साइंस हमारी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है, और इसके बिना हम अपनी दैनिक जीवनशैली की कल्पना भी नहीं कर सकते. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में साइंस का प्रभाव हर कोने में दिखाई देता है, चाहे वह तकनीक हो, स्वास्थ्य हो, खाना पकाना हो या परिवहन. हमारे दिन की शुरुआत ही विज्ञान के चमत्कार से होती है. अलार्म घड़ी, मोबाइल फोन, या स्मार्टवाच – ये सभी तकनीक के आविष्कार हैं. सुबह के चाय-कौफी से लेकर किचन के उपकरणों तक, सबमें विज्ञान छिपा हुआ है. खाना बनाने में तापमान, दवाब और केमिकल रिएक्शन का योगदान होता है, जो विज्ञान की ही देन है. बिजली, पानी की सप्लाई, इंटरनेट, और परिवहन – ये सब हमारे जीवन को सरल बनाने वाले विज्ञान के चमत्कार हैं.
फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बायोलौजी, कंप्यूटर साइंस और गणित, विद्यार्थी जीवन में ये विषय ऐसे लगते हैं मानों इनको चुनने के बाद आपको प्रसिद्ध इंजीनियर, डौक्टर जैसे करियर पथ को चुनना होगा, लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि हमारा आम रोजमर्रा का जीवन इन विषयों पर ही आधारित है. किस सब्जी में कौन से मसालों की कैमेस्ट्री से जान आएगी, या शर्ट पर लगे दाग को कैसे साफ करेंगे, दूध, सब्जी, ब्याज का हिसाब, जैसे काम तो औरतें करती आई हैं. लेकिन अब वक्त है अपनी क्षमताओं का विस्तार करने का. साइंस को सिर्फ इसलिए मत चुनिए कि आपको अंतरिक्ष में कदम जमाने हैं, इसलिए भी चुनिए कि आपको अपने जीवन में छोटीछोटी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े. बिजली का फ्यूज़ खराब हुआ है तो उसको बदलने के लिए आप घंटों मैकेनिक या अपने पति के दफ्तर से घर से पहुंचने का इंतजार क्यों करना है, फिर जब वो मैकेनिक कहे कि ये तो छोटा सा शोर्ट सर्किट है 5 मिनट में रिपेयर हो जाएगा, तो क्यों न औरतें किचन से हटकर ये जानकारी भी हासिल करें.
महिलाओं के लिए विज्ञान क्यों है महत्वपूर्ण?
पुराने समय से ही साइंस और औरत का मेल कम ही देखने को मिलता है. जब कभी ये मेल हुआ है तो दृश्य पूरी दुनिया को हैरान करने वाले रहे हैं. कितनी ही ऐसी महिला साइंटिस्ट रही हैं, जो भले आज दुनिया में नहीं हों लेकिन उनका लेख आज भी ज्ञान के जिज्ञासुओं की प्यास बुझा रहे हैं. आप ई.के. जानकी अम्माल की बात करें जो पद्मश्री अवोर्ड पा चुकी हैं, ये बोटनिस्ट और प्लांट की कोशिकीय विज्ञान पर काम करती थी. भारत की पहली महिला वैज्ञानिक ‘असीमा चटर्जी’ किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डौक्टर औफ साइंस की उपाधि पाने वाली पहली महिला थीं. विज्ञान से जुड़ी मेरी क्यूरी, रोजलिंड फ्रैंकलिन, कल्पना चावला जैसे नाम आज भी प्रेरणा देते हैं. इंडियन अकेडमी औफ साइंस के वेबसाइट पर जाकर देखेंगे तो जाने ऐसी कितनी ही महिलाओं के उल्लेख आपके सामने होगें, जो साड़ी पहन, माथे पर बिंदी लगाए देश और दुनिया में अपने ज्ञान के बलबूते जानी जाती हैं. इतिहास गवाह है कि महिलाएं विज्ञान में बेहतरीन योगदान दे चुकी हैं. लेकिन समाज में आज भी महिलाओं की भागीदारी विज्ञान के क्षेत्र में सीमित दिखाई देती है. यह स्थिति बदलने की जरूरत है.
विज्ञान समझने से आत्मनिर्भरता: महिलाओं के लिए विज्ञान सीखना न सिर्फ करियर बनाने का एक साधन हो सकता है, बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करता है. जब महिलाएं विज्ञान को सीखती हैं, तो वे अपने आस-पास की चीजों को गहराई से समझने लगती हैं. चाहे वह स्वास्थ्य से जुड़े फैसले हों, परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन हो या पर्यावरण की रक्षा हो, विज्ञान की जानकारी महिलाओं को बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाती है.
महिलाओं के लिए विज्ञान को जीवन का आधार बनाना और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना बहुत महत्वपूर्ण है. विज्ञान सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है जो हमें तार्किक और प्रमाण आधारित सोच सिखाता है. यह जीवन में सही निर्णय लेने, समस्याओं का समाधान खोजने और समाज में व्याप्त भ्रांतियों से बचने में मदद करता है.
1. साइंस बेस्ड सोच
विज्ञान की पढ़ाई करने से महिलाएं किसी भी समस्या को तार्किक दृष्टिकोण से देख सकती हैं. चाहे वह स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा हो या वित्तीय निर्णय, विज्ञान आधारित दृष्टिकोण से सही और प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है.
2. फैक्टचेकिंग की आदत
आजकल गलत जानकारी और अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं. ऐसे में विज्ञान का अध्ययन महिलाओं को फैक्टचेकिंग की आदत डालने में मदद करेगा. सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों पर फैली कोई भी जानकारी को बिना जांचे-परखे मानना खतरनाक हो सकता है. इसलिए, जानकारी को प्रमाणित स्रोतों से जांचना जरूरी है.
3. स्वास्थ्य और पोषण
विज्ञान के आधार पर महिलाएं अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान बेहतर तरीके से रख सकती हैं. यह उन्हें सही खानपान, व्यायाम और स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने में मदद करता है.
4. बच्चों की शिक्षा
महिलाएं विज्ञान के जरिए अपने बच्चों को भी तार्किक और आलोचनात्मक सोच सिखा सकती हैं. जिससे वे सोचने और समझने की क्षमता बेहतर विकसित करते हैं.
5. सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति
विज्ञान की जानकारी महिलाओं को उन सामाजिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से मुक्त करती है जो सदियों से हमारे समाज में व्याप्त हैं. यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम बनाता है.
6. डेली लाइफ में साइंस का उपयोग
विज्ञान को सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं है. रोजमर्रा के जीवन में साइंस ही है, जैसे किचन में खाना बनाते समय, बिजली और पानी का सही इस्तेमाल करते समय, या सफाई के वैज्ञानिक तरीकों को अपनाते समय. विज्ञान महिलाओं को उनके जीवन में अधिक स्वतंत्रता, जागरूकता और जिम्मेदारी प्रदान कर सकता है.
महिलाओं को विज्ञान की ओर कैसे प्रोत्साहित करें?
महिलाओं को विज्ञान की ओर प्रोत्साहित करने के लिए परिवार, समाज और शिक्षा व्यवस्था को एकजुट होकर काम करना होगा. सबसे पहले, मातापिता को अपनी बेटियों को विज्ञान के प्रति जागरूक बनाना चाहिए और उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए. स्कूलों और कौलेजों में विज्ञान की शिक्षा को दिलचस्प और प्रेरक बनाना जरूरी है, ताकि लड़कियां इस क्षेत्र में रुचि लें. इसके साथ ही, सरकार और संगठनों को महिलाओं के लिए विशेष विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए. विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियानों की जरूरत है.
आजकल घर में रहकर घर को संभाल रही औरत को हाउसवाइफ नहीं होममेकर कहकर बुलाया जाता है. लोगों में ये समझ बढ़ रही है कि औरत सिर्फ किचन में खाना बनाने वाली नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा उसकी जिम्मेदारियां है. उसे बच्चों और अपने परिवार के साथ अपनी भी सेहत का ख्याल रखना है. किसी खाने में टेस्ट के साथ बच्चे और बड़ों की आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन की जरुरतें पूरी होगी ये भी औरत के ही जिम्मे है. चार दिवारी के मकान को घर बनाकर सजाकर, संवारकर रखना और सबके लिए सेफ प्लेस बनाने में औरत की भूमिका अहम है. लेकिन आप सोचिए ऐसे में अगर आप साइंस की बेसिक सी जानकारियों से महरुम रह जाएंगी तो कैसे ये सब हो पाएगा?. कैसे खाने के पोषक तत्वों, या दाग हटाने के फोर्मूले, लाइट बल्ब बदलना हो, या किसी बिजली के किसी जले हुए स्विच को बदलना हो, क्या इन सब के लिए आपको साइंस की जरुरत नहीं है.
हमारी डेली लाइफ में साइंस है, दूध से दही बनाने में और फिर उससे मक्खन, घी, चीज़, पनीर, छाछ बनाने में साइंस है. कूलर में हवा को ठंडी करने के लिए उसमें मिट्टी के मटके टुकड़े डालकर रखना साइंस है. रोजमर्रा के जीवन के ऐसे अनेकों आयाम हैं जहां हम जानेअनजाने साइंस का इस्तेमाल कर रहे हैं. तो क्यों न अब इस विचारधारा से भी निकलें की साइंस सिर्फ पढ़ाकू या चांद पर पहुंचने वाले लोगों के लिए जरुरी है. साइंस आम जीवन की जरुरत है. इसलिए खास कर औरतों के लिए जरूरी है कि वो पढ़ाई में बाकी विषयों के साथ साइंस को भी पूरी तवज्जो दे. साइंस हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अनिवार्य हिस्सा है, और महिलाओं को इसे सीखने में ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए. विज्ञान न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि समाज और देश की उन्नति में भी उनका योगदान सुनिश्चित करता है. महिलाओं के लिए विज्ञान के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, और उन्हें इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.