केदारनाथ के दर्शन करने गए हेलीकौप्टर से 7 यात्री स्वर्ग दर्शन के लिए पहुंच गए क्योंकि धुंध में हैलीकौप्टर एक पहाड़ी से टकरा गया और जल कर गिर गया. जब से चार धामों में हैलीकौप्टरों की सेवाएं शुरू हुई हैं हैलीकौप्टर सडक़ पर आटो की तरह चलने लगे हैं और उन अंधविश्वासी भक्तों को ढो रहे हैं जो पुण्य कमाने तो जाना चाहते हैं पर पैदल चलता नहीं चाहते.
हिमाचल की पहाडिय़ों पर तो धर्म प्रसिद्ध इसलिए रहे हैं क्योंकि पहले इन तक पहुंचना कठिन था और न रास्ते बने हुए थे, न कोई सुविधाएं थीं. पुराणों में इन का महत्व और मनमोहक निय……..बारबार किया गया है और इसलिए भक्त सदियों से इन छात्रों में रहने वाले पंडितों की तब खूब सेवा करते थे जब वे भीहड़ जंगलों से होते हुए सर्दियों में मैदानी इलाको में आते थे.
अब महंत वहीं रहते हैं क्योंकि बिजली, पानी, हीटरों, एयर कंडीशनरों, खाने की सुविधा उन सडक़ों के द्वारा पहुंचने लगी है जो पहाड़ों को काट कर इस धर्म के व्यापार को चमकाने के लिए बनी हैं. यात्रा को आसान करने के लिए अंतिम खंड जहां चढ़ाई बहुत अधिक होती है हैलीकौप्टर चलने लगे जो दुर्गम पहाडिय़ों के बीच में से धामों में भक्तों को पहुंचाते हैं. मई से ले कर अक्तूबर तक हर रोज कई दर्जन उड़ानें भरी जाने लगी है और एक्एिशन कंपनियां भरपूर कमाई कर रही हैं. चूंकि यात्रा कुछ मिनटों की होती है. मंडगा टिकट भी यात्रियों को अखरता नहीं है. 18 अक्तूबर को हुई दुर्घटना में 20 वर्ष की पूर्वा, 30 वर्ष की कृति, 25 वर्ष का उॢव भी थीं जो 2 प्रौढ़ो के साथ थीं, सवाल उठता है कि युवावस्था में जब एडवेंचर खून में होता है और शरीर में दम होता है तो हैलीकौप्टर लेने की जरूरत क्या थी. जब अंधविश्वास इतना है कि केदारनाथ जाना ही हैं तो क्यों न पैदल पूरा रास्ता तय किया जाए.
पैदल चलना मुश्किल नहीं है, यह राहुल गांधी सिद्ध कर रहे हैं जो शहरी, ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों से होते हुए इन शब्दों के लिखे जाने तक……….किलोमीटर चल चुके हैं एक अच्छा आदर्श पेश कर रहे हैं कि पैदल चलने से घबराएं नहीं. ट्रैकिंग आज के युवाओं का फेवरिट पैशन है तो 30, 26 और 25 साल की लड़कियों को क्या हुआ कि उन्होंने हैलीकौप्टर लिया.
शायद यह बढ़ते पैसे की वजह से हुआ है जो कुछ हाथों में सिमट रहा है और वे लोग हर तरह की सुविधा बिना हाथ पैर हिला लाना चाह रहे हैं. ट्रैकिंग में धर्म से पर हैलीकौप्टर से जाने से ज्यादा मजा है, ज्यादा रिस्क है, ज्यादा देखने को मिलता है, ज्यादा अच्छा एक्सीपीरियंस होता है. क्या यंग जेनरेशन इस एक्साइटमैंट को आपने मांबाप के पैसों के बल पर गंगा में वहा रही है.