लड़ाकू औरतें कैसी होती हैं? ‘क्या ये बाकी महिलाओं से अलग होती हैं? क्या इन्हें लड़ाई झगड़ा करने में मजा आता है? क्या ये अपने घर में भी ऐसे ही लड़ती झगड़ती रहती हैं? इन के घर में सुखशांति का वास होता है या नहीं? लड़ाकू औरतें स्वभाव से कैसी होती हैं? ये सब समझने के लिए सोशल मीडिया पर अपलोड किए वीडियोज पर नजर डालते हैं.
मार्च, 2023 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था. यह वीडियो दिल्ली मैट्रो के लेडीज कोच का है. वीडियो में सभी लेडीज अपनीअपनी सीट पर बैठी हुई थीं. तभी ब्लैक जींस और रैड टौप पहनी औरत अपनी सीट से उठती है और सामने में दूसरी सीट पर बैठी औरत पर बुरी तरह चिल्लाने लगती है. उधर दूसरी औरत भी उस पर भड़क जाती है. इस के बाद रैड टौप पहनी औरत ने अपनी चप्पल उतारी और दूसरी औरत को चुनौती दी. वहीं दूसरी औरत ने भी अपनी पानी की बोतल उठा ली.
इस के बाद दोनों के बीच बातों की तकरार हुई. एक ने कहा कि वह पहले हाथ लगा कर दिखाए तो पता चल जाएगा. वहीं दूसरी औरत ने उसे चुनौती दी कि वह फिर बच नहीं पाएगी. हालांकि इस बीच आसपास मौजूद औरतों ने उन्हें चुप रहने और लड़ाई न करने की हिदायत दी.
इस के बाद क्या हुआ यह किसी को नहीं पता क्योंकि वीडियो अपलोड करने वाले ने इतना ही वीडियो बनाया था. उस ने यह औडियंस पर सोचने के लिए छोड़ दिया था कि आगे क्या हुआ होगा.
कहासुनी का वीडियो वायरल
ऐसा ही एक वीडियो मुंबई की जान कहीं जाने वाली लोकल ट्रेन से आया. कुछ समय पहले मुंबई की लोकल ट्रेन के लेडीज कोच की 3 औरतों के बीच कहासुनी का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में पैसेंजर से भरे एक डब्बे में 3 औरतें आपस में लड़ती नजर आ रही थीं. वीडियो में वे एकदूसरे के बाल खींच रही थीं.
एक लड़की गुस्से में अधेड़ उम्र की औरत के साथ बदतमीजी कर रही थी. वह उसे घसीट कर मार रही थी. इसी बीच एक तीसरी औरत भी इस लड़ाई में शामिल हो गई और वह लड़की को पीटने लगी.
आए दिन सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से वीडियोज वायरल होते रहते हैं, जिन में औरतें लड़ झगड़ रही होती हैं. सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए ऐसे तमाम वीडियोज में सिर्फ लड़ाई झगड़े को दिखाया जाता है. इन में लड़ाई के बाद क्या हुआ यह नहीं दिखाया जाता है. इस से इन वीडियोज को देखने वाले लोगों को यह जानकारी नहीं मिल पाती कि वीडियोज के अंत में क्या हुआ होगा.
वे इस उधेड़बुन में लगे रहते हैं कि इस लड़ाई झगड़े का अंत क्या हुआ होगा? क्या पुलिस उन्हें पकड़ कर ले गई होगी? क्या किसी ने इस झगड़े में सलाहकार की भूमिका निभाई होगी? ऐसे कितने ही सवाल उन के मन में होंगे.
लड़ाकू औरतें हर युग में होती हैं. अगर इसे ऐतिहासिक संदर्भ में देखें तो कैकई, द्रौपदी और हिडिंबा का नाम सामने आता है. ये वे औरतें थीं जिन्होंने अपने लड़ाकू स्वभाव के कारण न सिर्फ हत्या करवाई बल्कि युद्ध भी करवा दिया. लड़ाकू औरत का एक उदाहरण रामायण में भी देखने को मिलता है. श्रीराम की सौतेली मां कैकई की बात करें तो उन की दोनों शर्तें, भरत को राजा बनाना और राम को 14 साल का वनवास काटना एक धूर्त चाल थी.
उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि वे अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बना सकें और अपने सौतेले पुत्र राम को अयोध्या से दूर रख सकें. इस के बाद राम ने कैकई की शर्तों को मानते हुए वनवास स्वीकारा.
महाभारत का उदाहरण
यह घटना त्रेतायुग की है. उस समय कैकई ने अपनी जिद और लड़ाकू स्वभाव के कारण महाराज दशरथ से अपनी शर्त मनवा ली. इस घटना से यह साबित होता है कि लड़ाकू औरतें हर युग में रही हैं. सतयुग में भी ये औरतें अपना हित साधने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. ऐसी औरतों ने हमेशा परिवार को तहसनहस किया.
लड़ाकू औरत का एक दूसरा उदाहरण महाभारत में देखने को मिलता है. पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने कई बार ऐसे कटु वचन कहे जो महाभारत के युद्ध का कारण बनें जैसे द्रौपदी ने इंद्रप्रस्थ में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के समय दुर्योधन को ‘अंधे का पुत्र भी अंधा’ कहा था. यह बात दुर्योधन के दिल में तीर की तरह धंस गई थी. इसी वजह से द्य्यूतकीड़ा में उस ने शकुनी के साथ मिल कर युधिष्ठर को द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए राजी कर लिया था. द्य्यूतकीड़ा में द्रौपदी को हारने के बाद भरी सभा में उस का चीरहरण हुआ.
अपने चीरहरण के बाद द्रौपदी ने पांडवों से कहा कि अगर तुम ने दुर्योधन और उस के भाइयों से मेरे अपमान का बदला नहीं लिया तो तुम पर धिक्कार है. द्रौपदी ने खुद भी यह प्रण लिया कि वह अपने बाल तब तक खुला रखेगी जब तक कि वह इन्हें दुर्योधन के खून से धो नहीं लेती.
द्रौपदी की इस बात को सुन कर भीम ने प्रण किया कि मैं दुर्योधन की जांघ को गदा से तोड़ दूंगा और दुशासन की छाती को चीर कर उस का रक्तपान करूंगा. चीरहरण के दौरान जब कर्ण ने द्रौपदी को बचाने की जगह कहा कि जो स्त्री 5 पतियों के साथ रह सकती है, उस का क्या सम्मान. यह बात सुन कर द्रौपदी को बहुत ठेस पहुंची. इस का बदला लेने के लिए द्रौपदी हर समय अर्जुन को कर्ण से युद्ध करने के लिए उकसाती रही.
झगड़ालू औरत कुछ भी करा सकती है
महाभारत के युद्ध में सभी कौरवों और कर्ण की मृत्यु के बाद ही द्रौपदी को चैन मिला. इन सभी बातों को जानने के बाद कहा जा सकता है कि लड़ाकू और ?ागड़ालू औरत कुछ भी करा सकती. फिर चाहे वह युद्ध ही क्यों न हो.
वहीं अगर भीम की राक्षसी पत्नी हिडिंबा की बात करें तो वह भीम से विवाह करना चाहती थी. लेकिन उस का राक्षस भाई हिडंब पांडवों को अपना भोजन बनाना चाहता था. कौरवों की जान बचाने और भीम से विवाह करने के लिए हिडिंबा ने भीम को अपने भाई की हत्या करने के लिए उकसाया, जिस के परिणामस्वरूप भीम ने हिडंबा को मौत के घाट उतार दिया.
हिडिंबा द्वारा अपने फायदे के लिए अपने भाई की हत्या करवाना यह साबित करता है कि एक स्त्री कुछ भी करा सकती. फिर चाहे वह राक्षस हो या एक सामान्य स्त्री.
महाभारत ने हिडिंबा को खलनायिका के रूप में प्रस्तुत नहीं किया क्योंकि उस का पुत्र घटोत्कच पांडवों के काम आया था. लड़ाकू औरतें जगह या समय नहीं देखतीं. वे देखती हैं झगड़े का विषय. उन के लिए क्या सुबह क्या शाम, क्या दिन, क्या रात.
कार पार्किंग को ले कर लड़ाई
दिन और रात से परे झगड़े का एक ऐसा ही वाकेआ दिल्ली के ममता अपार्टमैंट में देखने को मिला. सुबहसुबह का समय था. बाहर से बहुत शोर आ रहा था. सोसाइटी में जा कर देखा तो जाग्रति राय और साक्षी सिंह लड़ रही थीं. पूछने पर पता चला कि दोनों कार पार्किंग की जगह को ले कर लड़ रही हैं.
साक्षी का कहना था कि इस जगह पर वह रोज अपनी कार पार्क करती है यह जानते हुए भी जाग्रति ने अपनी कार वहां पार्क कर दी,’’ जाग्रति अपनी बात रखते हुए कहती है कि रात को जब मैं अपनी कार पार्क करने आई तो यहां जगह खाली थी. इस के अलावा पूरी पार्किंग में कहीं जगह नहीं थी इसलिए मैं ने यहां कार पार्क कर दी.
सोसाइटी के प्रैसिडैंट ने समझबुझ कर दोनों को शांत कराया और उन्हें अपनीअपनी जगह पर ही कार पार्क करने की इंस्ट्रक्शन दी.
औरतों की इस तरह की हरकत उन के झगड़ालू नेचर को डिफाइन करने के लिए काफी है. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि पढ़ीलिखी औरतें भी ऐसी हरकतें कर रही हैं. क्या वे अपने घर और वर्क प्लेस में भी ऐसा ही करती होंगी? यह भी सच है कि इस तरह की औरतों से लोग दूर ही रहना पसंद करते हैं क्योंकि सब को मैंटल पीस चाहिए.
चर्चा का विषय
लड़ाई झगड़े की कई घटनाएं स्कूलकालेजों में भी देखने को मिलती हैं. दिल्ली के संत नगर इलाके के एक स्कूल के बाहर 2 छात्राओं के बीच लड़ाई झगड़े का वीडियो कई दिनों तक सोशल साइट्स पर चर्चा का विषय बना रहा.
ऐसा ही एक वीडियो मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित गवर्नमैंट स्कूल से आया. इस वीडियो में स्कूल ग्राउंड में छात्राएं एकदूसरे को लातघूंसे मार रही थीं. लड़ाई इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उन में से एक छात्रा को हौस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा. इस के बाद भी दूसरी छात्रा को चैन नहीं मिला. वह अपने साथियों को ले कर हौस्पिटल पहुंच गई जहां लोगों ने समझ बुझ कर उसे घर भेज दिया.
स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की ऐसी हरकतें चिंता का विषय हैं. ऐसे में पेरैंट्स को बच्चों के विहेवियर पर ध्यान देने की जरूरत है.
हालांकि लड़ना झगड़ना सही नहीं है, लेकिन क्या कभी किसी ने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ये लड़कियां या औरतें लड़ती क्यों हैं? हो सकता है कि ऐसी लड़कियों या औरतों के साथ पहले ऐसी कोई घटना घटी हो जो उन के नेचर को ऐसा बना देती हो.
पास्ट ऐक्सपीरियंस को झगड़ालू नेचर का कारण बताते हुए प्रीति यादव बताती है, ‘‘मैं जब 6 साल की थी तब से मैं अपने मम्मीपापा को झगड़ते हुए देखती आई हूं. मेरे पेरैंट्स के लड़ाईझगड़े से मुझ में भी ये गुण आ गए. अब मैं छोटीछोटी बात पर गुस्सा हो कर सब से लड़ने झगड़ने लगती. मेरे इसी नेचर की वजह से सब धीरेधीरे मुझ से दूर हो गए हैं.’’
ऐसा ही एक किस्सा कानपुर की रहने वाली 19 वर्षीय श्वेता यादव बताती है कि जब वह 4 साल की थी तब से ही उस ने अपनी मां को पापा से पिटते देखा है. मां को इस तरह पिटते देख कर वह सहम जाती थी. लेकिन जब एक दिन मां ने अपने ऊपर हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई तो उन में भी बोलने की हिम्मत आ गई. आज वह भी कोई गलत बात नहीं सुन सकती.
अगर कोई उस से तेज आवाज में भी बात करता है तो वह उस से बहस करने लगती है. वह कहती है कि हर लड़की के गुस्से और उस के झगड़ालू स्वभाव के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है. अगर उस वजह को दूर कर दिया जाए तो वह लड़की या औरत अपने नेचर को बदलने का भरसक प्रयास करती है.
आखिर वजह क्या है
औरतों के झगड़ालू स्वभाव के पीछे आखिर वजह क्या है? यह जानने के लिए उन के नेचर को समझना होगा. इसी संदर्भ में कई सर्वे किए गए है:
‘गैलप’ नाम की संस्था हर साल दुनियाभर में एक सर्वे करती है. 2012 से 2021 के बीच एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में 150 देशों के 12 लाख लोगों को शामिल किया गया. सर्वे में यह सामने आया कि पिछले 10 सालों में औरतों में गुस्सा ज्यादा बढ़ा है. भारत और पाकिस्तान की औरतों में यह 12% यानी दोगुने स्तर पर पहुंच चुका है. हमारे देश में पुरुषों में गुस्सा जहां 27.8% है वहीं औरतों में यह 40% तक पहुंच चुका है.
झगड़ालू नेचर की सब से बड़ी वजह गुस्सा है. इस सर्वे में यह पता चला कि गुस्सा, उदासी, अवसाद और घबराहट जैसी नैगेटिव फीलिंग्स पुरुषों से ज्यादा औरतों में होती है. इस की वजह से औरतों में फ्रस्ट्रेशन, हाइपरटैंशन और गुस्से की समस्या तेजी से बढ़ी है.
अब दुनिया की ज्यादातर महिलाएं पहले के मुकाबले ज्यादा एजुकेटेड और सैल्फ डिपैंडैंट हुई हैं. महिलाओं में जौब कल्चर बढ़ने से उन में कौंन्फिडैंस पैदा हुआ. अब औरतें गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठाने लगी हैं. असल में लड़ाई करने वाली औरतों को पहले बोलने की इजाजत नहीं थी. अब जब वे बोलने लगी हैं तो उन के अंदर भरा गुस्सा उन के ?ागड़े के रूप में बाहर निकल रहा है.
गुस्सा एक फीलिंग है
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले भानु यादव कहते हैं, ‘‘गुस्सा एक फीलिंग है. यह फीलिंग आदमीऔरत दोनों में ही होती है. हां, यह जरूर है कि अब औरतें भी अपनी फीलिंग्स ऐक्सप्रैस करने लगी हैं. इसलिए अब झगड़ालू औरतों की संख्या बढ़ रही है.
यह भी सही है कि लड़ाई झगड़ा अपने मन के भावों को ऐक्सप्रैस देने का एक जरीया है, लेकिन क्या लड़ाकू औरतों से रिश्ता निभाना आसान है? इस का उत्तर है नहीं क्योंकि ऐसी औरतें सिर्फ अपनी सुनती हैं. वे सामने वाले को रत्तीभर भी भाव नहीं देती हैं. ऐसी औरतें लड़ाई?ागड़े के लिए हर वक्त उतावली रहती हैं और दूसरों की शांति भंग करती हैं.
यह भी एक कड़वा सच है कि लड़ाकू लड़कियों का घर जल्दी नहीं बसता है और अगर बस भी जाता है तो यह ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाता क्योंकि अपने बिहेवियर के कारण ये वहां भी लड़ाई?ागड़ा चालू कर देंगी.
प्रभावित होती शादीशुदा जिंदगी
शादीशुदा लड़ाकू औरतें अपने नेचर के कारण छोटीछोटी बातों पर भी लड़ने झगड़ने लगती हैं, जिस से उन के हसबैंड उन से इरिटेट होने लगते हैं और फिर वह उन से दूर रहने लगते हैं.
जयपुर की रहने वाली 24 वर्षीय मुक्ता सिंह और 27 वर्षीय जतिन साहू डेढ़ साल से लिव इन रिलेशनशिप में हैं. मुक्ता लड़ाकू स्वभाव की लड़की है. जबकि जतिन इस के उलट शांत स्वभाव का लड़का है. मुक्ता के लड़ाकू नेचर की वजह से उन के बीच आए दिन लड़ाई झगड़ा होता रहता है. मुक्ता को कई बार समझने के बाद भी वह अपनी आदत नहीं बदल रही है. जतिन कहता है कि इस रिलेशनशिप ने उसे मैंटल स्ट्रैस दे दिया है. अगर मुक्ता ने अपने इस नेचर को नहीं बदला तो वह इस रिलेशनशिप को जल्द ही खत्म कर देगा.
अंजलि छाबड़ा दिल्ली के रोहिणी वैस्ट इलाके में रहती है. वह बताती है कि उस का फ्रैंड राहुल मौर्य बचपन से ही लड़ाकू स्वभाव का है. बचपन में भी उस के इक्कादुक्का दोस्त ही थे. आज भी उस के 1-2 दोस्त ही हैं. उन के लड़ाकू स्वभाव के कारण ही उस की वाइफ संजना मौर्य उसे छोड़ कर चली गई.
दूरी बना कर चलें
लड़ाकू नेचर के लड़के या लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग आप का मैंटल पीस खत्म कर देंगे. अगर आप ने ऐसे लोगों से शादी कर भी ली तो आएदिन होने वाले लड़ाई झगड़ों से आप की शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगी. इस से बेहतर है कि आप लड़ाकू लड़केलड़कियों से दूरी बना लें.
झगड़ालू प्रकृति की औरतें किसी के साथ मिल कर नहीं रह सकतीं. ऐसी औरतें हर तरफ से उपेक्षा पाती हैं. उन की इस उपेक्षा का कारण उन का लड़ाकू नेचर है. ऐसी औरतें हमेशा रिश्तेदारों और पड़ोसियों से लड़ती?ागड़ती रहती हैं. ऐसी औरतों के साथ रहने से रिश्तेदारों और पड़ोसियों से रिलेशन खराब हो जाते हैं. इतना ही नहीं लड़ाकू औरतें गुस्सैल नेचर की भी होती हैं.
चूंकि लड़ाकू लड़कियों और औरतों के साथ कोई रहना पसंद नहीं करता है इसलिए उन्हें यह सम?ाना चाहिए कि लड़ाई करना कब उन की आदत बन जाएगी, उन्हें पता भी नहीं चलेगा. अपने इस लड़ाकू स्वभाव की वजह से वे धीरेधीरे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को खो देंगी. उन्हें यह समझना चाहिए कि लड़ाई झगड़े में कुछ नहीं रखा है. इस से सिर्फ उन का समय और ऐनर्जी वेस्ट होगी. इसलिए ऐसे नेचर को बदलना ही सही होगा.