पुरुष सोचते हैं कि महिलाओं की जबान ज्यादा चलती है, लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि उन का दिमाग भी काफी तेज चलता है. इसी वजह से वे अकसर खुराफाती चाल चलती हैं. ऐसी महिलाएं आपसी रिश्तों में जानबूझ कर अनजान बनने की कोशिश करती हैं और यह जताती हैं कि वे मासूम हैं. जबकि वे हर बात भलीभांति जानती हैं और कोशिश करती हैं कि पुरुष ही पहल करे. ऐसा करने के पीछे उन की मंशा यह रहती है कि वे अपने पार्टनर या प्रेमी से अपनी बात मनवा लें या अपना काम निकलवा ले.

आइए जानें, उन की कुछ खास खुराफाती चालों के बारे में:

एक बस में मेरी पीछे की सीट पर बैठी 2 महिलाएं इतनी तेज आवाज में बात कर रही थीं कि मुझे सब अच्छे से सुनाई दे रहा था. तभी एक महिला ने बताया कि रात करीब डेढ़ बजे तक पति से झगड़ा होता रहा. ‘‘अरे क्या हुआ यार?’’ दूसरी ने पूछा तो उस ने बताया कि कल रात पति यह जानने के लिए अड़े हुए थे कि मैं कल दिन में किस के साथ छोलेभठूरे खाने गई थी? लेकिन मैं भी अड़ी रही और देर रात तक मैं ने उन्हें कुछ नहीं बताया. बल्कि मैं ने उन से साफसाफ कह दिया कि मैं जिस के साथ भी गई थी आप को बताना जरूरी नहीं समझती. जब उन्होंने मुझे नैकलैस दिलाने का वादा किया तो मैं ने बताया कि मैं अपने कुलीग के साथ गई थी. 

औफिस में अकसर ऐसा देखा जाता है कि थोड़ी बड़ी उम्र की महिलाओं को एक पुरुष साथी की जरूरत होती है ताकि उन का यह एहसास बना रहे कि वे अभी भी जवां हैं. यह भी देखने में आता है कि इस उम्र की बहुत सी महिलाएं अपने पुरुष दोस्त के सामने पति की बुराई करने लग जाती हैं क्योंकि वे अच्छी तरह समझती हैं कि ऐसा कर के ही वे सामने वाले से सिंपैथी गेन कर सकती हैं. होता यही है कि इस से पुरुष जल्दी पिघल जाते हैं. महिलाएं ऐसा पुरुष साथी का अटैंशन पाने के लिए भी करती हैं. पुरुष बेचारा उन की चाल में फंस जाता है.

यह बात आप ने किसी को किसी से कहते हुए जरूर सुनी होगी, ‘मेरी शादी होने वाली है पर मेरा दिल हमेशा तुम्हारे और सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़कता है’, ‘तुम मिलने के लिए बुलाओगे तो मैं हमेशा आया करूंगी’, ‘मैं केवल तुम्हें ही चाहती हूं’. महिलाएं इस हथकंडे का इस्तेमाल बखूबी इसलिए करती हैं ताकि सामने वाला उन की मीठी बातों में आ कर ठीक वैसा ही सोचे जैसा महिला उसे बता रही है. अगर आप ने किसी महिला को मिलने बुलाया हो और आप को उस के पास पहुंचने में देर हो गई हो तो पहले तो वह कुछ देर मुंह फुला लेगी, आप को अपने पीछेपीछे भी टहलाएगी. फिर काफी देर बाद अगर आप उसे गिफ्ट देने या उस के मतलब की बात करेंगे तो आप को माफी देने की बात कह झट से मुसकरा कर आप से बात करना शुरू कर देगी.

पार्टनर या प्रेमी के साथ खुराफाती चालें

अधिकतर महिलाएं अपना दिमाग सब से ज्यादा प्रेमी या पार्टनर के लिए चलाती हैं क्योंकि वही उन का प्लेयर होता है. अगर यहां बात बन गई तो बाकी सब जाए भाड़ में. पार्टनर से कोई काम करवाना है तो वे मासूम बन जाती हैं. उन के चेहरे से लाचारी व बेचारगी झलकने लगती है. यह तो जगजाहिर है कि तैयार होने में सब से ज्यादा वक्त महिलाएं ही लगाती हैं. यह बहुत कम हुआ होगा कि किसी महिला ने पुरुष को इंतजार न करवाया हो. पति हो या प्रेमी, दोनों ही इन की इस चाल में फंस जाते हैं. दरअसल, ऐसी कंडीशन को वे खूब ऐंजौय करती हैं. साथ ही वे अपनी अहमियत भी जताती हैं. ज्यादातर महिलाएं चाहे बाकी चीजों में डौमिनेटिंग न हों पर यह पैतरा जरूर अप्लाई करती हैं. खुद टाइम दे कर देरी से पहुंचने का मतलब है कि वे आप को तड़पाना चाहती हैं.

महिलाएं पुरुषों के मुकाबले डेट्स याद रखने में भी माहिर होती हैं. मान लीजिए अगर आप ने उन के बर्थडे पर उन्हें कोई तोहफा नहीं दिया, तो वे महीनेभर तो आप की गलती याद दिलाएंगी और अपने लिए कई गिफ्ट्स भी खरीदवा लेंगी.

रोना है प्रमुख हथियार

कोई मुसीबत की स्थिति आने पर वे पतियों को आगे कर देती हैं. तब पति परमेश्वर, देवता, घर का बौस, मालिक सब कुछ हो जाता है. तब महिलाएं यह भी कहने से नहीं चूकतीं कि घर के मुखिया या हैड औफ द फैमिली आप हैं. पतियों को लगता है कि हां वे ही बौस हैं, लेकिन असलियत में कौन किस का बौस है, उन्हें तब पता चलता है जब कोई चीज पूरी न की गई हो. रोने के अलावा उन का दूसरा हथियार है उन का खामोश हो जाना और मुंह फुला कर एक कोने में बैठ जाना. खामोशी से अधिकतर पुरुष घबरा जाते हैं. अगर कोई महिला चुप हो गई तो समझिए कि कुछ घंटों या आने वाले दिनों में आप की खैर नहीं. झूठ बोलना तो ज्यादातर महिलाओं की ताकत है.

ससुराल में खुराफाती चालें

महिलाएं ससुराल में भी खूब खुराफाती चालें चलती हैं. अपने फायदे के लिए चलने वाली कुछ चालें तो ऐसी होती हैं, जिन्हें वे अकसर आजमाती हैं:

तबीयत खराब का बहाना कर वे कई कामों से छुटकारा पा लेती हैं.

शादी के बाद ससुराल में आने पर वे, ‘फलां काम मैं ने कभी किया ही नहीं’ जैसा बहाना बना कर ससुराल में अपने नापसंद काम को नहीं करने से बच जाती हैं.

मेरे सासससुर बहुत अच्छे हैं. मैं उन के साथ बहुत खुश हूं. आखिर वे भी मेरे अपने ही हैं. उन के यह कहने का अर्थ दूसरे के सामने यह जाहिर करना होता है कि उन से ज्यादा खुश और कोई बहू नहीं होगी.

औफिस में भी खुराफाती चालें

औफिस में अकसर महिलाएं अपनी तबीयत खराब होने के बहाने को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती हैं. वे इस के लिए कुछ ऐसा करती हैं कि सामने वाला यह कह दे कि आज काम मत करो या मैं तुम्हारा काम कर दूंगा. औफिस में अधिकतर महिलाएं मतलब के लिए ही दोस्ती करती हैं क्योंकि कब न जाने किस से काम पड़ जाए. ऐसे में ये महिलाएं अपनी दोस्ती का वास्ता दे कर अपना उल्लू सीधा करती हैं. औफिस में अकसर यह भी देखने को मिलता है कि एक महिला दूसरी महिला से खुंदक निकालना चाहती है, तो वह उस से सीधेसीधे कुछ नहीं कहती. बल्कि उस के लिए उस के मुंह पर मीठी और पीठ पीछे दूसरे रंग की जबान रहती है. यानी अपरोक्ष रूप से वह उस को परेशान कर के उस की छवि खराब करती है. इस के लिए वह उस के करीबी दोस्त के नजदीक जा कर भी उस को चोट पहुंचाती है.

दोस्ती की चालें

ऐसी महिलाओं की दोस्ती बड़ी खतरनाक साबित हो जाती है जो दूसरों को फंसाने का काम करती हैं. आप से मीठी बनी रहेंगी और आप की हर छोटीबड़ी बात की रिपोर्ट उसे भी देंगी, जिस से आप ये बातें छिपाना चाहें. कुछ महिलाएं पीठपीछे बुराई करने में माहिर होती हैं. वे आप की दोस्त होते हुए भी आप की पर्सनल बातों की रिपोर्ट दूसरों को दे कर उन का भला बनने की भी कोशिश करती हैं. औफिस में महिला और पुरुष की दोस्ती हो तो यह दोस्ती दिखावे और काम निकलवाने की ज्यादा होती है. अगर दोस्ती 2 महिलाओं की हो तो कई बार एक महिला दूसरी को नीचा दिखाने के लिए उस की पर्सनल बातें डिसक्लोज कर देती है. 

कुछ महिलाओं की आदत होती है कि वे सामने वाले की इतनी तारीफ कर देंगी कि तारीफ सुनने वाला फूला नहीं समाएगा. जैसे मान लीजिए कोई आप से कहे कि आप फलां सब्जी बहुत अच्छी बनाती हैं, तो अपनी तारीफ सुन कर आप अगली बार यही सब्जी उस के लिए भी जरूर बनाएंगी. ऐसी महिलाएं आप की तारीफ कर बस अपना ही काम निकालती हैं. घर के आसपड़ोस की दोस्ती आजकल स्टेटस देख कर होती है. ऐसी दोस्ती करने वाली महिलाएं अपनी तारीफ करने में माहिर होती हैं. ऐसी खुराफाती महिलाओं से बच कर रहने में ही समझदारी है.

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