एक महिला सम्मान की हकदार है, भले ही उसे समाज में कितना भी ऊंचा या नीचा क्यों न माना जाए, चाहे वह किसी भी धर्म को मानती हो या किसी भी पंथ को मानती हो . क्या महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों में दोषियों की सजा कम करके और उन्हें आजादी देकर सजा माफ की जा सकती है?'
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात राज्य द्वारा अगस्त 2022 में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और दो महीने के शिशु सहित उसके परिवार की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 लोगों को दी गई सामूहिक छूट के आदेश को रद्द कर दिया जिन्हे गुजरात सरकार द्वारा "अच्छे व्यवहार" के आधार पर रिहा कर दिया गया था.
सुश्री बानो, जो उस समय गर्भवती थीं, और उनके परिवार के साथ जो हुआ उसे" सांप्रदायिक घृणा से प्रेरित वीभत्स और शैतानी अपराध" बताते हुए न्यायमूर्तिबी.वी. नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को तीखी फटकार लगाई . सोमवार का फैसला केंद्र के लिए एक झटका साबित हुआ जिसने पुरुषों की समयपूर्व रिहाई को मंजूरी दे दी थी .
यथास्थिति का आदेश देते हुए, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने तर्क दिया कि दोषियों को फिर से छूट का आवेदन करने के लिए भी पहले उन्हें जेल में वापस आना होगा . साथ ही अदालत ने कहा कि दोषियों को सजा में छूट देने का अधिकार गुजरात के पास नहीं था और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 432( 7)( बी) के तहत गुजरात "उपयुक्त सरकार" नहीं थी, जिस में सजा को निलंबित करने और माफ करने की शक्ति का विषय शामिल था .