धर्म के नाम पर रखे जाने वाले कोई भी व्रत या उपवास से आज तक किसी का भला नहीं हुआ है . हां व्रत , उपवास के दौरान होने वाली कथा पूजन से धर्म के दुकानदारों की मौज जरूर होती रही है . इन कथा पूजन से न केवल  उन्हे दान दक्षिणा मिलती है , बल्कि पकवान युक्त मुफ्त का खाना भी मिलता है . हर धर्म के  पंडित , मौलवी , पादरी यह बात अच्छी तरह समझ गये हैं कि महिलाओं को धर्म का भय आसानी से दिखाया जा सकता है .यही बजह है कि धर्म के ये ठेकेदार उन्हें पाप का भय दिखाकर व्रत या उपवास में उलझाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं . आशाराम , रामपाल और राम रहीम जैसे  धर्मगुरू महिलाओं को धार्मिक कर्मकांड , कथा प्रवचन , व्रत उपवास का झांसा देकर उनका यौन शोषण करने से भी नहीं हिचकते.

धार्मिक कथा पुराणों और पंडे पुजारियों की बातों का असर भारतीय नारी के दिलो दिमाग पर कुछ इस तरह हावी है कि वे साल के बारह महिने संतोषी माता का व्रत,महालक्ष्मी व्रत ,संतान सप्तमी ,हरछठ ,दुर्गा पूजाजैसेकई तरह के व्रत उपवास के जाल में फंसी रहती है .इन्ही व्रत उपवासों में से एक व्रत है करवा चौथ का व्रत . दकियानूसी परम्पराओं के नाम पर मनाया जाने वाला करवा चौथ का पर्व सुहागनों के लिये भले ही सार्वजनिक तौर पर अपने आप को महिमामंडित करने का हो ,लेकिन अविवाहित ,परित्यक्ता,तलाकशुदा और बिधवा महिलाओं को अपमानित करने वाला पर्व रहता है.

मध्यप्रदेश की पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रही कुसुम महदेले की करवा चौथ पर्व पर सोशल मीडिया पर की गई एक टिप्पणी में उन्होने लिखा कि हिन्दुस्तान में हिन्दू महिलायें अपने पति या पुत्रों की सलामती या उनकी लंबी आयु के लिये ब्रतरखती हैं ,क्या सारे पुरूष इतने कमजोर हो गये हैं?. उन्होने इस टिप्पणी के माध्यम से समाज पर सबाल उठाते हुये कहा कि पुरूष सत्तात्मक समाज में यैसा कोई व्रत नहीं है जो पुरूष महिलाओं के भले के लिये करें .जितने व्रत उपवास बनाये गये हैं वे सब महिलाओं को पुरूष की सलामती के लिये रखने पड़ते हैं . हरितालिका व्रत से लेकर करवा चौथतक सब पति की लंबी आयु के लिये रखे जाते हैं .

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