Homemaker : सुबह से शाम फिर नया. दिन बस ऐसे ही यह जीवन बीतता रहता है. किंतु एक उम्र बीत जाने पर अधिकतर महिलाओं को लगने लगता है जिंदगी के दिन यों ही निकल गए. घरगृहस्थी संभालने के अलावा कोई अन्य कार्य नहीं कर सके. काश, अपनी सम झदारी, बुद्धिमत्ता के आधार पर बिजनैस या जौब कर काबिलीयत का परिचय दिया होता तब आत्मनिर्भर होने का एहसास हम कर पाते बगैराबगैरा.
एक सर्वे से मालूम हुआ है कि यदि घरेलू कार्य व जिम्मेदारी की वजह से जौब या अन्य कोई कार्य नहीं कर पाती हैं तो कई महिलाओं को मानसिक तनाव होने लगता है, अव्यावहारिक, असहज व्यवहार होने से स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है. इस से घर का वातावरण भी खुशनुमा व खुशहाल नहीं रह पाता.
अहम बात है हम महिलाएं ऐसा सोचती क्यों हैं? अपने परिवार, अपने बच्चों की हर जरूरत को निभाने में सक्षम होते हुए स्वयं में हीनभावना क्यों लाने लगती हैं? यदि आप के आसपास की महिलाएं घर से बाहर निकल नौकरी या बिजनैस कर भी रही हैं तो जरूरी नहीं कि वे आप से अधिक योग्य व होशियार हैं अथवा उन की गुणवत्ता या काबिलीयत का मानदंड उन के घर से बाहर निकलने से ही आंका जा सकता है.
यह तो व्यक्तिगत रूप से स्वयं पर ही निर्भर है कि घर या बाहर कहीं भी रह कर अपने फर्ज को किस तरह निभा रही हैं अथवा महिला होने के नाते प्राथमिक जिम्मेदारियों को किस हद तक पूरा कर रही हैं. यह सौ फीसदी सत्य है जब हम अपने मूलभूत कर्तव्यों को सही तथा सुचारु रूप से पूर्ण करते हैं, तभी एक आकर्षक व प्रभावशाली व्यक्ति के सही माने में हकदार हो पाते हैं.
कुदरती वरदान
इसे कुदरती वरदान ही कहा जाएगा कि साक्षर हो या निरक्षर हर महिला में प्रतिभावान, बुद्धिमान व गुणवान होने का परिचय मिल ही जाता है. कई बार घर की परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि घर के बाहर ज्यादा आनाजाना मुमकिन नहीं हो पाता क्योंकि आप की गैरमौजूदगी में घरगृहस्थी व बच्चों को देखने वाला कोई नहीं रहता न ही रोजमर्रा के घरेलू कार्य सुचारु रूप से हो पाते हैं.
ऐसे में घर की चिंताओं के साथ मानसिक दबाव में रहते हुए सिर्फ दिखावे और आधुनिक नारी साबित करने के लिए घर से बाहर जाजा कर कार्य करना कहां की सम झदारी है? स्वयं शारीरिक तथा मानसिक परेशानी, तनाव में रह कर ऐसे कौन से कार्य होते हैं जिन से आत्मिक संतुष्टि मिल सकती है? शायद कोई नहीं?
परेशानी का दामन छोड़ दें
आज की सक्षम नारी घर की चारदीवारी के भीतर रह कर भी खुश व संतुष्ट रह सकती है बशर्ते अपने परिवार की खुशियों को ध्यान में रखते हुए जो भी कार्य कर रही है उसे छोटा या कम न आंकते हुए सर्वोपरि मानते हुए सर्वश्रेष्ठ सम झे. ईंटसीमेंट के घर को पारिवारिक सदस्यों के स्नेह के रंग से सराबोर कर एक खुशनुमा घर सिर्फ एक होममेकर ही बना सकती है. सदैव प्रसन्न रहते हुए अपने मन को प्रफुल्लित रखें. आंतरिक तौर पर सदैव सुकून तथा खुशी का एहसास महसूस करें.
फिर समय व परिस्थितियां अनुकूल हों तो इन को मद्देनजर रखते हुए चाहे तो मनमुतािबक कार्य अवश्य किए जा सकते हैं. नई जानकारी प्राप्त कर अपने ज्ञान और कौशल को अधिक बढ़ाया जा सकता है. किंतु जरूरी है घर में रह कर या घर से बाहर जो भी कार्य कर रही हैं बस खुशीखुशी करें. चिंता व परेशानी का दामन छोड़ दें.
ऐसा नहीं आप के लिए आत्मिक सुख अथवा खुशी कहीं बाहर से दसतक देगी. सभी जानते हैं सुख अथवा संतुष्टि हमारे मन में है जिसे हम स्वयं महसूस कर सकते हैं. घरेलू कार्यों से निबटने के बाद यदि कुछ नया सीखना चाहती हैं तो जब भी वक्त मिले अवश्य नया कार्य जैसे ड्राइविंग, नृत्य, गायन अथवा नई तकनीकी ज्ञान अपने शुभचिंतकों से सीखने का प्रयत्न करें.
इस से जहां आत्मविश्वास बढ़ता है वही आत्मनिर्भरता का एहसास होने से सुकून भी महसूस होता है. हां कुछ भी नया सीखनेसमझने में अपनी उम्र या अन्य किसी बारे में ज्यादा न सोचें न ही हिचकिचाएं क्योंकि हरकोई पहली बार ही सीखतासम झता है यही सोच निरंतर आगे बढ़ती जाएं.
टैंशन से दूर रहें
जीवन में आप क्या चाहती हैं, आप का उद्देश्य क्या है दो पल चैन से बैठ सोचें. जिंदगी के लिए जितने दिन शांति से बीत रहे हैं उन्हें हंसीखुशी बीतने दें. स्वयं सुखी रह कर पारिवारिक सदस्यों को भी खुश व संतुष्ट रखते हुए गृहस्थ जीवन बिताना भी काबिलेतारीफ ही है. बेवजह अन्य महिलाओं से तुलना कर जौब या बिजनैस का निर्णय कर मानसिक अंशाति व झल्लाहट को तवज्जो न दें. जो कार्य दिल से करना चाहती हैं अवश्य करें परंतु उस के लिए किसी भी शारीरिकमानसिक थकान तथा टैंशन से सदैव दूर रहें.
घर में रहते हुए आप मानसिक शांति व संतुष्टि के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं क्योंकि जब आप घर में ही रहती है तो अपने आसपास के लोगों को व सामाजिक वातावरण को जानपहचान पाती हैं. अच्छा व्यवहार रखते हुए मधुर वाणी तो बोलें ही साथ ही सत्कार्य करते हुए जरूरत के वक्त दूसरों की हरसंभव मदद भी करें. इस से
जो भी बचपन की सीखसंस्कार हैं उन्हें साकार होते देख हार्दिक खुशी व आनंद प्राप्त होगा, साथ ही मनमुतािबक कार्य होने से अंदरूनी भावनाएं तथा संवेगों के माधम से भी आत्मिक संतुष्टि मिलती रहेगी.
हसीन पलों को भरपूर जीएं
घर के कार्यों के पूर्ण होने पर यदि कुछ समय मिलता है तो अवश्य अपने हुनर को बढ़ाने की कोशिश करें. जिस भी कला में आप की रुचि हो उसे सीखने की कोशिश करें. हां, ध्यान रखें, शुरुआत में जो भी थोड़ीबहुत दिक्कतें आएं उन का बिना किसी परेशानी निस्संकोच स्वागत करें. तब एक दिन कामयाबी अवश्य मिलेगी.
जिंदगी बहुत छोटी है. कब क्या समय आ जाए पता नहीं चलता. जिन बातों का कोई तर्क या वजूद नहीं होता उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए. सफर अपने अहम या दिखावे की वजह से ही जौब या अन्य कोई कार्य न करें वरना व्यर्थ ही दुखी व तनावग्रस्त रहेंगी. अत: आवश्यकता न हो तो बिना वजह परेशान न रहते हुए जीवन के सुखद, हसीन पलों को भरपूर जीएं और पारिवारिक सदस्यों, बच्चों के प्रति जो भी आप के फर्ज हैं. उन्हें पूर्णता से निभाते हुए हर हाल में तनावमुक्त रह खुश रहें.
ऐसा कतई नहीं है कि आप की सुघड़ता, योग्यता की पहचान तभी होगी जब आप घरेलू कार्यों के साथसाथ अन्य कोई कार्य भी करेंगी. अपने परिवार को स्वस्थ व फिट रख उन की आधारभूत जरूरतों को पूरा कर भी आप अपनी कुशलता, बुद्धिमता का परिचय दे सकती हैं. जो आप के फर्ज हैं उन्हें सही ढंग से निभा कर भी मनचाही खुशी, सुकून हासिल कर सकती हैं.
संक्षेप में सार यही है कि यदि आप घर व बच्चों की जिम्मेदारी पूर्ण निष्ठा से निभा रही हैं, गृहस्थी में शांत व मधुर वातावरण बना हुआ है तो अपने ऊपर गर्व महसूस कीजिए क्योंकि आप ही के कारण यह संभव हो सका है.
4 दिन की इस छोटी सी जिंदगी को हंसतेहंसाते बिना किसी से तुलना व शिकवेशिकायतें किए जीएं. इस का 1-1 पल जिंदादिली से बिताएं क्योंकि:
‘‘जिंदगी एक सफर है सुहाना,
यहां कल क्या हो किस ने जाना…’’
‘‘जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं
जो मुकाम,
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते…’’