2006 रियो ओलिंपिक. कुश्ती के मैट पर भारत की विनेश फोगाट और चीन की सुन यान आमनेसामने थीं. मुकाबला था क्वार्टर फाइनल और विनेश फंसी थीं सुन यान के एक दांव में. भारतीय पहलवान ने अपनी प्रतिद्वंद्वी की पकड़ से बाहर निकलने की कोशिश की और इस संघर्ष में उन का दाहिना घुटना चोटिल हो गया.
ये पल विनेश फोगाट के लिए सब से ज्यादा दर्दनाक पलों में से थे क्योंकि इस के बाद वे रियो ओलिंपिक में आगे नहीं बढ़ पाई थीं. तब फूटफूट कर रोती विनेश फोगाट ने कहा था, ‘‘मुझे अभी भी पता नहीं है कि क्या हुआ था. मैं बस उठ कर जारी रखना चाहती थी, लेकिन मेरे पैर काम नहीं कर रहे थे.
‘‘मैं चाह रही थी कि कोई मुझे दर्द दूर करने की दवा दे दे. मैं फिर से वहां जाना चाहती थी. मैं ने अभी हार नहीं मानी थी. मैं हार मानने वालों में से नहीं हूं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मैं सबकुछ देख सकती थी और वहां असहाय पड़ी हुई थी.’’
खेल के प्रति लगाव
विनेश फोगाट का वह आंखों में नमी वाला गमगीन चेहरा कोई भी कुश्ती प्रेमी नहीं भूल पाएगा और शायद वह चेहरा भी नहीं भूल पाएगा, जब इस साल के जनवरी महीने में विनेश फोगाट दिल्ली के जंतरमंतर पर अपने साथी पहलवानों के साथ एक अलग ही लड़ाई लड़ने के लिए बैठी थीं. तब उन की आंखों का सूनापन साफ बता रहा था कि सर्द सड़क पर हो रही यह हक की लड़ाई उस कुश्ती से कितनी ज्यादा मुश्किल है, जहां अपने जैसे खिलाडि़यों की आवाज को अपनों के सामने ही बुलंद करना है.
विनेश फोगाट उन्हीं महिला पहलवान बबीता और गीता फोगाट की चचेरी बहन हैं, जिन के जीवन पर आमिर खान ने फिल्म ‘दंगल’ बनाई थी. अपनी बहनों से प्रेरणा पा कर और ताऊजी महाबीर फोगाट से प्रशिक्षण ले कर विनेश फोगाट ने कुश्ती खेलना शुरू किया था. लेकिन यह सब उतना आसान नहीं था, जितनी आसानी से विनेश फोगाट सामने वाली पहलवान को चित कर देती हैं.
सब से हैरत की बात तो यह कि विनेश फोगाट का पहला प्रेम कुश्ती को ले कर नहीं था, बल्कि लौन टैनिस पर वे अपनी जान छिड़कती थीं. उन का कहना है, ‘‘बचपन से ही मुझे इस खेल के प्रति लगाव था. मैं टैनिस सितारों के पोस्टर जमा करती थी. सानिया मिर्जा की मैं बहुत बड़ी फैन हूं. उन का जब भी अखबार में फोटो आता था, तो मैं उसे काट कर अपनी बुक में लगा लेती थी. पता नहीं मैं कभी टैनिस खेल पाती या नहीं, पर शायद इसी वजह से मैं कुश्ती से जुड़ पाई हूं.’’
हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव बलाली की रहने वाली विनेश फोगाट की मां प्रेमलता को 2003 में बच्चेदानी में कैंसर हो गया था. यह खबर परिवार को हिला देने वाली थी, पर तभी रोडवेज विभाग में चालक विनेश फोगाट के पिता राजपाल फोगाट की मौत हो गई. विनेश तो तब नादान थीं, पर कैंसर और पति की मौत ने प्रेमलता को बुरी तरह झकझोर दिया था.
विनेश फोगाट ने उन दिनों को याद करते हुए बताया, ‘‘मेरी मां बड़े जीवट वाली महिला हैं. उन्होंने हार नहीं मानी और अपने तीनों बच्चों का भविष्य संवारने के लिए कैंसर से जंग लड़ने की ठानी. उन्होंने औपरेशन करा कर बच्चेदानी को निकलवा दिया. उस समय मेरा भाई हरविंद्र 10वीं, बड़ी बहन प्रियंका 7वीं और मैं चौथी क्लास में पढ़ती थी.’’
दर्जनों मैडल नाम किए
विनेश फोगाट ने 13 दिसंबर, 2018 को अपनी शादी में 7 के बजाय 8 फेरे लिए थे. यह 8वां फेरा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ’ संदेश को समर्पित था. उन के पति सोमवीर राठी भी पहलवान हैं, जिहोंने दहेज के नाम पर एक रुपया लिया था. कुश्ती के लिए 2020 में ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड’ और 2016 में ‘अर्जुन अवार्ड’ जीतने वाली विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को सोने के तमगे दिलाने के अलावा कई दूसरे इंटरनैशनल मुकाबलों में भी दर्जनों मैडल अपने नाम किए हैं और यह साबित किया है कि असली खिलाड़ी वही है, जो अपने संघर्षों से जूझ कर बड़ी वापसी करता है.