वाली महिला मीका कोल कमेंस्की ने प्लान किया है. बता दें कि मीका की डारलेना के परिवार से किसी तरह की कोई जानपहचान नहीं है. इन्होंने अपने फंडरेजर पेज पर लिखा है कि वे डारलेना की मां ला टैंगी गिलेप्सी से मिलेंगी और डारलेना के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें फंड की रकम सौंपेंगी. दिलचस्प यह है कि फंडरेजर ने 50 हजार डौलर के अपने टारगेट को पूरा कर लिया है. 2,200 लोगों के दान से ही यह टारगेट पूरा हो गया है.

बहरहाल, इंसान की आंख जब भी दर्दनाक घटना की किसी तसवीर या वीडियो को मान्यता देगी तब डारलेना का नाम याद किया जाएगा, उस को भुलाया नहीं जा सकेगा.

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